ब्राज़ील के नए कीटनाशक नियम | 06 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ब्राज़ील की स्वास्थ्य निगरानी एजेंसी एनविसा (Anvisa) ने कीटनाशकों से संबंधित नए नियमों को मंज़ूरी दी है जिनके अनुसार यदि कीटनाशकों से ‘मृत्यु का जोखिम’ उत्पन्न होता है तो ब्राज़ील में कीटनाशकों को ‘अत्यंत विषैले’ के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।

नियमों में ढील देना

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) कीटनाशकों को विषाक्तता के आधार पर चार वर्गों में वर्गीकृत करता है: बेहद खतरनाक, अत्यधिक खतरनाक, मध्यम रूप से खतरनाक और कम खतरनाक।
  • नए नियमों के अनुसार, 'बेहद खतरनाक और ज़हरीले कीटनाशकों' को अब निचली श्रेणियों में पुनर्वर्गीकृत किया जाएगा।
  • इस प्रकार नए नियम मौजूदा वर्गीकरण मॉडल के विपरीत हैं जो त्वचा और आँखों में जलन जैसे अन्य प्रभावों के साथ-साथ मृत्यु के जोखिम पर भी विचार करते हैं।

ब्राज़ील, बीन्स और ग्लाइफोसेट (शाकनाशक)

  • दो साल पहले ब्राज़ील दुनिया में सोयाबीन का शीर्ष निर्यातक था और विश्व के आधे सोयाबीन बाज़ार पर इसी का कब्ज़ा था, इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान था।
  • ब्राज़ील के सोयाबीन निर्यात ने पिछले साल 83.6 मिलियन टन का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस वर्ष भी, यह चीन की बढ़ती मांग के कारण विश्व स्तर पर सोयाबीन का प्रमुख निर्यातक होने के मार्ग पर है।
  • लेकिन इसमें कीटनाशक एक बड़ी अड़चन है।
  • ब्राज़ील के किसान देश की प्रमुख निर्यात फसलों- सोयाबीन, मक्का, गन्ना, कॉफी, चावल, बीन्स, और कपास को उगाने में कीटनाशकों का उपयोग करते हैं।

ब्राज़ीलियाई सोयाबीन हानिकारक क्यों है?

  • सोयाबीन एक प्रमुख फसल है जिस पर कीटनाशकों का प्रयोग बहुत अधिक होता है।
  • ब्राज़ील में कीटनाशक का उपयोग प्रति हेक्टेयर उत्पादन की तुलना में तीन गुना तेज़ी से बढ़ा है, सोयाबीन के उत्पादन में प्रति एक प्रतिशत की वृद्धि के साथ ही कीटनाशक के उपयोग में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • ध्यातव्य है कि ब्राज़ील में लगभग 95 प्रतिशत सोयाबीन, मक्का और कपास की फसल पर ग्लाइफोसेट का उपयोग किया जाता है और वास्तव में इसका कोई विकल्प भी उपलब्ध नहीं है।

ग्लाइफोसेट से होने वाले नुकसान

Glyphosate

  • व्यापक स्तर पर उपयोग किया जाने वाला यह कीटनाशक कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा है।
  • WHO के तहत एक अंतर-सरकारी एजेंसी इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (International Agency for Research on Cancer) द्वारा इस कीटनाशक को एक संभावित मानव कार्सिनोजेन (Human Carcinogen) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • जनवरी 2019 में सबसे पहले रूसी संघ के स्वास्थ्य प्राधिकरण ने ब्राज़ील के कृषि मंत्रालय को बताया था कि यदि रूस के बाज़ारों में भेजी जाने वाली फसलों में ग्लाइफोसेट कीटनाशक का प्रयोग होगा तो यह ब्राज़ीलियाई सोयाबीन को खरीदना बंद कर देगा।
  • रूस के बाद स्वीडन की सुपर मार्केट शृंखला Paradiset ने भी ब्राज़ील के सभी उत्पादों को हटाने के आदेश दिये थे और तब तक ब्राज़ील का बहिष्कार करने की घोषणा की थी जब तक कि ब्राज़ील की सरकार कीटनाशकों से संबंधित नीति में परिवर्तन नहीं करती।

ब्राज़ील तथा भारत

  • वर्ष 2017 में म्याँमार (60 प्रतिशत) और चीन (10 प्रतिशत) के बाद ब्राज़ील भारत में बीन्स का तीसरा सबसे बड़ा विक्रेता था तथा बाज़ार में इसकी हिस्सेदारी 6% प्रतिशत थी।
  • ब्राज़ील से भारत ने 34 मिलियन बीन्स का आयात किया और ब्राज़ील बीन इंस्टीट्यूट (Ibrafe) का उद्देश्य ब्राज़ील की व्यापार और निवेश संवर्द्धन एजेंसी (Apex-Brasil) तथा ब्राज़ील के कृषि, पशुधन एवं खाद्य आपूर्ति मंत्रालय (Brazilian Ministry of Agriculture, Livestock and Food Supply-MAPA) के समर्थन से वर्ष 2020 तक ब्राज़ील के निर्यात को दोगुना करना है।
  • पिछले साल आयातित दालों में ग्लाइफोसेट की मौजूदगी चिंता का विषय रही है और इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, कोडेक्स मानकों में निर्दिष्ट दालों में 'ग्लाइफोसेट' के लिये MRL को आयात के लिये मंज़ूरी के रूप में अंतिम माना जाएगा।

आगे की राह

  • चूँकि भारत के पास ग्लाइफोसेट की अधिकतम अवशिष्ट सीमाओं के संबंध में कोई निर्धारित मानक नहीं हैं, इसलिये FSSAI ने WHO और FAO द्वारा गठित एक संयुक्त समिति कोडेक्स एलिमेथ्रिस (Codex Alimentarius) द्वारा निर्धारित मानकों का उपयोग करने का निर्णय लिया है।
  • समिति द्वारा निर्धारित सीमाओं के अनुपालन के लिये उत्पादों के आयातित शिपमेंट के परीक्षण का सुझाव भी दिया गया है।
  • ऐसी संभावनाएँ भी व्यक्त की जा रही हैं कि ब्राज़ील भविष्य में अपने कीटनाशक नियमों में संशोधन कर सकता है तथा कीटनाशकों के प्रयोग के संबंध में नियमों में और अधिक ढील दे सकता है। ऐसे में वैश्विक उपभोक्ताओं या आयातक देशों को ब्राज़ील से फसलों को आयात करने की मंज़ूरी देते समय सतर्क रहने की ज़रूरत है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ