मातृ मृत्यु दर प्रवृत्ति: संयुक्त राष्ट्र | 24 Feb 2023

प्रिलिम्स के लिये:

महिलाओं से संबंधित मुद्दे, मातृ मृत्यु दर, SDG

मेन्स के लिये:

मातृ मृत्यु दर प्रवृत्ति संयुक्त राष्ट्र। 

चर्चा में क्यों? 

संयुक्त राष्ट्र (UN) की नई रिपोर्ट "मातृ मृत्यु दर प्रवृत्ति (Trends in Maternal Mortality)" के अनुसार,वर्ष 2020 में दर्ज अनुमानित 287,000 मातृ मृत्यु की घटनाओं में से 70% उप-सहारा अफ्रीका में हुईं। 

  • उप-सहारा अफ्रीका में मातृ मृत्यु दर (MMR) प्रति लाख जीवित जन्म पर 545 मौतों के खतरनाक उच्च स्तर पर थी, जो वैश्विक औसत 223 से कई गुना अधिक थी। 

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

  • सांख्यिकी: 
    • हर दो मिनट में गर्भावस्था या प्रसव के दौरान एक महिला की मृत्यु हो जाती है, जो हाल के वर्षों में महिलाओं के स्वास्थ्य की खतरनाक स्थिति का खुलासा करती है, क्योंकि विश्व के लगभग सभी क्षेत्रों में मातृ मृत्यु की घटनाएँ या तो बढ़ी या स्थिर रही हैं।
    • वर्ष 2020 में जब संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य (SDG) लागू हुए थे उस समय विश्व भर में अनुमानतः 287,000 मातृ मृत्यु की घटनाएँ देखी गईं, जो वर्ष 2016 के 309,000 से थोड़ी कम हैं।
    • हालाँकि वर्ष 2000 और 2015 के मध्य मातृ मृत्यु के आँकड़े को कम करने में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है, इसके बाद प्रगति काफी हद तक स्थित रही या कुछ मामलों में विपरीत भी देखी गई है।
  • मातृ मृत्यु अनुपात: 
    • वर्ष 2020 में कुल मातृ मृत्यु की लगभग 70% घटनाएँ उप-सहारा अफ्रीका में देखी गईं।
    • उच्च या अति उच्च MMR वाले विश्व के शीर्ष तीन उप-क्षेत्र उप-सहारा अफ्रीका में पाए गए।
      • यह पश्चिमी अफ्रीका में 754 मध्य अफ्रीका में 539 और पूर्वी अफ्रीका में 351 देखी गईं।
      • देश के स्तर पर दक्षिण सूडान (1,223), चाड (1,063) और नाइजीरिया (1,047) में एक समान प्रवृत्ति देखी गई, जिसमें बहुत अधिक यानी 1,000 से अधिक MMR दर्ज किया गया।
    • वर्ष 2020 में लगभग 82,000 मातृ मृत्यु के आँकड़े के साथ नाइजीरिया में महामारी वर्ष में कुल अनुमानित वैश्विक मातृ मृत्यु की लगभग एक-चौथाई (28.5%) घटनाएँ देखी गईं।
    • वर्ष 2000 से 2020 तक उप-सहारा अफ्रीका, उत्तरी अफ्रीका, ओशिनिया (ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड को छोड़कर) तथा पश्चिमी एशिया, पूर्वी एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया में MMR में गिरावट की स्थिति स्थिर रही।
  • मातृ मृत्यु का कारण: 
    • मातृ मृत्यु के प्रमुख कारण गंभीर रक्तस्राव, उच्च रक्तचाप, गर्भावस्था से संबंधित संक्रमण, असुरक्षित गर्भपात की वजह से जटिलताएँ तथा अंतर्निहित स्थितियाँ हैं, जो गर्भावस्था (जैसे HIV/एड्स और मलेरिया) में क्षति पहुँचा सकती हैं।
      • विश्व स्तर पर 1,878 HIV से संबंधित अप्रत्यक्ष मातृ मृत्यु की घटनाएँ दर्ज की गईं, जिनमें से 1,738 (लगभग 92.5%) उप-सहारा अफ्रीका में हुईं। 
  • स्वास्थ्य देखभाल संबंधी अंतर: 
    • मोटे तौर पर एक-तिहाई महिलाएँ अनुशंसित आठ प्रसवपूर्व जाँचों में से चार भी नहीं करा पाती हैं या फिर उन्हें आवश्यक प्रसवोत्तर देखभाल की सुविधा प्राप्त नहीं होती है। साथ ही लगभग 270 मिलियन महिलाओं की आधुनिक परिवार नियोजन विधियों तक पहुँच नहीं है।  
  • जोखिम: 
    • आय, शिक्षा, नस्ल अथवा जातीयता से संबंधित असमानताएँ आवश्यक मातृत्त्व देखभाल तक सीमित पहुँच के साथ निम्नावस्था में रहने वाली गर्भवती महिलाओं के लिये जोखिम को और बढ़ा देती हैं, इनमें गर्भावस्था में अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव करने की सबसे अधिक संभावना है।

प्रमुख बिंदु: 

  • भारत वर्ष 2020 में 24,000 के आँकड़े के साथ मातृ मृत्यु दर के मामले में नाइजीरिया के बाद दूसरे स्थान पर था।
  • हालाँकि वर्ष 2000 से 2020 के बीच भारत में MMR में कुल मिलाकर 73.5% की कमी आई है
  • वर्ष 2020 में भारत का MMR 103 पर था, 20वीं सदी के अंत में भारत 384वें स्थान पर था।
    • तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो अर्जेंटीना (वर्ष 2020 में MMR 45), भूटान (60), ब्राज़ील (72), किर्गिज़स्तान (50) और फिलीपींस (78) जैसे विकासशील देशों ने भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है।

सुझाव:

  • अधिक लचीली स्वास्थ्य प्रणाली: 
    • त्वरित कार्रवाई के रूप में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में निवेश में वृद्धि कर और मज़बूत, अधिक लचीली स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण कर हम कई जीवन बचा सकते हैं, स्वास्थ्य सुधार एवं कल्याण में वृद्धि कर सकते हैं, महिलाओं तथा किशोरों के अधिकारों को बढ़ावा देकर उनके लिये संभावनाओं में वृद्धि कर सकते हैं। 
  • समुदाय-केंद्रित स्वास्थ्य देखभाल:
    • समुदाय-केंद्रित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल से महिलाओं, बच्चों और किशोरों की ज़रूरतों को पूरा करने तथा प्रसव के समय एवं प्रसव पूर्व तथा प्रसवोत्तर देखभाल, बचपन में टीकाकरण, पोषण एवं परिवार नियोजन जैसी महत्त्वपूर्ण सेवाओं तक समान पहुँच को सुनिश्चित किया जा सकता है।  
  • प्रजनन स्वास्थ्य पर नियंत्रण:
    • अपने प्रजनन स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखना, विशेष रूप से बच्चे पैदा करने के बारे में निर्णय लेना, यह सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है कि महिलाएँ बच्चे पैदा करने की योजना बना सकती हैं एवं अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सकती हैं।  
  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयास:
    • मातृ- मृत्यु की रोकथाम तथा गुणवत्तापूर्ण मातृ स्वास्थ्य देखभाल तक सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करने के लिये विशेष रूप से सबसे कमज़ोर आबादी हेतु निरंतर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों एवं अटूट प्रतिबद्धताओं की आवश्यकता होती है।  
    • यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है कि प्रत्येक जगह, हर माँ प्रसव के दौरान जीवित रहे, ताकि वह और उसके बच्चे फल-फूल सकें।
  • वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करना:
    • विश्व में मातृ मृत्यु को कम करने के लिये वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने की प्रगति में और तेज़ी लानी चाहिये अन्यथा वर्ष 2030 तक 1 मिलियन से अधिक महिलाओं का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। 
      • मातृ मृत्यु के लिये SDG लक्ष्य वर्ष 2030 तक प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 70 से कम मातृ मृत्यु के वैश्विक MMR के लिये प्रतिबद्ध है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ