विश्व जनसंख्या संभावनाएँ 2022 | 12 Jul 2022

प्रिलिम्स के लिये:

जनसांख्यिकीय लाभांश, मृत्यु दर, प्रजनन दर, एसडीजी।

मेन्स के लिये:

विश्व जनसंख्या संभावनाएंँ 2022।

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र की विश्व जनसंख्या संभावना (WPP) रिपोर्ट के 2022 संस्करण के अनुसार, भारत के वर्ष 2023 में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन से आगे निकलने का अनुमान है।

World-Population-Prospects

विश्व जनसंख्या संभावनाएँ:

  • संयुक्त राष्ट्र का जनसंख्या प्रभाग वर्ष 1951 से द्विवार्षिक रूप में WPP प्रकाशित कर रहा है।
  • WPP का प्रत्येक संशोधन वर्ष 1950 से शुरू होने वाले जनसंख्या संकेतकों की एक ऐतिहासिक समय शृंखला प्रदान करता है।
  • यह प्रजनन, मृत्यु दर या अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन में पिछले रुझानों के अनुमानों को संशोधित करने के लिये नए जारी किये गए राष्ट्रीय डेटा को ध्यान में रखते हुए ऐसा करता है।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • जनसंख्या वृद्धि: लेकिन वृद्धि दर कम
    • वैश्विक जनसंख्या वर्ष 2030 में लगभग 8.5 बिलियन, वर्ष 2050 में 9.7 बिलियन और वर्ष 2100 में 10.4 बिलियन तक बढ़ने की संभावना है।
    • वर्ष 1950 के बाद पहली बार वर्ष 2020 में वैश्विक विकास दर 1% प्रति वर्ष से कम हुई
  • दरें देशों और क्षेत्रों में बहुत भिन्न हैं:
    • वर्ष 2050 तक वैश्विक जनसंख्या में अनुमानित वृद्धि का आधे से अधिक केवल आठ देशों में केंद्रित होगा:
      • ये हैं- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, मिस्र, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और संयुक्त गणराज्य तंजानिया।
    • 46 सबसे कम विकसित देश (LDCs) दुनिया के सबसे तेज़ी से जनसंख्या वृद्धि वाले देशों में से हैं।
  • बुजुर्गों की बढ़ती आबादी:
    • 65 वर्ष या उससे अधिक आयु की वैश्विक आबादी का हिस्सा वर्ष 2022 में 10% से बढ़कर वर्ष 2050 में 16% होने का अनुमान है।
  • जनसांख्यिकीय विभाजन:
    • प्रजनन क्षमता में निरंतर गिरावट के कारण कामकाजी उम्र (25 से 64 वर्ष के बीच) की जनसंख्या में वृद्धि हुई है, जिससे प्रति व्यक्ति त्वरित आर्थिक विकास का अवसर पैदा हुआ है।
    • आयु वितरण में यह बदलाव त्वरित आर्थिक विकास के लिये एक समयबद्ध अवसर प्रदान करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन:
    • कुछ देशों की जनसंख्या प्रवृत्तियों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रवास का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है।
    • वर्ष 2000 और वर्ष 2020 के बीच उच्च आय वाले देशों की जनसंख्या वृद्धि में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास का योगदान जन्म-मृत्यु संतुलन से अधिक हो गया।
    • प्रवासअगले कुछ दशकों में उच्च आय वाले देशों में जनसंख्या वृद्धि का एकमात्र चालक होगा।

भारत से संबंधित निष्कर्ष:

  • वर्ष 1972 में भारत की विकास दर 2.3% थी, जो अब घटकर 1% से भी कम हो गई है।
    • इस अवधि में प्रत्येक भारतीय महिला के अपने जीवनकाल में बच्चों की संख्या लगभग 5.4 से घटकर अब 2.1 से भी कम हो गई है।
    • इसका मतलब यह है कि भारत ने प्रतिस्थापन प्रजनन दर प्राप्त कर ली है, जिस पर एक आबादी अपने आपको एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में बदल देती है।
  • प्रजनन दर में गिरावट आ रही है और साथ ही स्वास्थ्य देखभाल और चिकित्सा में प्रगति के चलते मृत्यु दर में भी गिरावट दर्ज की गई है।
    • 0-14 वर्ष और 15-24 वर्ष की जनसंख्या में गिरावट जारी रहेगी, जबकि आने वाले दशकों में 25-64 और 65+ की जनसंख्या में वृद्धि जारी रहेगी।
  • उत्तरोत्तर पीढ़ियों के लिये समय से पहले मृत्यु दर में यह कमी, जन्म के समय जीवन प्रत्याशा के बढ़े हुए स्तरों में परिलक्षित होती है, यह भारत में जनसंख्या वृद्धि का कारक रहा है।

पहल:

  • वृद्ध आबादी वाले देशों को सामाजिक सुरक्षा और पेंशन प्रणालियों की स्थिरता में सुधार एवं सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल तथा दीर्घकालिक देखभाल प्रणालियों की स्थापना सहित वृद्ध व्यक्तियों के बढ़ते अनुपात में सार्वजनिक कार्यक्रमों को अनुकूलित करने के लिये कदम उठाने चाहिये।
  • अनुकूल आयु वितरण के संभावित लाभों को अधिकतम करने के लिये देशों को सभी उम्र में स्वास्थ्य देखभाल और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंँच सुनिश्चित करके एवं उत्पादक रोज़गार तथा अच्छे काम के अवसरों को बढ़ावा देकर अपनी मानव पूंजी के विकास में निवेश करने की आवश्यकता है।
  • पहले से ही 25-64 आयु वर्ग के लोगों को कौशल की आवश्यकता है, जो यह सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है कि वे अधिक उत्पादक हों और बेहतर आय अर्जित करें।
  • 65+ आयु श्रेणी काफी तेज़ी से बढ़ने वाली है और इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह भविष्य की सरकारों के समक्ष संसाधनों पर दबाव को बढ़ाएगा। यदि वृद्ध परिवार के ढांँचे के भीतर रहते हैं, तो सरकार पर बोझ कम हो सकता है। "अगर हम अपनी जड़ों या परंपराओं की ओर वापस जाते हैं तथा परिवार के रूप में रहते हैं (जैसा कि पश्चिमी प्रवृत्ति के व्यक्तिवाद के खिलाफ है), तो चुनौतियांँ कम होंगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस