मानवरहित युद्ध प्रणाली और चिंताएँ | 07 Jan 2023

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय नौसेना, हिंद महासागर क्षेत्र, तटवर्ती क्षेत्र, कृत्रिम बुद्धिमत्ता

मेन्स के लिये:

मानव रहित युद्ध प्रणाली और चिंताएँ, युद्ध में AI

चर्चा में क्यों? 

भारत, सेना में मानव रहित लड़ाकू प्रणाली (UCS) को शामिल करने के अभियान पर है। अगस्त 2022 में इसने "स्वार्म ड्रोन" को अपने यंत्रीकृत बलों में शामिल किया, जो "फ्यूचर-प्रूफ" भारतीय नौसेना (IN) बनाने में स्वायत्त प्रणालियों के महत्त्व को दोहराता है।

  • सशस्त्र संघर्ष में इनके बढ़ते उपयोग के बावजूद कृत्रिम बुद्धिमत्ता युक्त मानव रहित युद्ध प्रणाली कानून, नैतिकता और उत्तरदायित्त्व के प्रश्न उठाती है।

मानव रहित युद्ध प्रणाली:

  • परिचय: 
    • मानव रहित युद्ध प्रणाली (UCS) भविष्य में युद्ध के नियमों को बदलने वाले नए युग के हथियार बनने जा रहे हैं तथा सैन्य शक्तियों के अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
    • 21वीं सदी के इन तथाकथित प्रमुख हथियारों के लिये सामान्यतः कोई स्वीकृत परिभाषा नहीं है।
    • अनुसंधान के अनुसार, UCS एक एकीकृत युद्ध प्रणाली है जिसमें मानव रहित लड़ाकू प्लेटफॉर्म, टास्क पेलोड, कमांड और कंट्रोल (C2) सिस्टम तथा नेटवर्क सिस्टम शामिल हैं।
    • क्षेत्र अनुप्रयोगों के लिये उन्हें वर्गीकृत किया जा सकता है,
      • डीप स्पेस मानव रहित प्रणाली
      • मानव रहित हवाई वाहन प्रणाली
      • स्थल मानव रहित प्रणाली
      • भूतल मानव रहित प्रणाली
      • जल के नीचे मानव रहित प्रणाली
  • महत्त्व: 
    • तेज़ी से जटिल अंतर्राष्ट्रीय स्थिति और क्रूर सैन्य युद्धों का सामना करने में लड़ाकू सैनिकों के जीवन और सुरक्षा को बहुत खतरा होता है। 
    • इस समय मानव रहित लड़ाकू प्रणाली तेज़ी से महत्त्वपूर्ण होती जा रही है तथा धीरे-धीरे युद्ध के मैदान पर एक महत्त्वपूर्ण हमला और रक्षा बल बन गई है। 
    • स्थल मानव रहित प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह मानव रहित भागीदारी के आधार पर कुछ हथियारों और उपकरणों को ले जा सकती है तथा टोही, निगरानी, ​​इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप एवं प्रत्यक्ष मुकाबला करने के लिये कॉन्फिगर किये गए वायरलेस संचार उपकरणों के माध्यम से इसे दूर से नियंत्रित किया जा सकता है।
    • UCS (Unmanned Combat Systems) में स्वचालन की उच्च क्षमता, बेहतर रिमोट नियंत्रण, आधुनिक डिजिटल संचार क्षमता, लक्ष्य का पता लगाने और पहचान करने की उत्कृष्ट क्षमता, बेहतर बचाव तथा ज़मीनी वातावरण के लिये मज़बूत अनुकूलन क्षमता है।

AI वारफेयर द्वारा उठाई गई नैतिक चिंताएँ:

  • साझा देयता का जोखिम:
    • AI युद्ध नेटवर्क प्रणालियों के बीच साझा दोष के अवसरों में वृद्धि करता है, खासकर जब हथियार एल्गोरिदम बाहरी स्रोतों से प्राप्त होते हैं और उपग्रह एवं लिंक सिस्टम जो युद्ध समाधान को सक्षम करते हैं, उपयोगकर्त्ता के नियंत्रण में नहीं होते हैं।
  • आत्मविश्वास की कमी:
    • AI में कुछ विशेष प्रकार के डेटा की पहचान करने की विशेषता है। डेटा के संग्रह में डेटा विश्लेषण के लिये निर्देशों के सेट और संभावित परिणामों के चयन में तर्कसंगत निर्णय लेने में गड़बड़ी होने पर AI तकनीक में में विश्वास कम हो जाता  है।
  • युद्ध के नियमों के साथ असंगत:
    • AI हथियार प्रणालियों को उन तरीकों से स्वचालित कर सकता है जो युद्ध के नियमों के साथ असंगत हैं।
  • परिणामों की सूचना:
    • कंप्यूटर संभाव्य आकलन के आधार पर मनुष्यों को लक्षित करने की एक प्रणाली है जो केवल मशीन से सीखे अनुभवों पर कार्य करती है।  कंप्यूटर के पास एक निर्धारित निर्णय लेने के लिये न तो सभी प्रासंगिक डेटा की उपलब्धता है और न ही यह पहचानता है कि इष्टतम समाधान को प्राप्त करने हेतु उसे कितनी जानकारी की आवश्यकता है।
    • यदि इसने युद्ध/संघर्ष में गलत तरीके से बल का प्रयोग किया है, तो किसी को जवाबदेह नहीं बनाया जा सकता है, क्योंकि मशीन पर दोष नहीं लगाया जा सकता है।

स्वार्म ड्रोन:

  • परिचय:
    • स्वार्म ड्रोन छोटे और हल्के हवाई वाहनों का एक संग्रह है जिसे एक ही स्टेशन से नियंत्रित किया जा सकता है।
    • ये ड्रोन उन्नत संचार प्रणालियों से लैस हैं जो उन्हें सामूहिक रूप से नियंत्रित करने में सक्षम बनाती हैं।
    • हमले और निगरानी मोड के लिये विभिन्न उड़ान संरचनाओं के निर्माण के लिये स्वार्म (swarm) ड्रोन संचार प्रणालियों के माध्यम से एक-दूसरे के साथ संपर्क भी कर सकते हैं। 
    • ये ड्रोन विरोधी इकाई के खिलाफ एक संयुक्त हमले का समन्वय कर सकते हैं और एक ही मिशन पर कई तरह के पेलोड ले जा सकते हैं।
    • स्वार्म/झुंड ड्रोन AI सॉफ्टवेयर और स्वार्मिंग एल्गोरिदम द्वारा संचालित होते हैं, जिससे उनमें मनुष्यों की न्यूनतम सहायता के साथ स्वायत्त रूप से कार्य करने की क्षमता होती है।  
      • अप्रत्याशित हमलों के मामले में AI प्रोग्राम का उपयोग लक्ष्यों की पहचान करने और प्रतिक्रिया को तीव्रता प्रदान करने के लिये भी किया जा सकता है। 
  • लाभ: 
    • हर मौसम में संचालन योग्य: स्वार्म/झुंड ड्रोन प्रणाली को अधिक ऊँचाई, खराब मौसम की स्थिति में भी इस्तेमाल किया जा सकता है
    • उच्च गति और चपलता: ये ड्रोन उन्नत मोटरों द्वारा संचालित होते हैं और इनमें 100 किमी. प्रति घंटे की गति से उड़ने की क्षमता होती है जो इसे सैन्य अभियानों के लिये उच्च गति व चपलता प्रदान करते हैं। 
    • विभिन्न प्रकार मिशनों के लिये नियोजित: ये सशस्त्र बलों द्वारा विभिन्न प्रकार के आक्रामक और रक्षात्मक अभियानों के लिये तैनात किये जा सकते हैं क्योंकि वे टैंकों, पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों, गोला-बारूद रखने वाले क्षेत्रों, ईंधन डंप और आतंकी लॉन्च पैड के खिलाफ हमला करने की क्षमता से पूर्ण हैं। 
    • ATR की विशेषता: स्वार्म ड्रोन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा संचालित हैं और स्वचालित लक्ष्य पहचान (Automatic Target Recognition- ATR) सुविधा से लैस हैं, जो उन्हें स्वचालित रूप से लक्ष्यों को पहचानने में सक्षम बनाता है। टैंकों, बंदूकों, वाहनों और मनुष्यों की पहचान करने तथा लक्ष्य भेदन संबंधी त्रुटि की संभावना को कम करने के लिये ऑपरेटरों की स्क्रीन पर जानकारी प्रदर्शित करने में सक्षम है। 

आगे की राह

  • सशस्त्र संघर्ष के सभी पक्षों को शत्रुता के दौरान सशस्त्र ड्रोन के किसी भी उपयोग को प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (International humanitarian law- IHL ) के सिद्धांतों का पालन करना चाहिये।  
  • अतः यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उनके द्वारा उपयोग किये जाने वाले किसी भी सशस्त्र ड्रोन से नागरिकों को कोई विशेष हानि न हो।
  • ड्रोन हमलों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिये पार्टियों को ड्रोन के उपयोग को नियंत्रित करने वाली अपनी नीतियों को स्पष्ट करने की आवश्यकता है, जिसमें यह भी शामिल है कि कैसे नागरिकों के नुकसान का आकलन और पीड़ितों का उपचार किया जाए।
  • सशस्त्र संघर्ष में शामिल सभी पक्षों जो IHL के अनुपालन से परे हैं, पार्टियों को नागरिकों के लिये सशस्त्र ड्रोन के उनके उपयोग के मानवीय प्रभाव पर विचार करने की आवश्यकता है, जिसमें नागरिक बुनियादी ढाँचे की क्षति और मानसिक स्वास्थ्य आघात भी शामिल है।
  • यह पहचानना महत्त्वपूर्ण है कि युद्ध में AI युद्ध प्रभावशीलता और नैतिकता दोनों का सवाल है। AI ने समुद्री मोर्चे पर मानव रहित सिस्टम को जोखिम में डाल दिया है, जिससे सेना को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार नियोजित करने की आवश्यकता होती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित गतिविधियों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. खेत में फसल पर पीड़कनाशी का छिड़काव 
  2. सक्रिय ज्वालामुखियों के क्रेटरों का निरीक्षण 
  3. DNA विश्लेषण के लिये उत्क्षेपण करती हुई व्हेलों के श्वास के नमूने एकत्र करना

तकनीक के वर्तमान स्तर पर उपर्युक्त गतिविधियों में से किसे ड्रोन के प्रयोग से सफलतापूर्वक संपन्न किया जा सकता है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस