भारत की आर्थिक संवृद्धि का द्योतक : समग्र विकास दर में 62वाँ स्थान | 23 Jan 2018

चर्चा में क्यों?

स्विट्ज़रलैंड के दावोस में सालाना विश्‍व आर्थिक मंच (World Economic Forum -WEF) के शुरू होने से पहले इंटरनेशनल राइट्स ग्रुप ऑक्सफैम आवर्स द्वारा दुनिया में बढ़ रहे धन के समान वितरण के संबंध में रिवॉर्ड वर्क, नॉट वेल्थ नामक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, गत वर्ष देश के कुल धन में 73 फीसदी का योगदान भारत के एक फीसद अमीर लोगों का था। जबकि देश की लगभग आधी आबादी (67 करोड़ जनसंख्या) जो कि गरीब है की आय में मात्र एक फीसदी की ही बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इतना ही नहीं देश की सबसे गरीब आबादी (3.7 करोड़) की आय में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। आय में असमानता की यह चिंताजनक तस्वीर वैश्विक स्तर पर तो और भी अधिक गंभीर है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • वैश्विक स्तर पर कुल अर्जित धन में से 82 फीसदी धन दुनिया की सबसे अमीर आबादी (एक फीसदी) ने अर्जित किया है।
  • इस समय वार्षिक ऑक्सफैम सर्वे की यह रिपोर्ट इसलिये भी अधिक महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि दावोस में शुरू होने जा रहे वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम के अंतर्गत 'बढ़ती आय' और 'लिंग असामनता' के मुद्दे पर व्यापक चर्चा होने जा रही है।
  • दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं।
  • यह एक बेहद चिंताजनक स्थिति को इंगित करता है कि भारत में आर्थिक विकास का लाभ केवल कुछ ही लोगों को मिल रहा है।
  • किसी देश में अरबपतियों की संख्या में बढ़ोतरी एक संपन्न अर्थव्यवस्था का संकेत नहीं होती है, बल्कि यह एक असफल आर्थिक व्यवस्था का एक लक्षण होती है। स्पष्ट रूप से किसी भी समाज में बढ़ती आय असमानता लोकतंत्र को कमज़ोर बनाने के साथ-साथ भ्रष्टाचार जैसे अनेकों दोषों को बढ़ावा प्रदान करती है।

समग्र विकास दर में भारत का स्थान

  • समावेशी विकास के संबंध में विश्व की सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत को 62वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। हालाँकि, भारत के लिये चिंता की बात यह है कि इस सूची में चीन (26) एवं पाकिस्तान (47) को भारत से अच्छी रेटिंग दी गई है।
  • यदि इस सन्दर्भ में पिछले साल के आँकड़ों का अध्ययन किया जाए तो ज्ञात होता है कि पिछले साल 79 विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में भारत 60वें स्थान पर था जबकि चीन 15वें एवं पाकिस्तान 52वें स्थान पर था।

वैश्विक स्थिति

  • वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम के इस वार्षिक सूचकांक के अनुसार, समावेशी अर्थव्यवस्थाओं के मामले में जहाँ नॉर्वे विश्व की सबसे समेकित उन्नत अर्थव्यवस्था है, जबकि लिथुआनिया उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की सूची में सबसे ऊपर है। 
  • उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में नॉर्वे के बाद शीर्ष पाँच में आयरलैंड (Ireland), लक्ज़मबर्ग (Luxembourg), स्विट्ज़रलैंड (Switzerland) और डेनमार्क (Denmark) का स्थान है।
  • शीर्ष पाँच उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में लिथुआनिया (Lithuania), हंगरी(Hungary), अज़रबैजान (Azerbaijan), लाटविया (Latvia) और पोलैंड (Poland) हैं।
  • 2018 के सूचकांक में  निम्नलिखित 3 अलग-अलग आधार स्तंभों पर विश्व की 103 अर्थव्यवस्थाओं की प्रगति को मापा गया है - संवृद्धि और विकास, समावेन और अंतर-पीढ़ीगत समानता। 
  • इन 103 अर्थव्यवस्थाओं को दो भागों में विभाजित किया गया है। पहले भाग में 29 विकसित अर्थव्यवस्थाओं को और दूसरे भाग में 74 उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को शामिल किया गया है।
  • समावेशी सूचकांक के निर्माण में जीवन स्तर, पर्यावरण अनुकूलता, बुनियादी सुविधाओं जैसे मानकों को आधार बनाया गया है।
  • इस रिपोर्ट के तहत विश्व के सभी समृद्ध देशों से समावेशी विकास और विकास के नए मॉडल के लिये तत्काल कदम उठाने की अपील की गई है, जो कि आर्थिक उपलब्धि के एक उपाय के रूप में जीडीपी पर निर्भरता अल्पकालिकता और असमानता को बढ़ावा दे रहा है।

भारत की स्थिति

  • इस समग्र आँकडाबद्ध विवरण के बावजूद, भारत 'बढ़ती' प्रवृत्ति के साथ विश्व की 10 उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। केवल दो उन्नत अर्थव्यवस्थाओं ने ही 'आगे बढ़ने' का रुझान दिखाया है।
  • शीर्ष 10 उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में ऑस्ट्रेलियाई (9) एकमात्र गैर-यूरोपीय अर्थव्यवस्था है। जी 7 अर्थव्यवस्थाओं में जर्मनी (12) सबसे ऊँचे स्थान पर है, इसके बाद कनाडा (17), फ्राँस (18), ब्रिटेन (21), अमेरिका (23), जापान (24) और इटली (27) का नंबर आता है।
  • इस सूचकांक में ब्रिक्स देशों का प्रदर्शन मिश्रित रहा है, जिसमें रूस (19), चीन (26), ब्राज़ील (37), भारत (62) और दक्षिण अफ्रीका (69) स्थान पर है।
  • सूचकांक बनाने वाले तीन स्तंभों में से समावेशन के संदर्भ में भारत को 72वाँ स्थान प्राप्त हुआ है, विकास दर के संबंध में 66वाँ स्थान प्राप्त हुआ है तथा अंतर-पीढ़ीगत समानता के संदर्भ में 44वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
  • इस सूची में भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका (40), बांग्लादेश (34) और नेपाल (22) भी शामिल हैं। भारत से बेहतर प्रदर्शन करने वाले देशों में माली, युगांडा, रवाँडा, बुरुंडी, घाना, यूक्रेन, सर्बिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया, ईरान, मैसेडोनिया, मैक्सिको, थाईलैंड और मलेशिया को शामिल किया गया है।
  • डब्ल्यूईएफ के अनुसार, 2012 से जीडीपी में प्रति व्यक्ति विकास दर (6.8 प्रतिशत) और श्रम उत्पादकता वृद्धि दर (6.7 प्रतिशत) में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में चीन का प्रथम स्थान है।

2018 में 7.4 फीसदी की गति से बढ़ेगी भारत की GDP : IMF

  • इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ( International Monetary Fund - IMF) ने उम्मीद जताई है कि भारत की GDP 2018 में 7.4 फीसदी की गति से बढ़ेगी, जबकि चीन 6.8 फीसदी की रफ्तार हासिल करेगा। नोटबंदी और जीएसटी की वज़ह से आई सुस्ती को पीछे छोड़ते हुए भारत उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ी से विकास करेगा। 
  • स्विट्ज़रलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम के इतर वर्ल्ड इकॉनमिक आउटलुक (World Economic Outlook - WEO) द्वारा नए आँकड़े जारी किये गए हैं।
  • IMF द्वारा कहा गया है कि वर्ष 2019 में भारत की विकास दर में वृद्धि जारी रहने की संभावना है, साथ ही विकास दर 7.8 फीसदी रहने की उम्मीद है।
  • अक्तूबर 2017 में भी भारत के लिये समान ग्रोथ रेट की संभावना जताई गई थी। इस अवधि में चीन क्रमश: 6.6 और 6.4 फीसदी की गति से विकास करेगा। 
  • IMF द्वारा उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिये 2018 और 2019 में कुल वृद्धि दर के अनुमान में कोई बदलाव नहीं होने की संभावना व्यक्त की गई है। 
  • IMF ने कहा कि 2017 में वैश्विक उत्पादन की वृद्धि दर 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह 2016 की तुलना में आधा प्रतिशत अंक अधिक है। 
  • वृद्धि दर में बढ़ोतरी व्यापक रही है। यूरोप और एशिया में वृद्धि दर में बढ़ोतरी हैरान करने वाली है। 
  • IMF ने 2018 और 2019 में वैश्विक वृद्धि दर के अनुमान को 0.2 प्रतिशत बढ़ाकर 3.9 प्रतिशत कर दिया है।