अर्थ ओवरशूट डे | 31 Jul 2019

चर्चा में क्यों?

ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क (Global Footprint Network) द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, अर्थ ओवरशूट डे (Earth Overshoot Day) बीते 20 वर्षों में खिसककर 2 महीने पहले आ चुका है।

प्रमुख बिंदु:

  • “इस वर्ष अर्थ ओवरशूट डे 29 जुलाई को ही आ गया था, जिसका अर्थ है कि हम प्राकृतिक संसाधनों का 1.75 गुना अधिक तेज़ी से प्रयोग कर रहे हैं।
  • वनों की कटाई सहित मृदा अपरदन, जैव विविधता की हानि और कार्बन डाइऑक्साइड का लगातार बढ़ता स्तर आदि इसके प्रमुख कारण हैं।

अर्थ ओवरशूट डे:

अर्थ ओवरशूट डे का अभिप्राय एक ऐसे पैमाने से है जिसके आधार पर वर्तमान प्राकृतिक संसाधनों की खपत का पता लगाया जाता है।

  • अर्थ ओवरशूट डे की गणना 1986 से की जा रही है और यह प्रत्येक वर्ष निकट आता जा रहा है। वर्ष 1993 में यह 21 अक्तूबर को आया था, वर्ष 2003 में यह 22 सितंबर को आया था और वर्ष 2017 में यह दिन 2 अगस्त को आया था।

क्या किया जा सकता है?

  • शाकाहारी भोजन का प्रयोग:
    • यदि हम सभी मांस के प्रयोग को लगभग 50 प्रतिशत तक कम कर दें तो खाद्य ज़रूरतों के कारण पृथ्वी हरी-भरी रहेगी और अर्थ ओवरशूट डे लगभग 15 दिन आगे खिसक जाएगा।
  • कार्बन उत्सर्जन में कमी:
    • कार्बन का अत्यधिक उत्सर्जन इस त्रासदी का सबसे प्रमुख कारण है और इसलिये यदि हमें इस समस्या से निपटना है तो कार्बन के न्यूनतम उत्सर्जन को सुनिश्चित करना होगा।
  • खाद्य पदार्थों की बर्बादी को रोकना:
    • यदि हम खाद्य पदार्थों की बर्बादी को रोकने में सफल रहते हैं तो अर्थ ओवरशूट डे को 10 दिन और आगे खिसका सकते है।

निष्कर्ष:

हम 1.75 गुना तेज़ी से पृथ्वी के संसाधनों का लगातार इस्तेमाल नहीं कर सकते है। यदि यही स्थिति बनी रहती है तो जल्द ही ऐसा समय आएगा जब हम साल की शुरुआत में ही एक साल के संपूर्ण प्राकृतिक संसाधन खर्च कर देंगे। अर्थ ओवरशूट डे के संदर्भ में हमें गंभीरता से विचार करना चाहिये और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हुए विकास के कुछ नए विकल्पों को खोजने का प्रयास करना चाहिये।

स्रोत: टाइम्स ऑफ़ इंडिया