संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दी यौन उत्पीड़न के खिलाफ प्रस्ताव को पहली बार मंज़ूरी | 22 Nov 2018

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) की तीसरी समिति ने यौन उत्पीड़न (sexual harassment) के खिलाफ एक प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है, जो इस वैश्विक संगठन (Global organization) में अपनी तरह का पहला प्रस्ताव है। यह यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक आदर्श ढाँचे का प्रस्ताव है, जिसमें सदस्य राष्ट्रों से यौन उत्पीड़न सहित महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा की निंदा करने और ऐसी हिंसा को खत्म करने की नीति अपनाने का आग्रह किया गया है।

क्या है इस प्रस्ताव में?

  • इस प्रस्ताव में कहा गया है कि सभी देशों को महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के संबंध में अपने दायित्वों से बचने के लिये किसी भी प्रथा, परंपरा या धार्मिक विचार को बीच में नहीं लाना चाहिये। यह प्रस्ताव बाध्यकारी (Binding) नहीं है, इसीलिये इसमें सभी सदस्य देशों से महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न रोकने, इसे खत्म करने और इसे लेकर होने वाली सभी प्रकार की हिंसा से पीड़ितों की रक्षा करने की अपील की गई है।
  • प्रस्ताव में सभी राष्ट्रों से यह सुनिश्चित करने के लिये कहा गया है कि सभी क्षेत्रों में नियोक्ता यदि यौन उत्पीड़न के मामलों में कानूनों का पालन करने में विफल रहते हैं, तो उनकी जवाबदेही के लिये आवश्यक कदम उठाए जाएँ। इसके अलावा यौन उत्पीड़न को खत्म करने के दृष्टिकोण के साथ सकारात्मक उपायों को अपनाने के लिये इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (Internet Service Providers) और डिजिटल प्लेटफॉर्मों (Digital platforms) सहित डिजिटल प्रौद्योगिकी कंपनियों को प्रोत्साहित करने को भी कहा गया है। इस प्रस्ताव में सभी महिलाओं और उनके यौन और प्रजनन स्वास्थ्य व प्रजनन अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया गया है।

मृत्युदंड के प्रस्ताव का भारत ने किया था विरोध

  • आपको बता दें कि कुछ समय पहले भारत ने मृत्युदंड को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से लाए गए मसौदा प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था। यह प्रस्ताव महासभा की इसी तीसरी समिति ने पेश किया था। इस मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में 123 और विरोध में 46 मत पड़े थे। 30 सदस्य देशों ने इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया था।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly)

संयुक्त राष्ट्र चार्टर UN Charter) के तहत 1945 में इसकी जनरल असेम्बली यानी महासभा स्थापित की गई। यह महासभा संयुक्त राष्ट्र में विचार-विमर्श और नीति निर्माण जैसे मुद्दों पर प्रतिनिधि संस्था के रूप में काम करती है। 192 सदस्यों से बनी यह संयुक्त राष्ट्र महासभा अपने चार्टर के तहत कवर किये गए अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बहुआयामी और बहुपक्षीय चर्चा के लिये एक बेहतरीन मंच प्रदान करती है।

क्या है महासभा की तीसरी समिति?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ऐसे सामाजिक, मानवीय और सांस्कृतिक मामलों को, जिनसे दुनियाभर के लोग प्रभावित हो सकते हैं,  जिस समिति को आवंटित करती है, उसे तीसरी समिति (Third Committee) कहा जाता है। इस तीसरी समिति के कार्य का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों पर मानवाधिकार परिषद की रिपोर्ट्स पर फोकस करना है। यह समिति महिलाओं की प्रगति, बच्चों क्वे संरक्षण, घरेलू मामलों और शरणार्थियों से होने वाले व्यवहार के मामलों पर भी नज़र रखती है। इनके अलावा, नस्लवाद और नस्लीय भेदभाव को समाप्त करने और आत्मनिर्भरता के अधिकार का प्रचार कर मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने पर भी समिति में चर्चा होती है। साथ ही यह तीसरी समिति युवाओं, परिवार, बढ़ती आयु, दिव्यांगों, अपराध निवारण, आपराधिक न्याय और मादक पदार्थ नियंत्रण जैसे महत्त्वपूर्ण सामाजिक विकास के मुद्दों पर भी गौर करती है।

स्रोत: UN की मूल वेबसाइट तथा अन्य