गिद्धों की संख्या में बढ़ोतरी | 29 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

एक हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है कि नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व (Nilgiris Biosphere Reserve) में गिद्धों की संख्या में वर्ष 2012 से 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

प्रमुख बिंदु:

  • अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2012 में नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व में गिद्धों की संख्या लगभग 152 थी। गिद्धों की संख्या में वर्ष 2014 तक वृद्धि हुई, परंतु वर्ष 2015 और 2016 में इनकी संख्या फिर से घटने लगी जिसके बाद वर्ष 2018 में यह संख्या एक बार फिर बढ़कर 192 हो गई।

गिद्धों की संख्या में वृद्धि के कारण

  • विभिन्न क्षेत्रों में गिद्धों की संख्या में कमी का सबसे प्रमुख कारण ज़हरीले मांस का सेवन है।
  • चूँकि अधिकतर किसान पालतू जानवरों को बीमारी की दशा में कई प्रकार की दवाएँ देते हैं और जब उन जानवरों का मांस गिद्ध खाते हैं तो वे भी बीमार हो जाते हैं।
  • इस क्षेत्र में गिद्धों की संख्या बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण यह है कि यहाँ पशु मांस की मांग बहुत ज़्यादा बढ़ गई थी जिसके कारण पशु मालिक बीमार पशुओं को बूचड़खाने में भेज देते थे और बीमारी की दशा में पशुओं को दवाएँ देने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
  • ज्ञातव्य है कि विभिन्न दवाओं का गिद्धों पर पड़ने वाले असर की विस्तृत व्याख्या वर्ष 2008 में सत्यमंगलम टाइगर रिज़र्व की एक कार्यशाला में की गई थी।

वन्यजीव संरक्षण के प्रयास

  • 1990 के दशक में पश्चिमी घाटों और शेष भारत में गिद्धों की आबादी में काफी गिरावट देखने को मिली, जिसके बाद निरंतर निगरानी और संरक्षण प्रयासों के कारण पिछले दशक में गिद्धों की संख्या में काफी सुधार हुआ।
  • एक अन्य कदम के तहत यह तय किया गया है कि पशुपालन विभाग (Department of Animal Husbandry) उन विभिन्न घातक एवं ज़हरीली दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगाएगा जो पशुओं को उनकी बीमारी के समय दी जाती हैं।
  • इसका उद्देश्य इस बात को सुनिश्चित करना है कि ज़हरीले मांस का सेवन करने से गिद्धों की मृत्यु न हो।

स्रोत: द हिंदू