थाईलैंड में सरकार विरोधी प्रदर्शन | 17 Oct 2020

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थाईलैंड की अवस्थिति

मेन्स के लिये

सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का कारण, थाईलैंड में तख्तापलट का इतिहास

चर्चा में क्यों?

थाईलैंड में हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों के मद्देनज़र थाईलैंड की सरकार ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करते हुए सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया है और मीडिया पर भी सेंसरशिप लागू कर दी है।

प्रमुख बिंदु

  • प्रदर्शनकारियों ने सरकार द्वारा लागू किये गए आपातकालीन प्रतिबंधों को खारिज करते हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों को जारी रखने का आह्वान किया है।

आंदोलन की शुरुआत- कारण 

  • असल में थाईलैंड में सरकार विरोधी प्रदर्शनों की शुरुआत वर्ष 2019 में तब हुई थी, जब थाईलैंड की अदालत ने वहाँ के प्रधानमंत्री और पूर्व आर्मी चीफ प्रयुत चान-ओ-चा की सत्ता का विरोध कर रही ‘फ्यूचर फॉरवर्ड पार्टी’ पर प्रतिबंध लगा दिया था।
  • जब वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस ने महामारी का रूप लिया तो इसके प्रसार को रोकने के लिये विरोध प्रदर्शनों को भी रोक दिया गया, किंतु जुलाई ये प्रदर्शन एक बार फिर तेज़ होने लगे और देश भर में छात्र इस प्रदर्शन का हिस्सा बनने लगे।
  • हालाँकि इन्हें थाईलैंड में हो रहे विरोध प्रदर्शनों का तात्कालिक कारण ही माना जा सकता है, जबकि इन विरोध प्रदर्शनों का मुख्य कारण तो थाईलैंड की तख्तापलट की संस्कृति में छिपा हुआ है।

आंदोलन की पृष्ठभूमि

  • थाईलैंड की जनता के वर्तमान असंतोष को वर्ष 2014 में हुए सैन्य तख्तापलट से जोड़कर देखा जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पूर्व आर्मी चीफ प्रयुत चान-ओ-चा (Prayut Chan-O-Cha) थाईलैंड की सत्ता के शीर्ष पर पहुँचे थे। 
  • आर्मी चीफ प्रयुत चान-ओ-चा के सत्ता में आने के बाद से वे लगातार अपनी पकड़ को मज़बूत करने का प्रयास कर रहे हैं और आम जनता पर अधिक-से-अधिक प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं।
    • कई सरकार विरोधी कार्यकर्त्ता, जो कि तख्तापलट के दौरान थाईलैंड के पड़ोसी देशों में चले गए थे, अब लापता हो गए हैं और किसी को उनके बारे में कोई खबर नहीं है।
  • वर्ष 2017 में प्रयुत चान-ओ-चा के नेतृत्त्व में सेना ने एक नया संविधान पेश किया, जिसने सेना को 250 सदस्यीय सीनेट नियुक्त करने की शक्ति दी और यह थाईलैंड के प्रधानमंत्री के चयन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
    • इसके अलावा थाईलैंड के राजा की विदेश यात्रा के दौरान एक राज-प्रतिनिधि नियुक्त करने की आवश्यकता भी समाप्त कर दी गई।
  • वर्ष 2019 में थाईलैंड में संसदीय चुनावों का भी आयोजन किया गया था, लेकिन सत्ता की कमान फिर भी पूर्व आर्मी चीफ प्रयुत चान-ओ-चा के पास ही रही। 
  • इस तरह सरकार में सेना के बढ़ते प्रभाव के परिणामस्वरूप आम जनता के बीच सैन्य तानाशाह को लेकर आक्रोश बढ़ता गया।

प्रदर्शनकारियों की मांग

  • अगस्त माह में प्रदर्शनकारियों ने थाईलैंड के राजतंत्र में सुधार का आह्वान किया था, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों द्वारा राजतंत्र में सुधार करने और सही मायने में लोकतंत्र स्थापित करने के लिये 10 मांगों की एक सूची जारी की गई, जिसमें शामिल हैं-
    • संविधान के अनुच्छेद 6 को निरस्त करना, जो यह निर्धारित करता है कि कोई भी व्यक्ति थाईलैंड के राजा के बारे में कानूनी शिकायत नहीं कर सकता है। साथ ही राजा की शक्तियों पर ‘चेक एंड बैलेंस’ की प्रणाली लागू करने के लिये संसद को शक्ति प्रदान करना।
    • संविधान के अनुच्छेद 112 (यानी ‘लेज़ मेजस्टे’ कानून) को समाप्त करना, जिसमें कहा गया है कि कोई भी राजा, रानी अथवा उनके उत्तराधिकारी की आलोचना नहीं कर सकता है। कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को 3-15 वर्ष तक की सज़ा हो सकती है। इस तरह लोगों को राजतंत्र की आलोचना करने के लिये स्वतंत्रता प्रदान करना।
    • राजा की व्यक्तिगत संपत्ति को शाही बजट से अलग करना, जो कि थाईलैंड के करदाताओं का धन है।
    • देश की आर्थिक स्थिति के अनुसार शाही बजट में कटौती करना।
    • अनावश्यक निकायों जैसे- प्रिवी काउंसिल (Privy Council) को समाप्त करना, साथ ही राजा की सैन्य शक्तियों को समाप्त करना।
    • शाही खर्च की निगरानी के लिये ‘चेक एंड बैलेंस’ की प्रणाली लागू करना।
    • यह निर्धारित करना की राजा अपने राजनीतिक दृष्टिकोण को सार्वजनिक नहीं करेगा।
    • राजशाही को आवश्यकता से अधिक आदर्श बताने वाले शैक्षिक पाठ्यक्रम को समाप्त करना।
    • ऐसे नागरिकों की हत्या के मामलों की जाँच करना जो राजशाही की आलोचना से संबंधित हैं।
    • राजा सैन्य तख्तापलट का समर्थन नहीं करेगा।
  • इसके अलावा थाईलैंड में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा वहाँ के प्रधानमंत्री और पूर्व आर्मी चीफ प्रयुत चान-ओ-चा के इस्तीफे की भी मांग की जा रही है। प्रदर्शनकारी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की भी मांग कर रहे हैं। 

थाईलैंड की तख्तापलट संस्कृति 

  • विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कोई देश एक बार तख्तापलट का सामना करना करता है तो वहाँ भविष्य में तख्तापलट की संभावना काफी बढ़ जाती है।
  • आँकड़ों की मानें तो थाईलैंड में वर्ष 1932 के बाद से अब तक कुल 13 सफल और 9 असफल सैन्य तख्तापलट हुए हैं। 
  • इस प्रकार थाईलैंड में तख्तापलट की संस्कृति विकसित हो गई है, यानी अब थाईलैंड में प्रत्येक राजनीतिक संकट को हल करने के लिये तख्तापलट को एक विकल्प के रूप में देखा जाता है।
  • कारण 
    • थाईलैंड में सैन्य तख्तापलट का इतिहास बताता है कि यहाँ के सैन्य प्रमुखों के लिये तख्तापलट काफी कम जोखिम वाली गतिविधि है और तख्तापलट करने वाले किसी भी सैन्य प्रमुख पर कभी कोई कार्यवाही नही होती है।
    • थाईलैंड में सैन्य तख्तापलट का एक मुख्य कारण यह भी है कि यहाँ तख्तापलट करने वाले लोगों को बड़े पूंजीपतियों, उद्योगपतियों और प्रतिष्ठित लोगों का काफी समर्थन मिलता है, उदाहरण के लिये थाईलैंड के वर्तमान राजा पर वर्ष 2014 में तख्तापलट करने वाले पूर्व आर्मी चीफ प्रयुत चान-ओ-चा को समर्थन देने का आरोप लगाया जाता है।

थाईलैंड के बारे में

thailand

  • दक्षिण-पूर्व एशिया के केंद्र में स्थित थाईलैंड एक विविध पारिस्थितिक तंत्र वाला देश है, जहाँ पहाड़ी वन क्षेत्रों से लेकर मैदानी इलाके, पठार और समुद्री तट तक सब कुछ पाया जाता है।
  • तकरीबन 5,13,115 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस देश की आबादी लगभग 69 मिलियन है।
  • थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक है और यह एक बहु-जातीय राष्ट्र है, हालाँकि यहाँ अधिकांशतः बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग पाए जाते हैं। 
  • ‘थाई’ (Thai) थाईलैंड की राष्ट्रीय और आधिकारिक भाषा है।

 

स्रोत: द हिंदू