कार्य आधारित लैंगिक अंतराल | 08 Mar 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि भारत और चीन में महिलाओं की रोजगार दर में पुरुषों की तुलना में अधिक तेज़ी से गिरावट आई है।

प्रमुख बिंदु

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation- ILO) ने हाल ही में एक रिपोर्ट, ’अ क्वांटम लीप फॉर जेंडर इक्वलिटी: फॉर अ बेटर फ्यूचर ऑफ़ वर्क फॉर आल (A Quantum leap for gender equality: For a better future of work for all)’ जारी किया।
  • यह रिपोर्ट ILO की पहल “वूमन एट वर्क सेंटेनरी (Women at Work Centenary)” के पाँच साल के अवलोकन पर आधारित है।

इस रिपोर्ट के अनुसार

  • एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सबसे गतिशील अर्थव्यवस्थाओं, भारत और चीन, में बेहतर शिक्षा, जागरूकता के बावजूद महिलाओं की रोज़गार दर पुरुषों की तुलना में अधिक स्पष्ट रूप से गिरती हुई दिखती है।
  • जनसांख्यिकी के अलावा कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का औद्योगिक अर्थव्यवस्था में तेज़ी से रूपांतरण एवं औद्योगिक क्षेत्रों में महिलाओं की दृष्टि से आधारभूत सुविधाओं का अभाव इसका एक मुख्य कारण है।
  • प्रबंधन में शीर्ष पदों पर महिलाओं के नेतृत्व में कमोबेश वही स्थिति है जो 30 वर्ष पूर्व थी।
  • विश्व स्तर पर अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में अधिक शिक्षित होने के बाद भी प्रबंधन के शीर्ष पर एक-तिहाई से भी कम महिलाएँ हैं।
  • पाँच अलग-अलग देशों में लिंक्डइन की सहायता से 22% वैश्विक नियोजित जनसंख्या के वास्तविक समय में प्राप्त आँकड़ों के अध्ययन के पश्चात् यह सामने आया है कि रोजगार दर में गिरावट और महिलाओं को कम वेतन मिलने का मुख्य कारण शिक्षा नहीं है।
  • साथ ही वर्तमान में डिजिटल कौशल युक्त महिलाओं की विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के क्षेत्र में उच्चतम भुगतान वाली नौकरियों में सबसे अधिक मांग हैं।
  • हालाँकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शीर्ष पर पहुँचने वाली महिलाएँ अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कम-से-कम 1 वर्ष पहले पहुँचती हैं।
  • भारत में रोजगार में लिंग अंतराल की एक गंभीर तस्वीर को चित्रित करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि वर्तमान में केवल 86,362 महिला लिंक्डइन सदस्य भारत में निदेशक स्तर के पदों पर पहुँची हैं, जबकि पुरुषों की संख्या 407,316 है इसके अलावा, भारत में लिंक्डइन के केवल 23% सदस्य डिजिटल कौशल से युक्त थे।
  • 2018 में भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं के रोज़गार दर में 26 प्रतिशत की कमी थी। इसके अलावा 2005 और 2015 के बीच छह साल से कम उम्र के बच्चों और बिना छोटे बच्चों वाली वयस्क महिलाओं के रोजगार अनुपात में अंतर 38% तक बढ़ गया। इसे ‘मातृत्व रोज़गार जुर्माना’ नाम से उल्लिखित किया गया है।
  • कई कारक रोज़गार की समानता में बाधक हैं, और सबसे बड़ी भूमिका इन क्षेत्रों में महिलाओं के अनुरूप आधारभूत सुविधाओं का न होना है।

निष्कर्ष

पिछले 20 वर्षों में महिलाओं ने अवैतनिक देखभाल और घरेलू कार्यों में जितना समय बिताया है वह शायद ही आगे कम हो और पुरुषों के लिये दिन में कार्य की अवधि में सिर्फ आठ मिनट की वृद्धि हुई है। परिवर्तन की इस गति पर समानता हासिल करने में 200 साल से अधिक समय लगेगा।

स्रोत: लाइवमिंट