व्यापक पूर्वोत्तर मानसून: IMD | 27 Oct 2021

प्रिलिम्स के लिये: 

भारत मौसम विज्ञान विभाग, मानसून 

मेन्स के लिये: 

पूर्वोत्तर मानसून के कारक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 24 अक्तूबर, 2021 तक तमिलनाडु में व्यापक वर्षा की चेतावनी जारी की थी।

  • प्रायः पूर्वोत्तर मानसून 20 अक्तूबर के आसपास लौटता है।

Monsoon-in-India

प्रमुख बिंदु

  • मानसून के विषय में:
    • आमतौर पर दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में मानसून का अनुभव लगभग 20°N और 20°S के बीच होता है।
    • भारत की जलवायु को 'मानसून' के रूप में वर्णित किया जाता है।
    • एशिया में इस प्रकार की जलवायु मुख्य रूप से दक्षिण और दक्षिण-पूर्व में पाई जाती है।
    • भारत में वर्षा:
      • दक्षिण-पश्चिम मानसून: देश की वार्षिक वर्षा का लगभग 75% जून और सितंबर के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून से प्राप्त होता है।
      • पूर्वोत्तर मानसून: यह अक्तूबर से दिसंबर के दौरान आता है।
  • पूर्वोत्तर मानसून (NEM):
    • शीतकालीन मानसून: यह अपेक्षाकृत छोटे पैमाने पर होता है और केवल दक्षिणी प्रायद्वीप तक ही सीमित रहता है।
      • इसे शीत मानसून भी कहा जाता है।
    • पूर्वोत्तर मानसून के कारक:
      • हवा के पैटर्न में बदलाव: अक्तूबर के मध्य तक देश से दक्षिण-पश्चिम मानसून की पूर्ण वापसी के बाद हवा का पैटर्न तेज़ी से दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा में बदल जाता है।
      • चक्रवाती गतिविधियाँ: दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के बाद की अवधि यानी अक्तूबर से दिसंबर तक की अवधि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी को कवर करने वाले उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में चक्रवाती गतिविधि के लिये महत्त्वपूर्ण समय है।
        • निम्न दबाव प्रणालियों, अवसादों या चक्रवातों के निर्माण से जुड़ी हवाएँ इस मानसून को प्रभावित करती हैं, इसलिये वर्षा होती है।
      • वैश्विक जलवायु पैरामीटर: पूर्वोत्तर मानसूनी वर्षा वैश्विक जलवायु मापदंडों जैसे- ENSO (अल नीनो/ला नीना और दक्षिणी दोलन सूचकांक- SOI), हिंद महासागर डिपोल (IOD) एवं मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) से भी प्रभावित होती है।
        • अल नीनो, सकारात्मक IOD और ‘मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन’ प्रायः बेहतर पूर्वोत्तर मानसूनी वर्षा से जुड़े होते हैं।
        • साथ ही सीज़न की दूसरी छमाही के दौरान ला नीना और सकारात्मक SOI भी बेहतर पूर्वोत्तर मानसून गतिविधि के लिये अनुकूल हैं।
    • संबंधित क्षेत्र:
      • तमिलनाडु, पुद्दुचेरी, कराईकल, तटीय आंध्र प्रदेश, केरल, उत्तर कर्नाटक, माहे और लक्षद्वीप।
      • इस अवधि के दौरान तमिलनाडु अपनी वार्षिक वर्षा का लगभग 48% रिकॉर्ड करता है, जिससे यह राज्य में कृषि गतिविधियों और जलाशय प्रबंधन हेतु महत्त्वपूर्ण है।

स्रोत: द हिंदू