भारतीय पर्यटन उद्योग: चुनौती और संभावनाएँ | 28 Sep 2020

प्रिलिम्स के लिये

विश्व पर्यटन दिवस, ‘साथी’ एप्लीकेशन, विश्व पर्यटन संगठन

मेन्स के लिये 

पर्यटन उद्योग पर महामारी का प्रभाव, भारतीय पर्यटन उद्योग की स्थिति और उसकी चुनौतियाँ 

चर्चा में क्यों?

प्रत्येक वर्ष 27 सितंबर को दुनिया भर में विश्व पर्यटन दिवस (World Tourism Day) मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य विश्व भर के लोगों को पर्यटन के प्रति जागरूक करना है। वर्ष 2020 में विश्व पर्यटन दिवस की 40वीं वर्षगांठ मनाई गई है।

प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि विश्व पर्यटन दिवस आगामी भविष्य के निर्माण में पर्यटन की क्षमताओं को पहचानने का एक अवसर प्रदान करता है। 
  • इस दिवस की शुरुआत सर्वप्रथम वर्ष 1980 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) द्वारा की गई थी, और तब से प्रत्येक वर्ष अलग-अलग देश विश्व पर्यटन दिवस की मेज़बानी करते हैं।
    • विदित हो कि भारत ने वर्ष 2019 में इस दिवस की मेजबानी की थी।

विश्व पर्यटन दिवस 2020

  • वर्ष 2020 के लिये विश्व पर्यटन दिवस की थीम ‘पर्यटन और ग्रामीण विकास’ रखी गई है। यह थीम बड़े शहरों के बाहर रोज़गार और विकास के अवसर प्रदान करने तथा विश्व भर में सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने में पर्यटन की भूमिका को रेखांकित करती है।
  • भारत में पर्यटन मंत्रालय ने 27 सितंबर, 2020 को वर्चुअल माध्यम से विश्व पर्यटन दिवस का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ‘साथी’ (SAATHI) नाम से एक एप्लीकेशन भी लॉन्च किया।

‘साथी’ एप्लीकेशन

  • ‘साथी’ एप्लीकेशन, भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India) के साथ पर्यटन मंत्रालय की एक पहल है, जो कि आतिथ्य उद्योग को सुरक्षित रूप से संचालित करने के लिये और होटलों की सुरक्षा के बारे में कर्मचारियों और मेहमानों के बीच विश्वास पैदा करने में आतिथ्य उद्योग की सहायता करने हेतु शुरू की गई है।

कोरोना वायरस महामारी और पर्यटन उद्योग

  • पर्यटन विश्व भर में लाखों लोगों के लिये आजीविका का अवसर प्रदान करता है और इससे भी कहीं अधिक लोगों को अलग-अलग संस्कृतियों और प्राकृतिक खूबसूरती को करीब से देखने का अवसर प्रदान करता है। 
  • गौरतलब है कि वैश्विक पर्यटन उद्योग महामारी के कारण सबसे अधिक प्रभावित होने वाले उद्योगों में से एक है और महामारी ने इस उद्योग को विभिन्न स्तरों पर प्रभावित किया है।
  • आर्थिक प्रभाव
    • वर्ष 2019 के आँकड़ों के अनुसार, इस वर्ष वैश्विक व्यापार में पर्यटन उद्योग ने कुल 7 प्रतिशत का योगदान दिया था और प्रत्येक दस में से एक व्यक्ति को रोज़गार दिया था। 
    • अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के बंद होने, होटल बंद होने और हवाई यात्रा में गिरावट आने आदि के कारण वर्ष 2020 के पहले पाँच महीनों में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की आवाजाही में कुल 56 प्रतिशत की कमी देखी गई है, जो कि वर्ष 2009 के वैश्विक आर्थिक संकट से भी तीन गुना अधिक है।
    • संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) के अनुसार, इस क्षेत्र के वर्तमान परिदृश्य से पता चलता है कि वर्ष 2020 में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की कुल संख्या में 58-78 प्रतिशत की कमी आ सकती है, जिसके कारण आगंतुकों द्वारा किये जाने वाले खर्च में कमी होगी और यह अनुमानानुसार, 310-570 बिलियन डॉलर के बीच में रह सकता है, जबकि वर्ष 2019 में यह तकरीबन 1.5 ट्रिलियन था।
    • विश्व पर्यटन संगठन का अनुमान है कि महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर पर्यटन उद्योग से संबंधित लगभग 100 मिलियन लोगों के रोज़गार पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
  • आजीविका पर प्रभाव
    • पर्यटन उद्योग पर महामारी के प्रभाव के कारण गरीबी (SDG 1) और असमानता (SDG 10) में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, इसके अलावा वैश्विक स्तर पर प्रकृति और सांस्कृतिक संरक्षण से संबंधित प्रयासों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 
    • ध्यातव्य है कि महामारी ने सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति की गति को भी काफी धीमा कर दिया है। 
    • पर्यटन उद्योग महिलाओं, ग्रामीण समुदायों और अन्य वंचित समूहों के लिये सदैव से ही आय का एक प्रमुख स्रोत रहा है, ऐसे में इस उद्योग पर महामारी के प्रभाव के कारण इन लोगों के समक्ष भी आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है। 
  • सांस्कृतिक प्रभाव
    • पर्यटन उद्योग पर महामारी के प्रभाव के कारण सांस्कृतिक क्षेत्र में विरासत संरक्षण के प्रयासों और समुदायों, विशेष रूप से स्वदेशी लोगों और जातीय समूहों के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने पर काफी दबाव पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिये, हस्तशिल्प उत्पादों और कढ़ाई-बुनाई से संबंधित उत्पादों के बाज़ार बंद होने के कारण ग्रामीण लोगों खासतौर पर स्वदेशी महिलाओं के राजस्व पर काफी प्रभाव पड़ा है।
    • पर्यटन संस्कृति को बढ़ावा देने और परस्पर संवाद तथा समझ को विकसित करने हेतु प्रमुख वाहनों में से एक है, किंतु महामारी के प्रभाव के कारण सांस्कृतिक आदान-प्रदान और संवाद में स्थिरता आ गई है।

 भारत और पर्यटन उद्योग

  • पर्यटन और आतिथ्य उद्योग का भारतीय अर्थव्यवस्था पर काफी व्यापक प्रभाव पड़ता है और ये उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
  • आँकड़ों के अनुसार, भारत के पर्यटन उद्योग ने कुल 42 मिलियन से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान किया है, जो कि भारत में कुल रोज़गार के अवसरों का लगभग 8.1 प्रतिशत है।
  • वर्ष 2019 में भारत के पर्यटन उद्योग ने देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में तकरीबन 9.3 प्रतिशत का योगदान दिया था और कुल निवेश में इसका 5.9 प्रतिशत हिस्सा था।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्र लाखों लोगों को गुणवत्तापूर्ण रोज़गार प्रदान करने में सक्षम है, जो कि भारत जैसे देश के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है, जहाँ 72 प्रतिशत जनसंख्या 32 वर्ष से कम उम्र की है और औसत आयु 29 वर्ष है। 
  • भारत में पर्यटन क्षेत्र के संबंध में अद्भुत विविधता दिखाई पड़ती है। भारत में कुल 38 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मौजूद हैं, जो कि भारत को पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण बनाते हैं। 

भारतीय पर्यटन उद्योग से संबंधित समस्याएँ

  • जटिल वीज़ा प्रक्रिया: ई-वीज़ा सुविधा शुरू करने के बावजूद अभी भी भारत में आने वाले अधिकांश पर्यटक और आगंतुक वीज़ा के लिये आवेदन करने की प्रक्रिया को काफी बोझिल और जटिल मानते हैं। महामारी के दौरान वीज़ा की यह प्रक्रिया और भी अधिक जटिल हो गई है।
  • अवसंरचना और कनेक्टिविटी का मुद्दा: प्रायः बुनियादी ढाँचे की कमी और अपर्याप्त कनेक्टिविटी के कारण कई बार पर्यटकों को कुछ विरासत पर जाने के लिये कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिये कंचनजंगा जैसे कई पर्यटन स्थल अभी भी आसानी से आम लोगों के लिये उपलब्ध नहीं हैं।
  • प्रचार और जागरूकता की कमी: यद्यपि बीते कुछ वर्षों में भारत के पर्यटन क्षेत्र के प्रचार में काफी वृद्धि देखी गई है, किंतु अभी भी ऑनलाइन मचों पर भारत के पर्यटक स्थलों को लेकर प्रचार और जागरूकता की कमी स्पष्ट दिखाई देती है।

    • पर्यटक सूचना केंद्रों को सही ढंग से प्रबंधित नहीं किया जाता है, जिससे घरेलू और विदेशी पर्यटकों के लिये आवश्यक जानकारी प्राप्त करना काफी मुश्किल हो जाता है।
  • आवश्यक कौशल की कमी: पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र के लिये पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित व्यक्तियों की कम संख्या भारत के पर्यटन उद्योग के लिये एक बड़ी चुनौती है, जिसके कारण भारत आने वाले पर्यटकों को विश्व स्तरीय अनुभव प्रदान करना मुश्किल हो जाता है। 
  • पर्यटक सुरक्षा: भारत में आने वाले विदेशी पर्यटकों को प्रायः लूट और चोरी आदि का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण उनके मन में भारत और देश की कानून-व्यवस्था को लेकर एक नकारात्मक छवि उत्पन्न होती है।

आगे की राह

  • महामारी की समाप्ति के बाद सरकार को विरासत स्थलों की स्वच्छता के विषय पर विशेष ध्यान देना होगा ताकि भारतीय विरासत स्थलों की ओर पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया जा सके। साथ ही सरकार घरेलू पर्यटन उद्योग को भी प्रोत्साहित करना चाहिये।
  • पर्यटन स्थलों के अवसंरचना विकास और उनकी कनेक्टिविटी पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है, ताकि यात्रियों को किसी भी पर्यटन स्थल पर जाने में कठिनाई का सामना न करना पड़े।
  • साथ-ही-साथ पर्यटन क्षेत्र में कार्य करने के लिये व्यापक स्तर पर लोगों को प्रशिक्षण दिये जाने की आवश्यक है, ताकि पर्यटकों को विश्व स्तरीय सुविधाएँ प्रदान की जा सकें।
  • पर्यटन स्थलों पर किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने हेतु बेहतर स्वास्थ्य अवसंरचना को विकसित करना चाहिये।

स्रोत: पी.आई.बी