SHe-बॉक्स की उपयोगिता और विशाखा दिशा-निर्देश | 09 Nov 2017

चर्चा में क्यों?

  • महिलाओं के साथ कार्य-स्थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न को रोकने के लिये केंद्र सरकार ने एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है।
  • हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कामकाजी महिलाओं के लिये सेक्सुअल हैरासमेंट इलैक्ट्रॉनिक (sexual harassment electronic-SHe) बॉक्स लॉन्च किया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस बॉक्स की मदद से कार्य-स्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकार महिला अपनी शिकायत सीधे सरकार से कर सकती है। पीड़िता की शिकायत आने के बाद महिला मंत्रालय इस मामले की जाँच करेगा और सुनिश्चित करेगा कि महिला को न्याय मिले।
  • अब कोई भी महिला कर्मचारी, चाहे वह निजी क्षेत्र से संबंध रखती हो या  सार्वजनिक क्षेत्र से अपने साथ हुई बदसलूकी की शिकायत She-बॉक्स में कर सकती है। दरअसल, यह सुविधा अभी तक सिर्फ केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में काम कर रही महिला कर्मचारियों के लिये ही उपलब्ध थी।

क्यों महत्त्वपूर्ण है प्रयास?

  • विशाखा दिशा-निर्देश जैसे कई महत्त्वपूर्ण कानूनों की उपस्थिति के बावज़ूद महिलाओं को कार्य-स्थल पर यौन उत्पीडन का सामना करना पड़ता है।
  • SHe-बॉक्स में वे महिलाएँ भी शिकायत दर्ज़ करा सकती हैं, जिन्होंने अपने ऑफिस की आतंरिक जाँच समिति में शिकायत दर्ज़ कराई हुई है।
  • उत्पीड़न करने वाले को कानून के हिसाब से सज़ा दी जाएगी। वे अपनी नौकरी से हाथ धो सकते हैं, उनका प्रमोशन रुक सकता है और उन्हें जेल भी हो सकती है।
  • यह भी सुनिश्चित करना अहम् होगा कि किसी को परेशान करने के लिये झूठी शिकायतें दर्ज़ न की जाएँ, क्योंकि इससे यह मुहिम कमज़ोर हो सकती है।

क्या हैं विशाखा दिशा-निर्देश? 

  • ‘विशाखा बनाम राजस्थान राज्य’ मामले में फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ‘ऐसा कोई भी अप्रिय हाव-भाव, व्यवहार, शब्द या कोई पहल जो यौन प्रकृति की हो, उसे यौन उत्पीड़न माना जाएगा। 
  • अपने इस निर्णय में न्यायालय ने एक अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधि ‘दि कन्वेंशन ऑन दि एलिमिनेशन ऑफ ऑल फॉर्म्स ऑफ डिस्क्रिमिनेशन अगेंस्ट वुमन’ (सीएडीएडब्ल्यू) का संदर्भ लेते हुए कार्यस्थलों पर महिला कर्मियों की सुरक्षा को मद्देनज़र रखते हुए कुछ दिशा-निर्देश जारी किये, जिन्हें विशाखा दिशा-निर्देश के नाम से जाना जाता है, जो इस प्रकार हैं: 

♦ प्रत्येक रोज़गारप्रदाता का यह दायित्व होगा कि यौन उत्पीड़न से निवारण के लिये वह कंपनी की आचार संहिता में एक नियम शामिल करे।
♦ संगठनों को अनिवार्य रूप से एक शिकायत समिति की स्थापना करनी चाहिये, जिसकी प्रमुख कोई महिला होनी चाहिये।
♦ नियमों के उल्लंघनकर्त्ता के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिये और पीड़िता के हितों की रक्षा की जानी चाहिये।
♦  महिला कर्मचारियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाया जाना चाहिये। 

क्यों महत्त्वपूर्ण हैं विशाखा दिशा-निर्देश? 

  • वस्तुतः इस ऐतिहासिक फैसले में न्यायालय ने माना कि यौन उत्पीड़न की कोई भी घटना संविधान में अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत दिये गए मौलिक अधिकारों तथा अनुच्छेद 19 (1) के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है। 
  • उल्लेखनीय है कि विशाखा दिशा-निर्देशों के अनुसरण में ही नवंबर 2010 में ‘कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के विरुद्ध महिला सुरक्षा विधेयक’ अस्तित्व में आया। कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा के माध्यम से देश में महिला सशक्तीकरण की दिशा में विशाखा दिशा-निर्देशों का उल्लेखनीय महत्त्व है।