चीन द्वारा भारत-विशिष्ट लंबी दूरी के रॉकेट का विकास तथा इसके निहितार्थ | 07 Sep 2018

संदर्भ

हाल ही में चीन, भारत-विशिष्ट लंबी दूरी का रॉकेट विकसित कर रहा है, जिसे रेलगुन का उपयोग करके या विमान वाहक से लॉन्च किया जा सकता है। चीन के एक अख़बार के अनुसार, इस रॉकेट सिस्टम को भारत की मुख्यभूमि पर हिट करने के लिये डिज़ाइन किया जा रहा है और चीन द्वारा इसके विकास का मुख्य कारण डोकलाम विवाद को ठहराया गया है। उल्लेखनीय है कि यह पहली बार है जब चीन ने हथियार प्रणाली विकसित करने के लिये स्पष्ट रूप से भारत का नाम दिया है और भारत की मुख्य भूमि पर हमला करने के बारे में बात की है। इस लेख में भारत के विरुद्ध रॉकेट प्रणाली विकसित करने की चीन की मंशा और वतर्मान में भारत की स्थिति का उल्लेख किया गया है।

चीन की मंशा

  • चीन को नहीं लगता कि वह भारत पर सीमा संघर्ष के मुद्दे को लेकर अपनी इच्छा थोप सकता है क्योंकि डोकलाम विवाद 70 दिनों से अधिक समय तक चला और चीन से लगातार खतरा होने के बावजूद भारत ने अपने पैर पीछे नहीं हटाए।
  • चीन को हिमालय में मज़बूत भारतीय सुरक्षात्मक गतिविधियों को खत्म करने के लिये 10:1 में सुरक्षा बल की आवश्यकता होगी क्योंकि अधिक ऊँचाई पर अवस्थित है।

Bhutan

  • वहीं, वर्ष 1967 और 1987 में भारत ने चीन से हुए पिछले दो युद्धों में रणनीतिक जीत भी हासिल की थी।
  • दूसरी तरफ, चीन भविष्य में भारत के साथ किसी भी युद्ध करने की व्यवहार्यता पर विचार कर रहा है और खुद को सीमा संघर्ष तक सीमित नहीं कर रहा है, जिसे वह जीत नहीं सकता है।
  • भारत-विशिष्ट रॉकेट के विकास की घोषणा करके चीन ने यह खुलासा किया है कि अब वह भारत को एक खतरा मानता है।
  • दरअसल, चीन इस घोषणा द्वारा भारत के औद्योगिक, वाणिज्यिक और आबादी वाले केंद्रों पर हमला करने की धमकी देकर भारत के सैन्य अभियान को शुरू करने से पहले ही रोकने की कोशिश कर रहा है।
  • हालाँकि, भारत-विशिष्ट रॉकेट के विकास से चीन का मंतव्य है कि एक बार सिस्टम तैयार होने के बाद इसे बड़ी संख्या में तैनात किया जा सकेगा क्योंकि यह अपेक्षाकृत सस्ता है और यह चीन को मुख्य उत्तर भारतीय शहरों-विशेष रूप से नई दिल्ली तक हमलों की क्षमता प्रदान करेगा।
  • उल्लेखनीय है कि यह योजना ताइवान के खिलाफ चीन की युद्ध योजना के समान है। इस रॉकेट का विकास और तैनाती में अभी समय है किंतु चीन इसके द्वारा भारत को एक संदेश देना चाह रहा है कि वह सीमा पर (डोकलाम) या व्यापक भारत-प्रशांत क्षेत्र में किसी भी भारतीय कार्रवाई को रोकने के लिये तैयार है।
  • इस प्रणाली के विकास की खबर भारत के खिलाफ चीन के मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा भी हो सकता है।
  • चीन ने तिब्बत में बड़ी संख्या में पारंपरिक और परमाणु शस्त्र जैसे-डीएफ -21 मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल की तैनाती की है और यह 2,000 किमी. से अधिक दूरी से भारत के पूरे उत्तरी और मध्य भागों पर हमला करने में सक्षम है।
  • इसके अलावा, चीन के पास 1,500 किलोमीटर की दूरी तक की मारक क्षमता वाले सीजे-10 क्रूज मिसाइल भी हैं, जो ज़मीन और हवा दोनों पर हमला करने में सक्षम है।
  • चीन के प्रमुख औद्योगिक, वाणिज्यिक और आबादी केंद्र अपने पूर्वी तट पर स्थित हैं, जो भारत से लगभग 4,000 किलोमीटर दूर हैं और भारत के पास चीन के इस क्षेत्र में हमला करने के लिये कोई पारंपरिक क्षमता नहीं है।

भारत की स्थिति 

  • भारत के पास सीमित संख्या में अग्नि श्रृंखला की मिसाइलें हैं जो उन क्षेत्रों पर हमला कर सकती है, लेकिन ये सभी परमाणु हथियार के प्रसार के लिये हैं, न कि पारंपरिक हथियार के लिये।
  • इसके साथ ही भारत के लिये परंपरागत हथियारों के साथ चीन के सभी हिस्सों पर हमला करने में सक्षम अग्नि-5 मिसाइलों को बनाना बहुत महँगा होगा। उल्लेखनीय है कि परंपरागत हथियार वे हथियार हैं, जो सामूहिक विनाश के हथियार नहीं होते।
  • भारत ने चीन के साथ डोकलाम विवाद के बाद अपने संबंधों को पुनर्स्थापित करने की कोशिश की है, उपग्रह इमेजरी से पता चलता है कि चीन ने भारत की रेडलाइन से परहेज करते हुए डोकलाम में अपनी स्थिति मज़बूत कर लिया है, ताकि रणनीतिक रूप से भारत के सामरिक लाभ को कम किया जा सके।
  • हालाँकि, भारत ने परमाणु हथियारों का उपयोग (NFU) पहले न करने का वचन दिया है लेकिन यदि भारत पर परमाणु हथियारों से हमला किया जाता है तो भारत भी प्रत्युत्तर में जवाबी कार्यवाही  अवश्य करेगा।
  • इस संदर्भ में भारत के परमाणु सिद्धांत के अनुसार अगर सामूहिक विनाश के हथियारों के साथ हमला किया जाता है, जैसे-रासायनिक और जैविक हथियार तो भारत परमाणु हथियारों का जवाब देगा।
  • हालाँकि, परंपरागत हथियारों द्वारा सामूहिक विनाश पर विचार नहीं किया जाता है किंतु इस प्रकार के रणनीतिक संघर्ष परमाणु हथियारों के उपयोग का कारण बन सकते हैं।

निष्कर्ष

भारत के परमाणु सिद्धांत की समीक्षा का कार्य लंबे समय से लंबित है। दुनिया भर के देश हाइपरसोनिक गति की उड़ान वाले और भी शक्तिशाली पारंपरिक हथियार विकसित कर रहे हैं तथा मिनटों के भीतर लक्ष्य पर सटीक रूप से हमला कर सकते हैं। चीन में पास भी एक उन्नत हाइपरसोनिक हथियार कार्यक्रम है, जबकि भारत को ऐसे किसी कार्यक्रम की परिपक्वता हासिल करने में अभी वर्षों का समय लग सकता है और खासकर चीन के हमलों के जवाब में यह लागत प्रभावी समाधान साबित नहीं होगा। अतः भारत को भविष्य में अपनी परमाणु नीति को कायम रखना है तो इसकी समीक्षा करना आवश्यक है। साथ ही, इससे पूर्व अपनी अधिकांश आबादी, औद्योगिक और वाणिज्यिक केंद्रों पर विनाशकारी पारंपरिक हमलों को रोकने के लिये इसे और अधिक योग्यता प्राप्त करनी होगी।