विश्व गैंडा दिवस | 22 Sep 2021

प्रिलिम्स के लिये:

प्रकृति के संरक्षण हेतु विश्वव्यापी कोष, एक सींग वाले गैंडे, CITES

मेन्स के लिये:

भारत द्वारा राइनो के संरक्षण के लिये किये जाने वाले प्रयास

चर्चा में क्यों?  

गैंडे/राइनो (Rhino) की सभी पांँचों प्रजातियों के बारे में जागरूकता फैलाने और उन्हें बचाने के लिये किये जा रहे कार्यों की ओर ध्यान आकृष्ट करने हेतु 22 सितंबर को विश्व गैंडा दिवस (World Rhino Day) मनाया जाता है।

Rhino

प्रमुख बिंदु 

  • इसकी घोषणा वर्ष 2010 में पहली बार प्रकृति के संरक्षण हेतु विश्वव्यापी कोष (WWF)- दक्षिण अफ्रीका द्वारा की गई थी। कई दशकों से लगातार अवैध शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण गैंडे की प्रजातियांँ विलुप्त होने की कगार पर हैं।
  • गैंडे की पाँच प्रजातियाँ इस प्रकार हैं- अफ्रीका में सफेद और काले राइनो (White and Black Rhinos in Africa), एक सींग वाले गैंडे (Greater one-Horned), एशिया में जावा और सुमात्रन गैंडे/राइनो (Javan and Sumatran Rhino) की प्रजातियाँ।
    • IUCN की रेड लिस्ट में स्थिति:
      • व्हाइट राइनो: खतरे या संकट के करीब।
      • ब्लैक राइनो: गंभीर रूप से संकटग्रस्त।
      • एक सींग वाले गैंडे सुभेद्य।
      • जावा: गंभीर रूप से संकटग्रस्त।
      • सुमात्रन राइनो: गंभीर रूप से संकटग्रस्त।
  • थीम 2021: कीप द फाइव अलाइव (Keep the five Alive)।
  • उद्देश्य: सुरक्षा को मज़बूत करना, विचरण क्षेत्र का विस्तार, अनुसंधान और निगरानी, पर्याप्त एवं निरंतर वित्तपोषण।

 एक सींग वाले गैंडे 

  •  एक सींग वाले गैंडे के बारे में:
    • इसे इंडियन राइनो के रूप में भी जाना जाता है, यह राइनो प्रजातियों में सबसे बड़ा है। इस गैंडे की पहचान एकल काले सींग और त्वचा के सिलवटों के साथ भूरे रंग से होती है। भारत विश्व में एक सींग वाले गैंडे की सर्वाधिक संख्या वाला देश है।
    • ये मुख्य रूप से घास, पत्तियों, झाड़ियों और पेड़ों की शाखाओं, फल तथा जलीय पौधे की चराई (Graze) करते हैं।
    • वर्तमान में भारत में लगभग 2,600 इंडियन राइनो हैं, जिनकी 90% से अधिक आबादी असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में केंद्रित है।
  • आवास:
    • यह प्रजाति इंडो-नेपाल तराई क्षेत्र, उत्तरी पश्चिम बंगाल और असम तक सीमित है।
    • भारत में गैंडे मुख्य रूप से पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य, राजीव गांधी ओरंग नेशनल पार्क, असम के काजीरंगा और मानस राष्ट्रीय उद्यान,जलदापारा राष्ट्रीय उद्यान, गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान तथा उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिज़र्व में पाए जाते हैं।
  • खतरा:
    • सींगों के लिये शिकार
    • प्राकृतिक वास का नुकसान
    • जनसंख्या घनत्व
    • घटती आनुवंशिक विविधता
  • संरक्षण स्थिति:
    • IUCN की रेड लिस्ट: सुभेद्य (Vulnerable)।
    • CITES: परिशिष्ट- I (इसमें ‘लुप्तप्राय’ प्रजातियों को शामिल किया जाता है, इनका व्यापार किये जाने के कारण इन्हें और अधिक खतरा हो सकता है)
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची- I
  • भारत द्वारा किये गए संरक्षण प्रयास:
    • न्यू डेल्ही डिक्लेरेशन ऑन एशियन राइनोज़ 2019:राइनो रेंज़ के पाँच देशों (भारत, भूटान, नेपाल, इंडोनेशिया और मलेशिया) ने इन प्रजातियों के संरक्षण एवं सुरक्षा के लिये न्यू डेल्ही डिक्लेरेशन ऑन एशियन राइनोज़ (The New Delhi Declaration on Asian Rhinos), 2019 पर हस्ताक्षर किये हैं।
    • सभी गैंडों का डीएनए प्रोफाइल बनाना: यह परियोजना अवैध शिकार को रोकने और गैंडों से जुड़े वन्यजीव अपराधों में सबूत इकट्ठा करने में मदद करेगी।
    • राष्ट्रीय राइनो संरक्षण रणनीति: इस रणनीति को वर्ष 2019 में बड़े सींग वाले गैंडों के संरक्षण के लिये शुरू किया गया था।
    • इंडियन राइनो विज़न 2020: इसे वर्ष 2005 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य एक सींग वाले गैंडों की आबादी को वर्ष 2020 तक भारतीय राज्य असम के सात संरक्षित क्षेत्रों में 3,000 से अधिक करना था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस