भारत-बांग्लादेश: संबंध सुधार के नए अवसर | 09 Mar 2021

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में भारत के लिये दक्षिण एशियाई क्षेत्र और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बांग्लादेश का महत्त्व व इससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ: 

भारत के लिये बांग्लादेश दक्षिण एशियाई क्षेत्र और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका रखता है। यह भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और नेबरहुड फर्स्ट की नीति का भी एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। 

भारत और बांग्लादेश के बीच सामरिक महत्त्व एवं सहयोग के कई क्षेत्रों के बावजूद दोनों देशों के बीच कई मुद्दों को लेकर कुछ तनाव भी बने हुए हैं। 

वर्तमान समय में भारत के लिये आर्थिक एवं सामरिक दृष्टि से महत्त्व रखने वाले देश (बांग्लादेश) के साथ संबंध बनाए रखना तब और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है, जब चीन पहले से ही भारत तथा इसके पड़ोसी देशों के संबंधों के बीच अपने हस्तक्षेप को तीव्र करने के साथ इस क्षेत्र में अपने प्रभुत्व को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।

हाल के वर्षों में सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:

  • द्विपक्षीय संबंध: वर्ष 2021 भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंधों की स्थापना का 50वाँ वर्ष है।
    • भारतीय प्रधानमंत्री भी इसी माह बांग्लादेश के राष्ट्रपिता मुजीबुर रहमान (17 मार्च, 1920-15 अगस्त, 1975) के शताब्दी समारोह में शामिल होने के लिये बांग्लादेश का दौरा करेंगे।
    • बांग्लादेश सेना की टुकड़ी ने भी गणतंत्र दिवस समारोह 2021 में हिस्सा लिया था।
    • इसके अतिरिक्त गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाने के लिये भारत की प्रतिबद्धता ने द्विपक्षीय संबंधों की सकारात्मक प्रगति को नई ऊर्जा प्रदान करने में सहायता की है।
  • स्वर्णिम विजय वर्ष: 'स्वर्णिम विजय वर्ष' (स्वतंत्रता के 50वें वर्ष) के भाग के रूप में बांग्लादेश में मोंगला बंदरगाह के लिये भारतीय नौसेना जहाज़ों का पहला दौरा निर्धारित किया गया है।
    • स्वदेशी रूप से विकसित सुमेधा (अपतटीय गश्ती पोत) और कुलिश (निर्देशित मिसाइल कोरवेट) इस आयोजन में शामिल होने के लिये मोंगला बंदरगाह पर पहुँचेंगे।
  • प्रगति के अन्य प्रमुख क्षेत्र: बांग्लादेश के चटोग्राम (चटगाँव) बंदरगाह से अगरतला तक कार्गो के पारगमन का परीक्षण परिचालन किया गया है।   
    • बांग्लादेश के माध्यम से त्रिपुरा को राष्ट्रीय जलमार्ग से जोड़ने के लिये अंतर्देशीय जलमार्गों में दो नए प्रोटोकॉल मार्ग जोड़े गए हैं।
  • मैत्री सेतु: भारतीय प्रधानमंत्री त्रिपुरा और बांग्लादेश में भारतीय सीमा के बीच बहने वाली फेनी नदी पर बने ‘मैत्री सेतु’ पुल का उद्घाटन करेंगे।
    • 'मैत्री सेतु' नाम भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते द्विपक्षीय और मैत्रीपूर्ण संबंधों का प्रतीक है।
  • ट्रेन और बस मार्ग: दिसंबर 2020 में हल्दीबाड़ी (पश्चिम बंगाल) और चिल्हाटी (बांग्लादेश) के बीच लगभग 55 वर्षों के बाद फिर से रेल संपर्क शुरू किया गया।
    • दोनों देश अब ढाका और सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) के बीच बस मार्ग खोलने की प्रक्रिया पर काम कर रहे। 

द्विपक्षीय संबंधों के मार्ग में प्रमुख बाधाएँ: 

  • सीएए और एनआरसी: भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक, भाषायी और सांस्कृतिक संपर्क द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति के लिये एक मज़बूत आधार प्रदान करता है।
  • जल विवाद: दोनों देशों के बीच साझा संसाधनों जैसे तीस्ता नदी जल बँटवारे के मुद्दे को हल करने में काफी लंबा समय लग रहा है। 
  • चीन का पहलू: वर्तमान में बांग्लादेश चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक सक्रिय भागीदार है, जिस पर भारत ने हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
    • सुरक्षा क्षेत्र में बांग्लादेश पनडुब्बियों सहित चीनी सैन्य उपकरणों का एक प्रमुख प्राप्तकर्त्ता भी है।
    • इसके अतिरिक्त चीन ने वर्ष 2020 में एक "विकास भागीदार" के रूप में बांग्लादेश की बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये समर्थन बढ़ाने का वादा किया है।
    • बांग्लादेश ने ‘तीस्ता रिवर कॉम्प्रिहेंसिव मैनेजमेंट और रिस्टोरेशन प्रोजेक्ट’ को विकसित करने के लिये चीन से लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के ऋण की भी मांग की थी।
  • बांग्लादेशी नागरिकों की हत्या: वर्ष 2020 में बांग्लादेशी नागरिकों की हत्या की घटनाओं में वृद्धि देखने को मिली है। हत्या की ये घटनाएँ पिछले एक दशक में सबसे अधिक हुईं।
    • भारत-बांग्लादेश सीमा पर इन हत्याओं के लिये आपराधिक गतिविधियाँ ही उत्तरदायी रही हैं।

आगे की राह:

  • विकासशील बांग्लादेश के साथ संबंध मज़बूत करना: बांग्लादेश COVID-19 महामारी के दौरान भी अपने शानदार आर्थिक प्रदर्शन की वजह से एक नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है।
    • वर्तमान समय के बदलते भू-आर्थिक समीकरणों को देखते हुए बांग्लादेश के साथ संबंधों को मज़बूत करना आवश्यक हो गया है।
      • बांग्लादेश अपनी बढ़ती आर्थिक प्रगति के साथ क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण भागीदारी का अवसर प्रदान करता है।
    • इसके अतिरिक्त भारत और बांग्लादेश विश्व में पाँचवीं सबसे लंबी अंतर्राष्ट्रीय स्थलीय सीमा साझा करते हैं।
    • सुरक्षा और सीमा प्रबंधन को मज़बूत करने हेतु भारत के लिये बांग्लादेश के साथ सकारात्मक सक्रिय संबंध बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है।
  • जल बँटवारे से जुड़े मुद्दों को हल करना: दोनों देश 54 नदियों के जल को साझा करते हैं, ऐसे में व्यवस्थित जल प्रबंधन द्विपक्षीय संबंधों की समृद्धि को सुनिश्चित करने में सहायक हो सकता है।
    • तीस्ता परियोजना भारत के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, अतः इसे जल्द-से-जल्द हल किया जाना चाहिये।
    • भारत को अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को समयबद्ध तरीके से लागू करना चाहिये अन्यथा बांग्लादेश में व्याप्त भारत विरोधी अव्यक्त भावनाएँ दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संबंधों के लिये एक नई बाधा उत्पन्न कर सकती है।
  • चीनी प्रभाव को कम करना: वर्तमान में  चल रहे भारत-चीन तनाव के बीच दोनों ही देश बांग्लादेश में अपने प्रभाव का विस्तार करना चाहते हैं, परंतु अभी तक इस प्रतिस्पर्द्धा में भारत की तुलना में चीन,  बांग्लादेश को बेहतर विकल्प प्रदान करने में सफल रहा है।  
    • वर्तमान में बांग्लादेश को अधिक विदेशी धन और सहायता की आवश्यकता है जिसे वह भारत या चीन किसी से भी स्वीकार करेगा, ऐसे में भारत को चीन का मुकाबला करने के लिये  बांग्लादेश के साथ मिलकर कार्य करना चाहिये।
  • अन्य संभावित सहयोग: भारत और बांग्लादेश पूर्वोत्तर में कृषि एवं कृषि उत्पाद के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की दिशा में कार्य कर सकते हैं।
    • कृषि में दोनों देशों के संबंधों के संदर्भ में व्यापक सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता है।
    • इस क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग वर्तमान आर्थिक चुनौतियों को दूर करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

निष्कर्ष:  

  • बांग्लादेश के साथ भारत के हितों के जुड़े होने का कारण सिर्फ इसकी पूर्वी सीमाओं की सुरक्षा ही नहीं बल्कि अन्य सामरिक मुद्दे भी हैं। ऐसे में यह पूर्व के मुद्दों से अलग होने और बांग्लादेश के साथ संबंधों की एक नई रूपरेखा तैयार करने के हाल ही में प्राप्त अवसर को जाने नहीं दे सकता।
  • सरकार को बांग्लादेश के साथ अच्छे संबंधों के संदर्भ में लगातार सतर्क रहने की आवश्यकता है। अन्यथा भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को नई दिशा देने के इस अवसर को खोने और क्षेत्र में चीन को अपने प्रभुत्व को बढ़ावा देना बहुत आसान हो सकता है।

अभ्यास प्रश्न: भारत के लिये बांग्लादेश न केवल दक्षिण एशिया बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी एक "महत्त्वपूर्ण साझेदार" है। विश्लेषण कीजिये।