कश्मीर पर UNSC प्रस्ताव 47 | 09 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 को भंग किये जाने के फैसले के संबंध में पाकिस्तान में आक्रोश का माहौल बना हुआ है। जहाँ एक ओर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इस फैसले को अवैध करार दे रहे है वहीं दूसरी ओर ऐसा कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा उठाया गया कोई भी एकतरफा कदम विवादित स्थिति को बदल नहीं सकता है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council-UNSC) के प्रस्तावों में निहित है। इस समस्त प्रकरण में UNSC प्रस्ताव 47 भी चर्चा का विषय बना हुआ है, यह प्रस्ताव क्या है? इसकी पृष्ठभूमि एवं अन्य महत्त्वपूर्ण मुद्दों के विषय में इस लेख में संक्षेप में चर्चा की गई है।

कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 47

UNSC Resolution 47

  • भारत के इस फैसले के संबंध में पाकिस्तान ने अपनी दलीलों में UNSC के प्रस्ताव 47 का उल्लेख किया है जो जम्मू-कश्मीर राज्य के विवाद के संबंध में भारत सरकार की शिकायत पर केंद्रित है, भारत ने जनवरी 1948 में सुरक्षा परिषद के समक्ष यह प्रस्ताव पेश किया था।
  • अक्तूबर 1947 में पाकिस्तानी कबीलाईयों द्वारा आक्रमण किये जाने के बाद कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत से सहायता माँगी तथा इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेस (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किये।
  • कश्मीर में प्रथम युद्ध (1947-1948) के बाद भारत ने कश्मीर विवाद को सुरक्षा परिषद के सदस्यों के मद्देनज़र लाने हेतु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से संपर्क किया।

UNSC के किन सदस्यों ने इस मुद्दे का निरीक्षण किया?

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने UNSC के स्थायी सदस्यों के साथ छह सदस्यों को शामिल कर जाँच परिषद में विस्तार किया।
  • इसमें पाँच स्थाई सदस्यों जिनमें चीन, फ्राँस, ब्रिटेन, अमेरिका और रूस शामिल थे तथा अस्थाई सदस्यों में अर्जेंटीना, बेल्ज़ियम, कनाडा, कोलंबिया, सीरिया एवं यूक्रेनी सोवियत संघ गणराज्य शामिल थे।

सुरक्षा परिषद में क्या हुआ?

  • भारत जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छा जानने हेतु विशिष्ट प्रस्ताव पर जनमत संग्रह कराने तथा उसके परिणामों को स्वीकार करने के लिये तैयार था।
  • पाकिस्तान ने इस विवाद में अपनी भागीदारी से इनकार कर दिया तथा भारत को ही इसके लिये ज़िम्मेदार ठहराया।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने संघर्ष को रोकने एवं स्वतंत्र तथा निष्पक्ष जनमत हेतु परिस्थितियाँ तैयार करने का आदेश दिया ताकि यह तय किया जा सके कि जम्मू- कश्मीर का भारत या पाकिस्तान में से किसके साथ विलय किया जाएगा।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान को क्या आदेश दिया?

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान को आदिवसियों और अन्य पाकिस्तानी नागरिक, जिन्होंने युद्ध के उद्देश्य से कश्मीर की सीमा में प्रवेश किया, को वापस बुलाने का आदेश दिया।
  • इसने पाकिस्तान को भविष्य में घुसपैठ रोकने एवं राज्य में युद्ध करने वाले लोगों को भौतिक सहायता प्रदान नहीं करने का आदेश दिया।
  • UNSC ने राज्य के सभी विषयों को पूर्ण स्वतंत्रता दी। पंथ, जाति या राजनितिक दल की परवाह किये बिना अपने विचारों को व्यक्त करने के लिये भी स्वतंत्रता प्रदान की गई और राज्य को विलय के मुद्दे पर मतदान करने की स्वतंत्रता दी गई।
  • पाकिस्तान को शांति और व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करने का भी आदेश दिया गया।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भारत को क्या आदेश दिये?

  • इसमें कहा गया कि राज्य से पाकिस्तानी लोगों की वापसी और युद्ध बंद हो जाने के बाद जम्मू-कश्मीर से अपनी सेना वापस बुलाने के लिये UNSC आयोग को एक योजना प्रस्तुत करनी होगी तथा सैन्य शक्ति को उस सीमा तक कम करना होगा जितना कानून और व्यवस्था बनाए रखने हेतु आवश्यक था।
  • भारत को आदेश दिया गया कि वह आयोग को उन चरणों से अवगत कराए जो सैन्य बल को कम करने तथा आयोग के परामर्श के बाद शेष सैनिकों की व्यवस्था करने के लिये भारत को अनुपालित करने थे।
  • अन्य निर्देशों के साथ भारत को इस बात पर सहमत होने का आदेश दिया गया कि जब तक जनमत संग्रह प्रशासक (Plebiscite Administrator) आवश्यक समझे राज्य के सैन्य बलों और पुलिस को दिशा निर्देश दे सके एवं उनका पर्यवेक्षण करें।
  • इन सैन्य बलों को उन क्षेत्रों में नियुक्त किया जाएगा जिन पर जनमत प्रशासक की सहमति हो।
  • इसने भारत को कानून और व्यवस्था हेतु स्थानीय कर्मियों की भर्ती करने एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने का भी निर्देश दिया।

भारत की प्रतिक्रिया

  • भारत ने प्रस्ताव 47 को नकार दिया।
  • भारत का तर्क था कि प्रस्ताव में पाकिस्तान द्वारा किये गए सैन्य आक्रमण को नज़रअंदाज़ किया गया, साथ ही दोनों देशों को एक समान राजनयिक आधार पर रखना पाकिस्तान के आक्रामक रवैये को खारिज करता है।
  • कश्मीर के महाराजा हरी सिंह द्वारा इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेस पर हस्ताक्षर किये गए थे, स्पष्ट रूप से इस संदर्भ में भारत के पास वैध अधिकार थे।
  • भारत ने इस प्रस्ताव के उस खंड पर भी आपत्ति जताई जिसमें भारत को कश्मीर में सैन्य उपस्थिति बनाए रखने की अनुमति न होने की बात कही गई, जबकि भारत अपनी रक्षा रणनीति के दृष्टिकोण इसे आवश्यक मानता था।
  • भारत का यह भी मानना था कि जनमत संग्रह के आधार पर सत्ता का निर्धारण राज्य की संप्रभुता को प्रभावित करेगा।

पाकिस्तान का पक्ष

  • भारत का पक्ष यह था कि पाकिस्तान को जनमत संग्रह के संचालन से बाहर रखा जाए।
  • दूसरी ओर पाकिस्तान को कश्मीर में न्यूनतम भारतीय सैन्य बलों की उपस्थिति (प्रस्ताव द्वारा प्रदत्त अनुमति के आधार पर) पर भी आपत्ति थी।
  • पाकिस्तान कश्मीर की राज्य सरकार में मुस्लिम कॉन्फ्रेंस का समान प्रतिनिधित्त्व चाहता था, जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की प्रमुख पार्टी थी।
  • प्रस्ताव 47 के प्रावधानों में मतभेदों के बावज़ूद भारत और पाकिस्तान दोनों ने संयुक्त राष्ट्र आयोग का स्वागत किया और इसके साथ काम करने हेतु सहमति व्यक्त की।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस