विचाराधीन कैदी | 30 Nov 2019

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो

मेन्स के लिये:

केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा विचाराधीन कैदियों के संबंध में उठाया गया कदम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री द्वारा राज्यसभा में विचाराधीन कैदियों के संदर्भ में चर्चा की गई।

मुख्य बिंदु:

  • केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि उन्होंने देश के सभी 25 उच्च न्यायालयों से अपील की है कि वे लंबित मामलों की तेजी से सुनवाई करने के साथ ही सजा की 50% अवधि पूरी कर चुके विचाराधीन कैदियों की रिहाई सुनिश्चित करें।
  • केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री के अनुसार, विचाराधीन कैदियों की रिहाई भारत में जेल सुधार प्रक्रिया का एक हिस्सा है।

अन्य सुधार:

  • अगर कोई कैदी किसी गंभीर मामले में अपराधी नहीं है और उसने अपनी सजा की 50% अवधि एक विचाराधीन कैदी के रूप में पूरी कर ली है तो इन सुधारों के अंतर्गत उसे रिहा कर दिया जाना चाहिये।
  • जहाँ तक जमानत पर रिहाई का सवाल है तो यह कार्य केवल न्यायपालिका द्वारा किया जा सकता है।
  • जमानती बॉण्ड के न भरने तथा जाँच से भागने वाले कैदियों से संबंधित विषय एक जटिल मुद्दा है।
  • ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ (National Crime Record Bureau- NCRB) के अनुसार, भारतीय जेलों की क्षमता 3.91 लाख कैदियों को रखने की है परंतु इन जेलों में अभी भी लगभग 4.5 लाख कैदी रहते हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो

(National Crime Record Bureau- NCRB):

  • NCRB की स्थापना गृह मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1986 में अपराध और अपराधियों की सूचना संग्रह करने के लिये की गई थी।
  • वर्ष 2009 से यह अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (CCTNS) योजना की देख-रेख, समन्वय तथा लागू करने का कार्य कर रहा है।
  • NCRB का उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारतीय पुलिस को अपराध तथा अपराधियों की जानकारी देकर कानून व्यवस्था बनाए रखने और लोगों की सुरक्षा करने में सक्षम बनाना है।

स्रोत- द हिंदू