ज़ेन गार्डन - काइज़न अकादमी | 30 Jun 2021

प्रिलिम्स के लिये:

ज़ेन गार्डन- काइज़न अकादमी,  भारत-जापान के बीच रक्षा अभ्यास, जापान-ऑस्ट्रेलिया-भारत-अमेरिका चतुर्भुज सहयोग

मेन्स के लिये: 

भारत-जापान संबंध 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने गुजरात के अहमदाबाद मैनेजमेंट एसोसिएशन (AMA) में एक जापानी 'ज़ेन गार्डन - काइज़न अकादमी' (Zen Garden- Kaizen Academy) का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु:

परिचय:

  • यह AMA में जापान सूचना एवं अध्ययन केंद्र और भारत-जापान मैत्री संघ (IJFA), गुजरात का एक संयुक्त प्रयास है। यह ह्योगो इंटरनेशनल एसोसिएशन (HIA) जापान द्वारा समर्थित है।
  • इसमें पारंपरिक जापानी अवयव जैसे- रेड ब्रिज गुज़ेई, शोजी इंटीरियर, ग्लोरी ऑफ तोरी, एक 3-डी आर्ट म्यूरल, फ्यूजन चबुतारो, ताकी वॉटरफॉल, सुकुबाई बेसिन और किमोनो स्क्रॉल हैं।
  • यह भारत में जापान की कार्य संस्कृति का प्रचार करेगा और जापान तथा भारत के बीच व्यापार संबंधों को बढ़ाएगा।
    • ज़ेन, महायान बौद्ध धर्म का एक जापानी स्कूल है जो अनुष्ठान पूजा या शास्त्रों के अध्ययन के बजाय ध्यान और अंतर्ज्ञान के मूल्यों पर बल देता है। जापान में ज़ेन का आशय भारत में ध्यान के समान है।
    • काइज़ेन का तात्पर्य 'बेहतरी के लिये परिवर्तन' या 'निरंतर सुधार' से है। काइज़ेन एक जापानी व्यापार दर्शन है जो सभी कर्मचारियों को शामिल करते हुए कार्य वातावरण को अधिक कुशल बनाकर उत्पादकता में धीरे-धीरे सुधार करने पर केंद्रित है।

भारत-जापान मित्रता:

Japan

  • भारत और जापान के प्रधानमंत्रियों के बीच हाल की टेलीफोनिक बातचीत के मुख्य हाइलाइटस:
    • महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों को दूर करने के लिये लचीला, विविध और भरोसेमंद आपूर्ति शृंखला बनाने, महत्त्वपूर्ण सामग्रियों एवं प्रौद्योगिकियों की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा विनिर्माण व कौशल विकास में नई साझेदारी विकसित करने के लिये मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
    • एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत की धारणा को साकार करने की दिशा में जापान-ऑस्ट्रेलिया-भारत-अमेरिका चतुर्भुज सहयोग सहित जापान-भारत द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग के महत्त्व की पुष्टि की गई।
    • पूर्वोत्तर राज्य में 5जी, पनडुब्बी केबल, औद्योगिक प्रतिस्पर्द्धा को मज़बूत करने और विकास परियोजनाओं जैसे क्षेत्रों में संभावित सहयोग की आवश्यकता है।
  • भारत और जापान के मध्य अन्य हालिया सहयोगात्मक पहल:
    • हाल ही में भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व को प्रतिसंतुलित करने हेतु औपचारिक रूप से सप्लाई चेन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव (Supply Chain Resilience Initiative- SCRI) की शुरुआत की है।
    • जापान ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक परियोजना सहित भारत में कई प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं हेतु कुल 233 बिलियन येन के ऋण और अनुदान को अंतिम मंज़ूरी दे दी है।
    • वर्ष 2020 में भारत और जापान के मध्य एक रसद समझौते पर हस्ताक्षर किये गए जो दोनों पक्षों के सशस्त्र बलों को सेवाओं एवं आपूर्ति में सहयोग करने की अनुमति प्रदान करता है। इस समझौते को अधिग्रहण और क्रॉस-​सर्विसिंग समझौते (Acquisition and Cross-Servicing Agreement- ACSA) के रूप में जाना जाता है।
    • वर्ष 2014 में भारत और जापान ने अपने संबंधों को 'विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी' के साथ मज़बूत किया।
    • अगस्त 2011 में लागू हुआ भारत-जापान व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (India-Japan Comprehensive Economic Partnership Agreement- CEPA) वस्तुओं, सेवाओं, व्यक्तियों की आवाजाही, निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकार, कस्टम प्रक्रियाओं और अन्य व्यापार संबंधी मुद्दों को कवर करता है।
  • रक्षा अभ्यास :
    • भारत और जापान के रक्षा बलों के बीच विभिन्न द्विपक्षीय अभ्यासों का आयोजन किया जाता है, जिसमें JIMEX (नौसेना), SHINYUU मैत्री (वायु सेना) और धर्म गार्जियन (थल सेना) आदि शामिल हैं। दोनों देश संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मालाबार अभ्यास (नौसेना अभ्यास) में भी भाग लेते हैं।

आगे की राह 

  • जापान से सहायता लेने के अतिरिक्त भारत को यह भी विचार करना होगा कि भारतीय घटक जापान तक कैसे पहुँच सकते हैं और उन्हें जापान में लाभांश कैसे दिया जा सकता है, साथ ही आत्मनिर्भर भारत की धारणा को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • भारत को कोविड के बाद के संबंधों के मामले को भी देखने की ज़रूरत है, उसे दुनिया के अन्य हिस्सों के साथ अच्छे संबंध सुनिश्चित करना चाहिये ताकि नुकसान से उभर सके और समुद्री क्षेत्रों में चीनी प्रभाव को नियंत्रित कर सके।
  • जापान की मदद से भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस