समुद्री बादलों पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव | 26 Feb 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शोधकर्त्ताओं द्वारा यह चेतावनी जारी की गई कि यदि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति तीन गुना हो जाती है तो समुद्री बादल जो सूर्य की किरणों को परावर्तित कर पृथ्वी को हॉटहाउस (Hothouse) की स्थिति से संरक्षण प्रदान करते हैं, नष्ट हो सकते हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, यह स्थिति जलवायु में होने वाले परिवर्तन का परिणाम है जिससे हम सभी अनजान थे।
  • स्ट्रैटोक्यूम्यूलस (Stratocumulus) प्रकार के बादल उपोष्ण कटिबंधीय महासागरों के लगभग 20 प्रतिशत भाग को आच्छादित करते हैं, जो कि अधिकतर पश्चिमी समुद्र तटों जैसे - कैलिफोर्निया (California), मेक्सिको (Mexico) और पेरू (Peru) के तटों के पास पाए जाते हैं।
  • अध्ययन के अनुसार, अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब ये बादल गायब हो जाते हैं तो पृथ्वी लगभग आठ डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाती है। ग्लोबल वार्मिंग के इस प्रत्यक्ष प्रभाव के कारण ग्रीनहाउस सांद्रता में तीव्र वृद्धि हो जाएगी।
  • तापमान बढ़ने से ध्रुवीय बर्फ (Polar Ice) पिघल जाएगी इसके फलस्वरूप समुद्र का जल-स्तर लगभग दस मीटर तक बढ़ जाएगा।
  • आखिरी बार लगभग 50 मिलियन साल पहले इओसीन युग (Eocene Epoch) के दौरान जब यह ग्रह गर्म था उस समय मगरमच्छ आर्कटिक में घूमते थे।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, यह प्रभाव मानव की अनुकूलन क्षमता को नष्ट कर सकता है।
  • 19वीं शताब्दी के मध्य के बाद से एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि जो कि पिछले 50 वर्षों में तीव्र हुई है, समुद्री चक्रवातों (Cyclones) के साथ-साथ हीटवेव (Heatwaves), सूखा (Droughts) और बाढ़ (Flooding) की विषम स्थितियाँ पैदा करने के लिये पर्याप्त है।
  • 2015 की पेरिस जलवायु संधि को तापमान वृद्धि में कमी लाने हेतु राष्ट्रों द्वारा कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के लिये लाया गया है।

स्रोत- द हिंदू