भारत के कॉफी किसानों पर मौसम की मार | 29 May 2019

चर्चा में क्यों ?

इस वर्ष अप्रैल में हुई कम बारिश के कारण कॉफी की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना व्यक्त की गई है। भारत के कॉफी बोर्ड (Coffee Board of India) के आकलन के अनुसार, इस वर्ष कॉफी की पैदावार सामान्य वर्ष की तुलना में लगभग आधी (40-50 % कम) रहने की संभावना है। भारत का कॉफी बोर्ड आमतौर पर एक वर्ष में दो प्रकार की फसलों के मूल्य का आकलन करता है- एक मानसून के पहले वाली फसल और दूसरा मानसून के बाद वाली फसल।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • वर्तमान में भारत में लघु (Small-Scale) एवं मध्यम श्रेणी (Medium-Scale) के लगभग 3 लाख कॉफी किसान हैं।
  • भारत के कुल कॉफ़ी उत्पादन का तकरीबन 80% केवल कर्नाटक से आता है।
  • उपासी के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015-2016 में कॉफी का कुल निर्यात 3.16 लाख टन था, जबकि वर्ष 2017-2018 में यह निर्यात बढ़कर 3.92 लाख टन हो गया।
  • इस वर्ष अप्रैल में कम वर्षा के कारण कॉफी की फसल में नए फूल या नई बौर के आगमन में विलंब हुआ जिसके कारण कॉफी की गुणवत्ता दुष्प्रभावित हुई। यह स्थिति कॉफी की पैदावार में तकरीबन 40-50% की गिरावट ला सकती है।
  • कॉफी की फसल को सिंचाई की आवश्यकता अप्रैल महीने में थी लेकिन इस वर्ष मई महीने में बारिश हुई।
  • इस गंभीर स्थिति के कारण घरेलू कॉफी उद्योग सबसे ज़्यादा नुकसान की स्थिति में हैं। गत वर्ष भी बाढ़ के कारण कॉफी किसानों को नुकसान की स्थिति का सामना करना पड़ा था।
  • लगातार दूसरे वर्ष भी नुकसान की स्थिति बनते देख कॉफी किसान परेशान हैं। कुर्ग के मादापुर और सोमावारपत में अप्रत्याशित रूप से कॉफी की पैदावार कम होने की संभावना है। कॉफी के हृदय-स्थल माने जाने वाले चिकमंगलूर में भी किसान बहुत तनाव में हैं।
  • कॉफी उत्पादन के क्षेत्र में वैश्विक पहचान रखने वाले भारत के लिये यह स्थिति चिंताजनक है। केंद्र एवं राज्य सरकारों को मिलकर इस दिशा में तेज़ी से प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लाखों लोगों के भविष्य को अधर में जाने से बचाया जा सके।

स्रोत: द हिंदू