वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक | 28 Jul 2021

प्रिलिम्स के लिये

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व आर्थिक आउटलुक

मेन्स के लिये

भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति और सुधार संबंधी उपाय

चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक’ के नवीनतम संस्करण में वर्ष 2021 के भारत विकास अनुमान को 12.5% (अप्रैल 2021) ​​से घटाकर 9.5% कर दिया गया है।

  • ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ ने अपने पूर्वानुमान में परिवर्तन करते हुए मुख्यतः दो कारकों यथा- टीकों तक पहुँच और नए कोरोना-वेरिएंट के जोखिम पर ध्यान केंद्रित किया है।

प्रमुख बिंदु

भारतीय अर्थव्यवस्था:

  • वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 9.5% की दर से और वर्ष 2022 में 8.5% (अप्रैल में अनुमानित 6.9% से अधिक) की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
    • वर्ष 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8% का अनुमानित संकुचन देखा गया था।
  • ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण भारत की विकास के अनुमान में कटौती की है, क्योंकि इसके कारण रिकवरी की गति प्रभावित हुई है और साथ ही उपभोक्ता विश्वास एवं ग्रामीण मांग को भी नुकसान पहुँचा है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था:

  • वर्ष 2021 के लिये वैश्विक विकास पूर्वानुमान को 6% पर बरकरार रखा गया है और वर्ष 2022 के लिये इसके 4.9% की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
    • वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3.3% का संकुचन हुआ था।

वैश्विक व्यापार मात्रा

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वैश्विक व्यापार की मात्रा में वृद्धि के अपने अनुमान को भी वर्ष 2021 के लिये 130 bps से बढ़ाकर 9.7% कर दिया है, वहीं वर्ष 2022 के लिये यह 50 bps बढ़कर 7% पर पहुँच गया है।
    • आपूर्ति पक्ष में तेज़ी आने और वैश्विक व्यापार संभावनाओं में अपेक्षित वृद्धि से भारत को भी काफी लाभ प्राप्त होगा।

सुझाव:

  • सख्त बाहरी वित्तीय स्थितियाँ:
    • उभरते बाज़ारों को जहाँ संभव हो ऋण परिपक्वता अवधि को बढ़ाकर और बिना बचाव वाले विदेशी मुद्रा ऋण के निर्माण को सीमित करके संभवत: सख्त बाहरी वित्तीय स्थितियों (Tighter External Financial Condition) के लिये तैयार रहना चाहिये।
  • समय से पूर्व सख्त नीतियों से बचना:
    • केंद्रीय बैंकों को अस्थायी मुद्रास्फीति (Inflation) दबावों का सामना करने के लिये समय से पहले सख्त नीतियों से बचना चाहिये, लेकिन अगर मुद्रास्फीति के संकेत दिखाई देते हैं, तो इन्हें जल्दी प्रतिक्रिया हेतु तैयार रहना चाहिये।
  • स्वास्थ्य खर्च को प्राथमिकता दें:
    • राजकोषीय नीति (Fiscal Policy) को स्वास्थ्य व्यय (टीका उत्पादन और वितरण बुनियादी ढाँचे, कर्मियों तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों) को बढ़ावा देने के लिये प्राथमिकता देना जारी रखना चाहिये।
      • राजकोषीय नीति वह साधन है जिसके द्वारा सरकार किसी देश की अर्थव्यवस्था की निगरानी और उसे प्रभावित करने के लिये अपने खर्च के स्तर तथा कर दरों को समायोजित करती है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

  • इसकी स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) के पश्चात् युद्ध प्रभावित देशों के पुनर्निमाण में सहायता के लिये विश्व बैंक (World Bank) के साथ की गई थी।  
    • इन दोनों संगठनों की स्थापना के लिये अमेरिका के ब्रेटन वुड्स में आयोजित एक सम्मेलन में सहमति बनी। इसलिये इन्हें ‘ब्रेटन वुड्स ट्विन्स’ (Bretton Woods Twins) के नाम से भी जाना जाता है।
  • वर्ष 1945 में स्थापित IMF विश्व के 189 देशों द्वारा शासित है तथा यह अपने निर्णयों के लिये इन देशों के प्रति उत्तरदायी भी है। भारत 27 दिसंबर, 1945 को IMF में शामिल हुआ था।   
  • IMF का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करना है। अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली से आशय विनिमय दरों और अंतर्राष्ट्रीय भुगतान की उस प्रणाली से है जो देशों (और उनके नागरिकों) को एक-दूसरे के साथ लेन-देन करने में सक्षम बनाती है।
    • IMF के अधिदेश में वैश्विक स्थिरता से संबंधित सभी व्यापक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों को शामिल करने के लिये वर्ष 2012 में इसे अद्यतन/अपडेट किया गया था।
  • IMF द्वारा जारी महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट:

वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक

  • यह IMF का एक सर्वेक्षण है जिसे आमतौर पर अप्रैल और अक्तूबर के महीनों में वर्ष में दो बार प्रकाशित किया जाता है।
  • यह भविष्य के चार वर्षों तक के अनुमानों के साथ निकट और मध्यम अवधि के दौरान वैश्विक आर्थिक विकास का विश्लेषण तथा भविष्यवाणी करता है।
  • पूर्वानुमान के अपडेट्स की बढ़ती मांग को देखते हुए वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट जनवरी और जुलाई में प्रकाशित किया जाता है, जो आमतौर पर अप्रैल और अक्तूबर में प्रकाशित होने वाली मुख्य WEO रिपोर्टों के बीच का समय है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस