पूर्ण चंद्र ग्रहण और सुपरमून | 27 May 2021

चर्चा में क्यों?

26 मई, 2021 को दो खगोलीय घटनाएँ यथा- पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse) और सुपरमून (Supermoon) घटित हुईं।

प्रमुख बिंदु

सुपरमून:

  • यह उस स्थिति को दर्शाता है जब चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के सर्वाधिक निकट और साथ ही पूर्ण आकार में होता है।
    • चंद्रमा द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा के दौरान एक समय दोनों के मध्य सबसे कम दूरी हो जाती है जिसे उपभू (Perigee) कहा जाता है और जब दोनों के मध्य सबसे अधिक दूरी हो जाती है तो इसे अपभू (Apogee) कहा जाता है।
  • चूँकि पूर्ण चंद्रमा पृथ्वी से कम-से-कम दूरी के बिंदु पर दिखाई देता है और इस समय यह न केवल अधिक चमकीला दिखाई देता है, बल्कि यह सामान्य पूर्णिमा के चंद्रमा  से भी बड़ा होता है।
  • नासा के अनुसार, सुपरमून शब्द वर्ष 1979 में ज्योतिषी रिचर्ड नोल द्वारा दिया गया था। एक सामान्य वर्ष में दो से चार पूर्ण सुपरमून और एक पंक्ति में दो से चार नए सुपरमून हो सकते हैं।

Perigee-Apogee

चंद्र ग्रहण:

  • परिचय:
    • चंद्रग्रहण तब होता है,जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है।  
    • इस दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे की बिल्कुल सीध में होते हैं और यह घटना केवल पूर्णिमा के दिन ही घटित होती है।
    • सर्वप्रथम चंद्रमा पेनुम्ब्रा (Penumbra) की तरफ चला जाता है-पृथ्वी की छाया का वह हिस्सा जहाँ सूर्य से आने वाला संपूर्ण प्रकाश अवरुद्ध नहीं होता है। चंद्रमा के भू-भाग का वह हिस्सा नियमित पूर्णिमा की तुलना में धुँधला दिखाई देगा।
    • और फिर चंद्रमा पृथ्वी की कक्षा या प्रतिछाया (Umbra) में चला जाता है, जहाँ सूर्य से आने वाला प्रकाश पूरी तरह से पृथ्वी से अवरुद्ध हो जाता है। इसका मतलब है कि पृथ्वी के वायुमंडल में चंद्रमा की डिस्क द्वारा परावर्तित एकमात्र प्रकाश पहले ही वापस ले लिया गया है या परिवर्तित किया जा चुका है।
  • पूर्ण चंद्रग्रहण:
    • इस दौरान चंद्रमा की पूरी डिस्क पृथ्वी की कक्षा या प्रतिछाया (Umbra) में प्रवेश करती है, इसलिये चंद्रमा लाल (ब्लड मून) दिखाई देता है। हालाँकि यह हमेशा के लिये नहीं रहेगा।
    • लगभग 14 मिनट के पश्चात्, चंद्रमा पृथ्वी के कक्षा या प्रतिछाया (Umbra) से बाहर निकलकर  वापस अपने पेनुम्ब्रा में आ जाएगा। कुल मिलाकर यह चंद्र ग्रहण कुछ घंटों तक चलेगा।
    • लाल प्रकाश में नीले प्रकाश की तुलना में लंबी तरंग दैर्ध्य होती है, जो चंद्र ग्रहण को अपना विशिष्ट लाल रंग प्रदान करता है। 
      • पृथ्वी पर हम सूर्योदय और सूर्यास्त के समय समान प्रभाव देखते हैं, जब आकाश दिन की तुलना में अधिक लाल होता है।

Lunar-Eclipse

पूर्ण सूर्य ग्रहण

  • पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं, इसके कारण पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह से अँधेरा छा जाता है।
  • इस घटना के दौरान चंद्रमा सूर्य की पूरी सतह को ढक लेता है। आंशिक और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के केवल एक हिस्से को ढकता है।
  • जब चंद्रमा सूर्य की सतह को पूरी तरह से ढक लेता है तो इस समय केवल सूर्य का कोरोना (Sun Corona) दिखाई देता है।
  • इसे पूर्ण ग्रहण इसलिये कहा जाता है क्योंकि इस समय आकाश में अंधेरा हो जाता है और तापमान गिर सकता है।

Solar-Eclipse

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस