शहरी बेरोज़गारी में गिरावट | 30 Oct 2020

प्रिलिम्स के लिये:

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय

मेन्स के लिये: 

देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी, बेरोज़गारी और रोज़गार से संबंधित प्रश्न

चर्चा में क्यों? 

हाल ही केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी तिमाही ‘आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण’ (Periodic Labour Force Survey- PLFS) के अनुसार, अक्तूबर 2018 से शहरी बेरोज़गारी की दर में लगातार गिरावट देखने को मिली है।

प्रमुख बिंदु:

  • PLFS के आँकड़ों के अनुसार, अक्तूबर-दिसंबर 2019 में शहरी क्षेत्रों में बेरोज़गारी की दर 7.9% रही, जो कि वर्ष 2018 में इसी अवधि के दौरान के आँकड़ों से 2% कम है।
  • गौरतलब है कि जुलाई-सितंबर 2019 में शहरी क्षेत्रों में बेरोज़गारी की दर 8.4%, अप्रैल-जून 2019 में 8.9% और अक्तूबर-दिसंबर 2018 की अवधि के दौरान 9.9% थी।
  • इस सर्वेक्षण के अनुसार, अक्तूबर-दिसंबर 2019 के दौरान 15-29 वर्ष आयु वर्ग में शहरी बेरोज़गारी 19.2% रही, जो कि जुलाई-सितंबर 2019 के 20.6% और अक्तूबर-दिसंबर 2018 के 23.7% से भी कम है।
  • गौरतलब है कि PLFS के तहत शहरी बेरोज़गारी के आँकड़ों को तिमाही रूप से जारी किया जाता है, इसके आँकड़े जुटाने की प्रक्रिया आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट से अलग होती है, जिसमें शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के आँकड़ों को भी शामिल किया जाता है।
  • हालिया सर्वेक्षण में 45,555 परिवारों के 1.79 लाख लोगों को शामिल किया गया था, जबकि जुलाई-सितंबर 2019 के सर्वेक्षण में 44,471 परिवारों के 1.79 लाख लोग शामिल थे।

महिला बेरोज़गारी दर: सर्वेक्षण के अनुसार, देश में महिला बेरोज़गारी की दर में वृद्धि देखने को मिली है। अक्तूबर-दिसंबर 2019 में महिला बेरोज़गारी की दर 9.8% रही, जो इसी वर्ष जुलाई-सितंबर (9.7%) के दौरान प्राप्त आंकड़ों से 0.1% अधिक है।

  • शहरी क्षेत्रों में महिला बेरोज़गारी की दर पिछले वर्ष की अक्तूबर-दिसंबर की 12.3% दर और अप्रैल-जून 2019 की 11.3% दर से कम बनी हुई है।

पुरुष बेरोज़गारी दर: अक्तूबर-दिसंबर 2019 के दौरान पुरुष बेरोज़गारी दर 7.3% रही, जो जुलाई-सितंबर 2019 की 8% दर और अक्तूबर-दिसंबर 2018 की 9.2% दर से कम है।

श्रम बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate- LFPR): अक्तूबर-दिसंबर 2019 में 37.2% दर के साथ LFPR में सुधार देखने को मिला। 

  • गौरतलब है कि जुलाई-सितंबर 2019 की तिमाही में यह 36.8% थी।  
  • राज्यों की स्थिति: इस सर्वेक्षण के अनुसार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तेलंगाना, केरल, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में श्रम बल भागीदारी दर का आँकड़ा राष्ट्रीय स्तर से अधिक रहा।

‘आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण’ (Periodic Labour Force Survey- PLFS): 

  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण भारत का पहल कंप्यूटर आधारित रोज़गार सर्वेक्षण है, इसकी शुरुआत वर्ष 2017 में केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा की गई थी।
  • PLFS रिपोर्ट ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय' (National Statistical Office- NSO) द्वारा जारी की जाती है।
  • इस सर्वेक्षण की शुरुआत राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा वर्ष 2009 में गठित कुंदू समिति (Kundu Committee) की सिफारिशों के आधार पर की गई थी।

‘राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय' (National Statistical Office- NSO):

  • केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 में राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Office- NSSO) और केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office- CSO) का विलय कर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की स्थापना की गई थी।
  • NSO, देश में सांख्यिकीय प्रणाली के नियोजित विकास के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करने के साथ ही भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों और राज्य सांख्यिकी ब्यूरो (SSB) के बीच सांख्यिकीय कार्य का समन्वय करता है।

रोज़गार और बेरोज़गारी के प्रमुख संकेतक:

  1. श्रम बल भागीदारी दर (LFPR):  LFPR, देश की कुल आबादी में से श्रम बल में शामिल लोगों के प्रतिशत को दर्शाता है। यहाँ श्रम बल का अर्थ उन लोगों से है जो या तो कार्य कर रहे हैं या काम की तलाश कर रहे हैं अथवा काम के लिये उपलब्ध हैं।  
  2. श्रमिक जनसंख्या अनुपात (Worker Population Ratio- WPR): WPR को जनसंख्या में नियोजित व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है।  
  3. बेरोज़गारी दर (UR) : इसे श्रम बल में शामिल कुल लोगों में बेरोज़गार व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस