तमिलनाडु में ‘वंदे मातरम्’ अनिवार्य | 26 Jul 2017

संदर्भ
मद्रास उच्च न्यायालय ने एक आदेश के तहत तमिलनाडु के शैक्षणिक एवं सरकारी संस्थानों में, कम से कम सप्ताह में एक दिन, राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ का गायन अनिवार्य कर दिया है। 

प्रमुख घटनाक्रम  

  • न्यायालय ने इसके लिये सोमवार या शुक्रवार का दिन सुझाया है । जस्टिस मुरलीधरन  ने कहा कि यदि लोगों को यह लगता है कि राष्ट्रगीत को संस्कृत या बंगाली में गाया जाना कठिन है तो वे इसका तमिल में अनुवाद कर सकते हैं।
  • न्यायालय ने यह भी सपष्ट किया कि यदि किसी को राष्ट्रगीत से किसी तरह की समस्या है, तो उसे राष्ट्रगीत को ज़बरन गाने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता है, बशर्ते उसके/उनके पास ऐसा न करने के लिये कोई ठोस कारण हो। 

‘वंदे मातरम्’ से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य 

  • इसकी रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने सन 1876 में की थी। इसके प्रारंभिक दो पद संस्कृत में, जबकि शेष पद बांग्ला भाषा में थे। सन 1882 में उन्होंने इसे अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंद मठ’ में सम्मिलित किया। 
  • सन 1896 में रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने पहली बार ‘वंदेमातरम्’ को  बंगाली शैली में लय और संगीत के साथ कलकत्ता (अब कोलकाता) के कांग्रेस अधिवेशन में गाया था। 
  • ‘वंदेमातरम्’ का  अंग्रेज़ी में अनुवाद सबसे पहले अरविन्द घोष ने किया था।
  • सन 1905 में बंग-भंग आन्दोलन के समय इसे राष्ट्रीय गीत का दर्ज़ा प्राप्त हुआ तथा ‘वंदेमातरम्’ एक लोकप्रिय राष्ट्रीय नारा बना।
  • 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा ने इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में अंगीकार किया।

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय 

  • बंकिम चंद्र बांग्ला भाषा के एक प्रख्यात कवि एवं उपन्यासकार थे। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनका जन्म सन 1838 में एक समृद्ध बंगाली परिवार में हुआ था। उनकी पहली कृति ‘दुर्गेशनंदिनी’ थी।