जल अलवणीकरण संयंत्र पर्यावरण के लिये हानिकारक : UN | 15 Jan 2019

चर्चा में क्यों?


हाल ही में UN (United Nation) की एक रिपोर्ट में बताया गया कि दुनिया भर में संचालित अलवणीकरण संयंत्रों (Desalination Plants) से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँचा रहा है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • हाल ही में UN की एक रिपोर्ट में पाया गया कि दुनिया भर में संचालित लगभग 16,000 अलवणीकरण संयंत्रों से निकलने वाले अत्यधिक लवणीय अपशिष्ट जल और विषाक्त रसायन पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँचा रहे हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, अलवणीकरण संयंत्र (Desalination Plants) प्रतिदिन 142 मिलियन क्यूबिक मीटर लवण (पिछले अनुमानों की तुलना में 50% अधिक शुद्ध जल प्राप्त करने के लिये) का उत्पादन करते हैं।
  • उच्च लवणीय जल को अधिकतर समुद्र में प्रवाहित किया जाता है, जो समुद्र में एक वर्ष में लगभग एक फीट की तेज़ी से इकठ्ठा हो रहे हैं। इसके फलस्वरूप वहाँ शुष्क क्षेत्रों का निर्माण हो रहा है।
  • कनाडा स्थित ‘इंस्टीट्यूट फॉर वाटर, एनवायरमेंट एंड हेल्थ’ (Institute for Water, Environment and Health) के अध्ययन के अनुसार सऊदी अरब (Saudi Arabia), संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) और कतर (Qatar) में समुद्री जल को संशोधित करने वाले विलवणीकरण संयंत्रों से लगभग 55% ब्राइन (Brine-खारा जल) का उत्पादन होता है।
  • ब्राइन में लगभग 5% नमक एवं विषैले पदार्थ जैसे - क्लोरीन और तांबा इत्यादि होते हैं, जो अलवणीकरण में उपयोग किये जाते हैं। इसके विपरीत वैश्विक समुद्री जल में मात्र 3.5% (के लगभग) नमक/लवण पाया जाता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, ब्राइन समुद्री मछलियों, केकड़ों और अन्य समुद्री जीवों एवं वनस्पतियों के लिये अत्यंत हानिकारक है, क्योंकि इससे समुद्री जल में विद्यमान ऑक्सीजन का स्तर भी कम हो सकता है, जिसका खाद्य श्रृंखला पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
  • पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना बढ़ती आबादी के लिये ताज़े पानी को सुरक्षित करना वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती है जिसके सम्बन्ध में पर लगातार शोधकार्य किये जा रहे हैं।

अलवणीकरण प्रक्रिया


इस प्रक्रिया में लवणीय जल से लवण एवं अन्य खनिज पदार्थों/घटकों को अलग करके शुद्ध जल प्राप्त किया जाता है।


स्रोत – द हिंदू