यू. एन. ने मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित किया | 02 May 2019

चर्चा में क्योँ?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nation Security Council- UNSC) ने 1 मई, 2019 को आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया।

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तीन स्थायी सदस्यों के समूह- ब्रिटेन, अमेरिका, एवं फ्राँस ने UNSC के ‘1267 प्रस्ताव’ के तहत मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी की प्रतिबंधित सूची में शामिल करने का अनुरोध किया था।
  • ज्ञातव्य है कि इस मुद्दे पर चीन का समर्थन नहीं मिलने के कारण संयुक्त राष्ट्र में कई बार यह प्रस्ताव ख़ारिज़ हो चुका था, जबकि P-3 समूह (UNSC के तीन सदस्यों का समूह- फ्राँस, अमेरिका और ब्रिटेन) जैसे देश इस प्रस्ताव के पक्ष में थे।

प्रतिबंध का कारण

  • मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का कारण, उसका आतंकवादी संगठन ‘अल-क़ायदा’ से जुड़ा होना, उसके लिये योजना बनाना, पैसा इकट्ठा करना, हथियार बेचना एवं उन्हें स्थानांतरित करना है।
  • इसके अलावा आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना एवं आतंकवादी गतिविधियों को संचालित करने के कारण उसे सूची में नामित किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • भारत ने पहली बार 2009 में मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करवाने की कोशिश की थी किंतु इस मुद्दे पर चीन के वीटो पॉवर के प्रयोग से भारत को सफलता नहीं मिल पाई थी।
  • मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करवाने का भारत का यह चौथा प्रयास था और इस बार भारत को यह कूटनीतिक जीत हासिल हुई है।

प्रभाव

  • संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित किसी व्यक्ति को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का कोई भी सदस्य देश अपने यहाँ शरण नहीं दे सकता, साथ ही उस व्यक्ति के लिये हथियार रखना भी प्रतिबंधित होता है।
  • ऐसे व्यक्ति के आर्थिक लेनदेन पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है एवं उसकी संपत्ति जब्त की जा सकती है।

भारत की प्रतिक्रिया

  • भारत ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे ‘सही दिशा में उठाया गया एक कदम’ बताया, जिसने आतंकवाद और इसके समर्थकों के खिलाफ लड़ाई के अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के संकल्प को प्रदर्शित किया।
  • भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों के माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ अपने प्रयासों को जारी रखेगा।

सुरक्षा परिषद (Security Council)

  • यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई है, जिसका गठन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1945 में हुआ था और इसके पाँच स्थायी सदस्य (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन) हैं।
  • सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के पास वीटो का अधिकार होता है। इन देशों की सदस्यता दूसरे विश्वयुद्ध के बाद के उस शक्ति संतुलन को प्रदर्शित करती है, जब सुरक्षा परिषद का गठन किया गया था।
  • इन स्थायी सदस्य देशों के अलावा 10 अन्य देशों को दो साल के लिये अस्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है। स्थायी और अस्थायी सदस्य बारी-बारी से एक-एक महीने के लिये परिषद के अध्यक्ष बनाए जाते हैं।
  • फिलहाल सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य और उनकी सदस्यता की अवधि निम्नलिखित है:
  • बेल्जियम (2020), कोटे डी आइवर (2019), डोमिनिकन गणराज्य (2020), इक्वेटोरियल गिनी (2019), जर्मनी (2020), इंडोनेशिया (2020), कुवैत (2019), पेरू (2019), पोलैंड (2019) और दक्षिण अफ्रीका (2020)।

UNSC का प्रस्ताव 1267

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 को 15 अक्तूबर, 1999 को सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
  • प्रस्ताव में काउंसिल ने आतंकवादी ओसामा बिन लादेन और उसके सहयोगियों को आतंकवादियों के रूप में नामित किया तथा अल-कायदा, ओसामा बिन लादेन या तालिबान से संबंधित व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध की व्यवस्था की, चाहे वे विश्व में कहीं भी स्थित हों।

स्रोत: द हिंदू, संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक वेबसाइट