भारत को नाटो सहयोगी देश का दर्जा देने का प्रस्ताव | 18 Jun 2019

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में भारत को नाटो (North Atlantic Treaty Organization- NATO) सहयोगी के समान दर्जा देने के लिये अमेरिकी सीनेटरों ने हथियार निर्यात नियंत्रण अधिनियम (Arms export Control Act-AECA) में संशोधन की मांग की है।

मुख्य बिंदु

  • नाटो सहयोगी राज्यों के सामान स्थिति के लिये अमेरिका के ‘हथियार निर्यात नियंत्रण अधिनियम’ (AECA) में संशोधन आवश्यक है। इस संशोधन के बाद भारत प्रतिरक्षा से संबंधित अमेरिकी उच्च तकनीक को प्राप्त करने में सक्षम होगा।
  • यह संशोधन भारत को अमेरिका का प्रमुख रक्षा साझीदार बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
  • भारत पहले ही अमेरिका के साथ COMCASA (Communications, Compatibility and Security Agreement) पर हस्ताक्षर कर चुका है तथा BECA (Basic Exchange Cooperation Agreement) पर हस्ताक्षर करने की चर्चा में शामिल है।
  • 28-29 जून को मध्य जापान के ओसाका में आयोजित होने वाले G20 सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री एवं अमेरिकी राष्ट्रपति के मध्य वार्ता भी प्रस्तावित है। ऐसे में अमेरिकी सीनेटरों द्वारा इस प्रकार का प्रस्ताव अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
  • यह प्रस्ताव अमेरिकी राजनीति में भारतीय प्रभाव को दर्शाता है। किंतु प्रस्ताव के पारित होने के लिये इसको सीनेट और कांग्रेस से गुजरना पड़ेगा।

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो)

North Atlantic Treaty Organization (NATO)

यह अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1949 में की गई थी इसका मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स में अवस्थित है इस संगठन में अमेरिका तथा यूरोप के सभी प्रमुख देश शामिल है वर्तमान में इसके 29 राज्य सदस्य हैं।

NATO

हथियार निर्यात नियंत्रण अधिनियम (Arms export Control Act-AECA)

यह अमेरिकी अधिनियम है जो अमेरिकी राष्ट्रपति को प्रतिरक्षा से संबंधित सामग्रियों और सेवाओं के निर्यात पर नियंत्रण प्रदान करता है।

COMCASA: संगतता और सुरक्षा समझौता (Communications Compatibility and Security Agreement -COMCASA)

कूटबद्ध/एन्क्रिप्टेड संचार प्रणाली के हस्तांतरण को सरल बनाता है और उच्च तकनीक वाले सैन्य उपकरणों को साझा करने हेतु यह समझौता अमेरिका की प्रमुख आवश्यकता है।

BECA: मूल विनिमय और सहयोग समझौता (Basic Exchange and Cooperation Agreement)

यह भू-स्थानिक जानकारी के विनिमय को आसान बनाता है।

LEMOA: लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (Logistics Exchange Memorandum of Agreement) पर भारत ने वर्ष 2016 में हस्ताक्षर किये थे। यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं की एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं तक पहुँच को आसान बनाता है लेकिन यह इसे स्वचालित या अनिवार्य नहीं बनाता है।

GSOMIA: सैन्य सूचना समझौते की सामान्य सुरक्षा (General Security Of Military Information Agreement) पर भारत ने वर्ष 2002 में हस्ताक्षर किये थे। यह सेनाओं को उनके द्वारा एकत्रित खुफिया जानकारी साझा करने की अनुमति देता है।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)