उत्तर प्रदेश सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई अध्यादेश -2020 | 18 Mar 2020

प्रीलिम्स के लिये:

उत्तर प्रदेश सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई अध्यादेश -2020, लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984

मेन्स के लिये:

उत्तर प्रदेश सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई अध्यादेश -2020 से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने जुलूसों, विरोध प्रदर्शनों, बंद इत्यादि के दौरान नष्ट होने वाली संपति के नुकसान की भरपाई के लिये ‘उत्तर प्रदेश सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई अध्यादेश -2020’ ( Uttar Pradesh Recovery of Damage to Public and Private Property Ordinance-2020) पारित किया।

अध्यादेश के प्रावधान:

  • उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा सार्वजनिक और निजी संपत्ति की नुकसान की वसूली के दावे के लिए एक नया अधिकरण का गठन किया गया जिसका नेतृत्व राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक सेवानिवृत्त ज़िला न्यायाधीश द्वारा किया जाएगा और इसमें एक अतिरिक्त आयुक्त रैंक के अधिकारी को शामिल किया जा सकता है।
  • यह अध्यादेश एक ही घटना के लिये कई अधिकरणों के गठन की अनुमति देता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कार्यवाही तीन महीने के भीतर संपन्न हो जाए, साथ ही अधिकरण को एक ऐसे मूल्यांकनकर्त्ता की नियुक्ति का अधिकार है जो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त पैनल में हानि का आकलन करने हेतु तकनीकी रूप से योग्य हो।
  • अधिकरण के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियाँ होंगी एवं यह उसी तरीके से कार्य करेगा।
  • उसका निर्णय अंतिम होगा और किसी भी अदालत में उसके खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकेगी ।
  • अधिकरण के पास सबूतों और गवाहों की उपस्थिति से संबंधित मुद्दे की जाँच करने की शक्ति है।
  • अध्यादेश की धारा 3 के अनुसार, पुलिस का एक क्षेत्राधिकारी प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) के आधार पर घटना में हुए नुकसान की भरपाई हेतु दावा याचिका रिपोर्ट तैयार करेगा।
  • इस अध्यादेश में प्रावधान है कि क्षेत्राधिकारी की रिपोर्ट तैयार हो जाने पर ज़िला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त ‘दावा याचिका’ दायर करने हेतु तत्काल कदम उठाएंगे।
  • अध्यादेश की धारा 13 के तहत यदि आरोपी उपस्थित होने में विफल रहता है तो अधिकरण उसकी संपत्ति की कुर्की करने का आदेश जारी करेगा, साथ ही अधिकारियों को निर्देश देगा कि वे सार्वजनिक रूप से नाम, पता आदि के साथ उसकी तस्वीर प्रकाशित करें।

लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984:

(The Prevention of Damage to Public Property Act, 1984):

  • इस अधिनियम के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक संपत्ति को दुर्भावनापूर्ण कृत्य द्वारा नुकसान पहुँचाता है तो उसे पाँच साल तक की जेल अथवा जुर्माना या दोनों सज़ा से दंडित किया जा सकता है।
  • इस अधिनियम के अनुसार, लोक संपत्तियों में निम्नलिखित को शामिल किया गया है-
    • कोई ऐसा भवन या संपत्ति जिसका प्रयोग जल, प्रकाश, शक्ति या उर्जा के उत्पादन और वितरण किया जाता है।
    • लोक परिवहन या दूर-संचार का कोई साधन या इस संबंध में उपयोग किया जाने वाला कोई भवन, प्रतिष्ठान और संपत्ति।
    • खान या कारखाना।
    • सीवेज संबंधी कार्यस्थल।
    • तेल संबंधी प्रतिष्ठान।

आगे की राह:

सर्वोच्च न्यायालय निश्चित रूप से इस मुद्दे से उत्पन्न वैचारिक संकट को हल करने में सफल होगा लेकिन लोगों को यह भी समझना होगा कि आखिर स्वतंत्रता का अर्थ क्या है एवं राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक संपति को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिये। मुआवजे़ के उद्देश्य से यह अध्यादेश उपयुक्त है लेकिन इसे संवैधानिक ढाँचे का पालन करके लागू किया जाना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस