ट्रेकिया सॉफ्टवेयर | 14 Dec 2019

प्रीलिम्स के लिये:

ट्रेकिया सॉफ्टवेयर

मेन्स के लिये:

अपराधों को कम करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका।

चर्चा में क्यों?

हरियाणा पुलिस ने छेड़छाड़ मुक्त आपराधिक जाँच सुनिश्चित करने के लिये अद्वितीय बारकोडिंग सॉफ्टवेयर “ट्रेकिया” (Trakea) को अपनाया है।

सॉफ्टवेयर के बारे में

  • यह एक फोरेंसिक साक्ष्य प्रबंधन प्रणाली है जो फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा आपराधिक घटनास्थल से महत्त्वपूर्ण सैंपल/नमूने एकत्रित करने के समय से ही आपराधिक जाँच से संबंधित समग्र प्रक्रिया के स्वचालन में मदद करती है।
  • ट्रेकिया का उद्देश्य फोरेंसिक रिपोर्टों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और इन रिपोर्टों की छेड़छाड़ मुक्त ट्रैकिंग प्रणाली विकसित करना है। यह फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के के अनुरूप कार्य करता है।
  • इसके अलावा इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से फोरेंसिक टीमों का चयन भी यादृच्छिक तरीके से किया जाता है।
  • ट्रेकिया अपराधिक घटना स्थल से एकत्र किए गए नमूनों और फोरेंसिक लैब द्वारा विश्लेषित रिपोर्ट की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। यह प्रणाली राज्य पुलिस बल द्वारा दशकों से प्रयोग की जा रही पारंपरिक प्रणालियों से अलग तरीके से कार्य करती है।
  • हरियाणा पुलिस के अनुसार, यह देश की पहली पुलिस बल है जिसने फोरेंसिक रिपोर्ट की सुरक्षा के लिये इस अनूठी बार-कोडिंग की शुरुआत की है।

ऐसी प्रणाली की आवश्यकता

  • पूरे देश में चली आ रही पारंपरिक प्रणाली के अनुसार, अपराध से संबंधित दस्तावेज़ों में अपराध से जुड़े विभिन्न विवरणों को शामिल किया जाता है। इन विवरणों में अपराध/मामले की FIR संख्या सहित पुलिस थाना, पीड़ित, आरोपी, चिकित्सा अधिकारी आदि का नाम व पता आदि को शामिल किया जाता है।
  • इन विवरणों के उपलब्ध होने से घटित अपराध के बारे में आसानी से जानकारी प्राप्त की जा सकती है तथा मामले को किसी भी व्यक्ति द्वारा ट्रैक किया जा सकता है।
  • अपराध से जुड़े दस्तावेज़ में DNA सैंपल, लिखित प्रमाण और प्राक्षेपिक (Ballistics) परीक्षणों, सीरम विज्ञान (Serology), जीव विज्ञान, विष विज्ञान, झूठ का पता लगाने आदि से जुड़ी रिपोर्ट शामिल हो सकती हैं।
  • सैंपल/नमूना एकत्र करने के समय से फोरेंसिक विशेषज्ञ अपना अंतिम निष्कर्ष देने तक की प्रक्रिया कई चरणों में होती है ऐसे में अभियुक्त अपने प्रभुत्व का प्रयोग कर सैंपल के साथ छेड़छाड़ कर सकते है ताकि उनके अनुकूल फोरेंसिक रिपोर्ट तैयार की जा सके।

सॉफ्टवेयर का विकास

  • इस सॉफ्टवेयर को मूल रूप से एक कैदी द्वारा डिज़ाइन किया गया है जो कि पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और इस पर अपनी पत्नी की हत्या करने का आरोप है।
  • इसी सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने पहले भी हरियाणा की सभी 19 ज़ेलों के कैदियों और जेल संचालन से संबंधित डेटा को डिजिटल रूप देने वाला एक सॉफ्टवेयर डिज़ाइन किया था।
  • इस सॉफ्टवेयर का उपयोग करके न्यायपालिका भी परीक्षण के दौरान फोरेंसिक जाँच रिपोर्ट को ट्रैक करने में सक्षम होगी जिससे समय की बचत होगी।

सॉफ्टवेयर की वास्तविक कार्यविधि

  • इस प्रणाली में दो-चरणों वाली बार-कोडिंग की विशेषता को शामिल किया गया है जो कि सैंपल की गोपनीयता बनाए रखने में सक्षम है।
  • यह स्वचालित रूप से ई-मेल और SMS सूचनाओं के माध्यम से रिपोर्ट की स्थिति के संदर्भ में वास्तविक समय (Real Time) जानकारी देगा, जिससे वास्तविक साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी।
  • साथ ही अपराध से जुड़े दस्तावेज़/सैंपल/पार्सल पर किसी भी केस का विवरण उल्लिखित नहीं होगा सिवाय अद्वितीय बार कोड के, जिसे केवल बायोमेट्रिक सिस्टम के माध्यम से पढ़ा जा सकता है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस