संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट : जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रहा है एसडीजी का लक्ष्य | 22 Jun 2018

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में भूख से पीड़ित लोगों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। वर्तमान में दुनिया में लगभग 38 मिलियन से अधिक लोग कुपोषित हैं, जिनकी संख्या में वृद्धि देखने को मिली है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 में 777 मिलियन लोग भूख से पीड़ित थे, जिनकी संख्या वर्ष 2016 में बढ़कर 815 मिलियन हो गई है।

संयुक्त राष्ट्र के सतत्त विकास लक्ष्य 2018 की रिपोर्ट
UN’s Sustainable Development Goals 2018 report

  • संयुक्त राष्ट्र के सतत्त विकास लक्ष्य 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में विश्व के 18 देशों में खाद्य असुरक्षा का मुख्य कारक ‘संघर्ष’ (conflict) है। भूख से पीड़ित लोगों की संख्या में लंबे समय तक गिरावट के बाद विश्व में एक बार फिर से इनकी जनसंख्या में वृद्धि हो रही है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली आपदाएँ, संघर्ष और सूखा आदि कुछ ऐसे प्रमुख कारक हैं, जिनके परिणामस्वरूप इस स्थिति में परिवर्तन हुआ है। हिंसक संघर्षों के चलते वर्ष 2017 में 68.5 मिलियन लोगों को मजबूरन विस्थापित हों पड़ा।

आर्थिक नुकसान

  • इस रिपोर्ट के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन के निरंतर बदलते स्वरूप के चलते होने वाली चरम मौसमी घटनाओं के प्रभाव को भी ध्यान में रखा गया है। इसके अनुसार केवल वर्ष 2017 में मौसमी आपदाओं के कारण विश्व अर्थव्यवस्था को 300 अरब डॉलर का नुक्सान हुआ।
  • हाल के वर्षों में हुआ यह सबसे बड़ा नुकसान है, निरंतर आ रहे चक्रवातों के चलते सबसे अधिक क्षति संयुक्त राज्य अमेरिका एवं अन्य दूसरे कैरीबियन देशों को हुई है।
  • हालाँकि इस रिपोर्ट के अंतर्गत देश-विशिष्ट डेटा बहुत कम दिया गया है, तथापि इन 17 एसडीजी को पूरा करने हेतु विभिन्न क्षेत्रों के प्रदर्शनों की जाँच की गई है। एसडीजी को 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों द्वारा अपनाया गया था। इन्हें पूरा करने की अंतिम समयसीमा 2030 निर्धारित की गई है। 

संयुक्त राष्ट्र का एजेंडा 2030 (17 विकास लक्ष्य)

I. गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति।
II. भूख को मिटाना, साथ ही खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण एवं टिकाऊ कृषि को बढ़ावा।
III. सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा।
IV. समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना।
V. लैंगिक समानता की स्थिति प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों का सशक्तिकरण करना।
VI. सभी के लिये स्वच्छता और सतत् प्रबंधन द्वारा पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
VII. सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना।
VIII. सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत् आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोजगार तथा बेहतर कार्य को बढ़ावा देना।
IX. लचीले बुनियादी ढाँचे, समावेशी और सतत् औद्योगीकरण को बढ़ावा।
X. देशों के बीच और देश के भीतर असमानता को कम करना।
XI. सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ शहर एवं मानव बस्तियों का निर्माण।
XII. स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना।
XIII. जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई करना।
XIV. स्थायी सतत् विकास के लिये महासागरों, समुद्र और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग।
XV. सतत् उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना।
XVI. सतत् विकास के लिये शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेह बनाना ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित हो सके।
XVII. सतत् विकास के लिये वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्ति कार्यान्वयन के साधनों को मज़बूत बनाना।

  • दक्षिण एशिया (जिसमें भारत भी शामिल है) में बाल विवाह की दरों में गिरावट की प्रवृत्ति देखने को मिली है, वर्ष 2000 की तुलना में 2017 में इस दर में 40% की कमी आई है।
  • वहीं दूसरी तरफ, इस क्षेत्र के कई देशों में भूजल के स्तर में भी भारी कमी देखने को मिली है जो कि आने वाले समय में भारी जल संकट की स्थिति का संकेत है।
  • दुनिया भर के शहरी इलाकों में रहने वाले 10 में से नौ लोग प्रदूषित हवा में साँस ले रहे हैं, दक्षिणी एशियाई क्षेत्र में यह स्थिति और भी अधिक खराब है।
  • इसी प्रकार, दक्षिण एशियाई क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति और स्वच्छता की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है, हालाँकि इस अंतर को कम करने की दिशा में निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।

तात्कालिक कार्रवाई की आवश्यकता

एसडीजी प्राप्ति की समयसीमा 2030 तय की गई है जिसे प्राप्त करने को केवल 12 साल का समय शेष है, अत: न लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिये। 2030 एजेंडा प्राप्त करने के लिये सभी स्तरों पर सरकारों और हितधारकों के बीच सहयोगी साझेदारी के साथ त्वरित कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है।