सीमा पर स्थित ग्रामों में पर्यटन | 31 Jul 2020

प्रीलिम्स के लिये:

इनर लाइन परमिट

मेन्स के लिये:

सीमा क्षेत्रों में ग्रामीण पर्यटन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने चीन की सीमा से लगे उत्तराखंड राज्य के गाँवों में पर्यटन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। उत्तराखंड चीन के साथ 350 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है।

प्रमुख बिंदु:

  • गलवान घाटी में उत्पन्न गतिरोध की पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार पर्यटन संबंधी गतिविधियों के नियमों में लोचशीलता लाकर उत्तराखंड के सीमावर्ती गाँवों में 'रक्षा की एक दूसरी पंक्ति' (Second Line of Defence) के निर्माण की योजना बना रही है।
  • केंद्र सरकार ने भारत के सीमावर्ती गाँवों को सुरक्षित बनाने के लिये 'जनजातीय पर्यटन' की अवधारणा को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।
  • लेकिन इस दिशा में आगे बढ़ने के लिये 'इनर लाइन परमिट' (ILP) प्रणाली से उत्तराखंड के कुछ हिस्सों को मुक्त करना होगा।

इनर लाइन परमिट (ILP) प्रणाली

  • इनर लाइन परमिट ऐसा दस्तावेज़ है जो एक भारतीय नागरिक को ILP प्रणाली के तहत संरक्षित राज्य में जाने या रहने की अनुमति देता है।
  • इनर लाइन परमिट उन सभी के लिये अनिवार्य है जो संरक्षित राज्यों से बाहर रहते हैं।
  • यह सिर्फ यात्रा के प्रयोजनों के लिये संबंधित राज्य द्वारा ही जारी किया जाता है।
  • इनर लाइन परमिट की स्थापना ब्रिटिश सरकार ने बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत बंगाल के पूर्वी हिस्से की जनजातियों की सुरक्षा के लिये की थी।
  • जब ILP प्रणाली को हटा दिया जाएगा, तो 'राज्य पर्यटन विभाग' ग्रामीण क्षेत्र के घरों को 'होमस्टे' के रूप में विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करेगा जो सीधे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
  • उत्तराखंड सरकार ने राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन और नागरिक बस्तियों को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिये आवश्यक कदम उठाने की घोषणा की है

सीमा पर्यटन का महत्त्व:

  • सीमावर्ती क्षेत्रों में ग्रामीण पर्यटन से इन गाँवों की सुरक्षा और निगरानी सुनिश्चित होगी तथा इससे सैनिकों को यहाँ निगरानी में अतिरिक्त सहायता मिलेगी।
  • यह सीमावर्ती गाँवों की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा और रोज़गार सृजन करेगा।
  • यह बाहर की ओर पलायन को भी रोकने में मदद करेगा।
    • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि अधिकांश सीमावर्ती गाँवों में आजीविका के अवसरों की कमी होने के कारण बाहरी प्रवासन देखने को मिलता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस