टॉयकथॉन 2021 | 25 Jun 2021

प्रिलिम्स के लिये:

टॉयकथॉन 2021

मेन्स के लिये:

वोकल फॉर लोकल की रणनीति एवं इसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने टॉयकथॉन 2021 (Toycathon 2021) में प्रतिभागियों के साथ बातचीत करते हुए लोगों से "वोकल फॉर लोकल टॉयज" यानी “स्थानीय खिलौनों की ओर रुख करने” का आग्रह किया।

प्रमुख बिंदु:

मंत्रालय: 

  • यह पहल शिक्षा मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम मंत्रालय, सूचना व प्रसारण मंत्रालय और तकनीकी शिक्षा के लिये अखिल भारतीय परिषद (AICTE) द्वारा की गई।
  • इसे 5 जनवरी 2021 को खिलौनों और खेल के अभिनव विचारों को आमंत्रित करने के लिये लॉन्च किया गया था।

उद्देश्य:

  • भारतीय मूल्य प्रणाली के आधार पर नवीन खिलौनों की अवधारणा का विकास करना जो बच्चों में सकारात्मक व्यवहार और अच्छे मूल्यों को बढ़ाएगा।
  • भारत को एक वैश्विक खिलौना विनिर्माण केंद्र (आत्मनिर्भर अभियान) के रूप में बढ़ावा देना।

विशेषताएँ:

  • आधार: यह भारतीय संस्कृति और लोकाचार, स्थानीय लोककथाएँ तथा नायक एवं भारतीय मूल्य प्रणालियों पर आधारित है।
  • थीम: इसमें फिटनेस, खेल, पारंपरिक भारतीय खिलौनों के प्रदर्शन सहित नौ थीम शामिल हैं।
  • भागीदार: छात्र, शिक्षक, स्टार्ट-अप और खिलौना विशेषज्ञ।
  • पुरस्कार: प्रतिभागियों को 50 लाख रुपए तक का पुरस्कार प्रदान किया जा सकता है।

लाभ: 

  • ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को आगे बढ़ाने के लिये खिलौने उत्कृष्ट माध्यम हो सकते हैं
    • “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2015 में राज्यों के मध्य समझ और संबंधों को बढ़ाने के लिये की गई थी ताकि भारत की एकता और अखंडता मज़बूत हो।
  • यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप शैक्षिक खिलौनों (Educational Toys) के उपयोग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
  • यह घरेलू खिलौना उद्योग और स्थानीय निर्माताओं के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाएगा, जो अप्रयुक्त संसाधनों का दोहन करेगा तथा उनकी क्षमता का उपयोग करेगा।
  • यह खिलौना आयात को कम करने में मदद करेगा।

खिलौना बाज़ार की स्थिति

  • वैश्विक खिलौना बाजार करीब 100 बिलियन डॉलर का है।
  • जिसमें भारत का योगदान केवल 1.5 बिलियन डॉलर के आसपास है।
  • भारत लगभग 80% खिलौनों का आयात विदेशों से करता है। यानी उन पर देश के करोड़ों रुपए विदेश जा रहे हैं।

आगे की राह 

  • खिलौना उद्योग एक लघु-स्तरीय उद्योग है, जिसमें ग्रामीण आबादी, दलित, गरीब लोग तथा आदिवासी आबादी के कारीगर शामिल हैं। इन क्षेत्रों में लाभ प्राप्त करने के लिये, हमें स्थानीय खिलौनों की तरफ रूख करना होगा अर्थात् वोकल फॉर लोकल की रणनीति अपनानी होगी।
  • नए विचारों को विकसित करने, नए स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने, नई तकनीक को पारंपरिक खिलौना निर्माताओं तक पहुँचाने और बाज़ार में नई मांग पैदा करने की आवश्यकता है।
  • भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ खिलौना उद्योग के नवप्रवर्तकों और रचनाकारों के लिये एक बड़ा अवसर है। विभिन्न घटनाओं, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियों और उनकी वीरता तथा नेतृत्व को गेमिंग अवधारणाओं में शामिल किया जा सकता है। 
  • ऐसे दिलचस्प और परस्पर संवाद वाले गेम बनाने की आवश्यकता है जो 'जुड़ने, मनोरंजन करने और शिक्षित करने' का कार्य करें।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस