वल्लियप्पन उलगनाथन चिदंबरम पिल्लई | 06 Sep 2022

प्रिलिम्स के लिये:

स्वतंत्रता आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय।

मेन्स के लिये:

वी. ओ. चिदंबरम पिल्लई।

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री ने 5 सितंबर, 2022 को महान स्वतंत्रता सेनानी वी.ओ.चिदंबरम पिल्लई को उनकी 151वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

  • वह एक लोकप्रिय कप्पलोटिया थमिज़ान (तमिल खेवनहार) और "चेक्किलुथथा चेम्मल" के रूप में जाने जाते थे।

Chidambaram-Pillai

चिदंबरम पिल्लई:

  • जन्म: वल्लियप्पन उलगनाथन चिदंबरम पिल्लई (चिदंबरम पिल्लई) का जन्म 5 सितंबर, 1872 को तमिलनाडु के तिरुनेलवेली ज़िले के ओट्टापिडारम् में एक प्रख्यात वकील उलगनाथन पिल्लई और परमी अम्माई के घर हुआ था।
  • प्रारंभिक जीवन: चिदंबरम पिल्लई ने कैलडवेल कॉलेज, तूतीकोरिन से स्नातक किया। अपनी कानून की पढ़ाई शुरू करने से पहले उन्होंने एक संक्षिप्त अवधि के लिये तालुका कार्यालय में क्लर्क के रूप में कार्य किया।
    • वर्ष 1900 में न्यायाधीश के साथ उनके विवाद ने उन्हें तूतीकोरिन में नए काम की तलाश करने के लिये बाध्य किया।
    • वर्ष 1905 तक वे पेशेवर और पत्रकारिता गतिविधियों में संलग्न रहे।
  • राजनीति में प्रवेश:
    • चिदंबरम पिल्लई ने 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद राजनीति में प्रवेश किया।
    • तूतीकोरिन (वर्तमान थूथुकुडी) में चिदंबरम पिल्लई के आने तक तिरुनेलवेली ज़िले में स्वदेशी आंदोलन ने गति प्राप्त करना शुरू नहीं किया था।
  • स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका:
    • 1906 तक चिदंबरम पिल्लई ने स्वदेशी स्टीम नेविगेशन कंपनी (SSNCO) के नाम से एक स्वदेशी मर्चेंट शिपिंग संगठन स्थापित करने के लिये तूतीकोरिन और तिरुनेलवेली में व्यापारियों एवं उद्योगपतियों का समर्थन हासिल किया।
      • उन्होंने स्वदेशी प्रचार सभा, धर्मसंग नेसावु सलाई, राष्ट्रीय गोदाम, मद्रास एग्रो-इंडस्ट्रियल सोसाइटी लिमिटेड और देसबीमना संगम जैसी कई संस्थाओं की स्थापना की।
    • चिदंबरम पिल्लई और शिवा को उनके प्रयासों हेतु तिरुनेलवेली स्थित कई वकीलों द्वारा सहायता प्रदान की गई, जिन्होंने स्वदेशी संगम या 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक' नामक एक संगठन का गठन किया।
    • तूतीकोरिन कोरल मिल्स की हड़ताल (1908) की शुरुआत के साथ राष्ट्रवादी आंदोलन ने एक द्वितीयक चरित्र प्राप्त कर लिया।
    • गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह (1917) से पहले भी चिदंबरम पिल्लई ने तमिलनाडु में मज़दूर वर्ग का मुद्दा उठाया था और इस तरह वह इस संबंध में गांधीजी के अग्रदूत रहे।
    • चिदंबरम पिल्लई ने अन्य नेताओं के साथ मिलकर 9 मार्च, 1908 की सुबह बिपिन चंद्र पाल की जेल से रिहाई का जश्न मनाने और स्वराज का झंडा फहराने के लिये एक विशाल जुलूस निकालने का संकल्प लिया।
  • कृतियाँ: मेयाराम (1914), मेयारिवु (1915), एंथोलॉजी (1915), आत्मकथा (1946), थिरुकुरल के मनकुदावर के साहित्यिक नोट्स के साथ (1917)), टोल्कपियम के इलमपुरनार के साहित्यिक नोट्स के साथ (1928)
  • मृत्यु: चिदंबरम पिल्लई की मृत्यु 18 नवंबर, 1936 को भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस कार्यालय तूतीकोरिन में हुई।

स्रोत: द हिंदू