तिहान-आईआईटी हैदराबाद | 31 Dec 2020

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत की स्वायत्त नौवहन प्रणाली (स्थलीय और हवाई) के लिये प्रथम परीक्षण स्थल– ‘तिहान-आईआईटी हैदराबाद’ (TiHAN-IIT Hyderabad) की वर्चुअल तरीके से आधारशिला रखी गई।

प्रमुख बिंदु:

पृष्ठभूमि: 

  • भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने राष्ट्रीय अंतर-विषयी साइबर-फिज़िकल सिस्टम (National Mission on Interdisciplinary Cyber-Physical Systems- NM-ICPS) मिशन के तहत स्वायत्त नौवहन एवं डेटा अधिग्रहण प्रणाली (UAVs, RoVs आदि) पर एक प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र स्थापित करने हेतु आईआईटी हैदराबाद (IIT-H) के लिये 135 करोड़ रुपए मंज़ूर किये थे।
  • IIT-H में मानव रहित वायुयानों (UAVs) तथा दूरस्थ नियंत्रित वाहनों (RoVs) के लिये स्वायत्त नौवहन प्रणाली अथवा ऑटोनोमस नेविगेशन सिस्टम पर आधारित प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र को 'तिहान फाउंडेशन' (TiHAN Foundation) के रूप में जाना जाता है। संस्थान द्वारा जून 2020 में इसे खंड-8 कंपनी के रूप में मान्यता दी गई है।
    • यह एक बहु-विभागीय पहल है जिसमें प्रतिष्ठित संस्थानों और उद्योगों के सहयोग तथा समर्थन के साथ IIT-H में इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर साइंस, मैकेनिकल एवं एयरोस्पेस, सिविल, गणित व डिज़ाइन के शोधकर्त्ता शामिल हैं।
    • यह 'आत्मनिर्भर भारत', 'स्किल इंडिया' और 'डिजिटल इंडिया' की दिशा में एक बेहतरीन कदम है।

तिहान-आईआईटी (TiHAN-IIT):

  • स्वायत्त नौवहन और डेटा अधिग्रहण प्रणाली के विशिष्ट डोमेन क्षेत्र में अंतर-विषयी प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास पर आवश्यकतानुसार ध्यान देने के साथ ही यह केंद्र मानव रहित एवं स्वायत्त वाहनों से संबंधित विभिन्न चुनौतियों के तत्काल समाधान पर ज़ोर देता है।
  • वर्तमान में, भारत में वाहनों के ऑटोनोमस नेविगेशन का मूल्यांकन करने के लिये ऐसी कोई परीक्षण सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसलिये IIT-H परिसर के एक हिस्से को कनेक्टेड ऑटोनोमस व्हीकल्स (CAVs) के लिये समर्पित कर पूरी तरह से कार्यात्मक और अनुकरणीय परीक्षण स्थल की सुविधा विकसित करते हुए इस कमी को पूरा करने की कल्पना की गई है।
    • कनेक्टेड वाहन तकनीक का उपयोग एक-दूसरे के साथ संचार स्थापित करने, ट्रैफिक सिग्नल से जुड़ने, संकेत और सड़क से संबंधित अन्य वस्तुओं से जुड़ने अथवा क्लाउड डेटा प्राप्त करने के लिये किया जाता है। यह सुरक्षित तरीके से सूचना विनिमय में मदद करता है और सूचना के प्रवाह में सुधार करता है।
  • इसमें शामिल प्राथमिक उद्देश्य:
    • UAVs, RoVs के क्षेत्र में अनुसंधान और प्रौद्योगिकी का विकास
    • औद्योगिक सहयोग:
      • संयुक्त अनुसंधान एवं विकास पहल, परामर्श, प्रौद्योगिकी आउटरीच योजनाएँ, उद्योगों के कर्मियों के लिये प्रशिक्षण, सतत् शिक्षा।
    • मानव संसाधन और कौशल विकास
    • नवाचार, उद्यमशीलता और स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र:
      • टेक्नोलॉजी वर्टिकल, निजी वित्त को आकर्षित करना (कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी, स्वैच्छिक योगदान और इक्विटी आधारित), तकनीक के व्यावसायीकरण हेतु स्टार्ट-अप्स और इनक्यूबेशन।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
      • शिक्षा और उद्योग, संकाय/छात्र विनिमय कार्यक्रम।

TiHAN-IIT की विशेषताएँ:

कुल क्षेत्रफल:

  •  IIT-H परिसर में इसके लिये पहले ही 2 एकड़ भूमि आवंटित की जा चुकी है और चरणबद्ध रूप से सुविधाओं के विकास की योजना बनाई गई है।

सुविधाएँ:

  • परीक्षण ट्रैक, वास्तविक-विश्व परिदृश्यों का अनुकरण, कला सिमुलेशन टेक्नोलॉजी का स्तर, सड़क अवसंरचना, ड्रोन रनवे और लैंडिंग क्षेत्र, यांत्रिक एकीकरण सुविधा, केंद्रीयकृत नियंत्रण कक्ष/ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन, स्मार्ट पोल आदि।

अनुसंधान को बढ़ावा:

  • विकसित परीक्षण स्थल स्वायत्त नौवहन के क्षेत्र में व्यापक अनुसंधान एवं विकास करने वाले सभी उद्योगों, प्रयोगशालाओं, शिक्षाविदों के उपयोग के लिये उपलब्ध होगा।

Real-Life-Scenarios

राष्ट्रीय अंतर-विषयी साइबर-फिज़िकल सिस्टम पर राष्ट्रीय मिशन (NM-ICPS):

  • NM-ICPS एक व्यापक मिशन है जिसका उद्देश्य सभी हितधारकों के साथ मिलकर शिक्षा, उद्योग, सरकार और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के मध्य मज़बूत संबंध स्थापित करना है। यह मिशन सभी संबंधित मंत्रालयों/विभागों के साथ मिलकर तकनीकी आवश्यकताओं की पहचान करने, समाधान ढूँढने के साथ ही साइबर-फिज़िकल सिस्टम के कार्यान्वयन में तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।
  • यह साइबर-फिज़िकल सिस्टम पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर भारत के भविष्य को सुरक्षित करेगा।
    • साइबर-फिज़िकल सिस्टम (CPS) डिजिटल/साइबर तत्त्वों को भौतिक वस्तुओं (जैसे मशीनों, स्वायत्त वाहनों) और संचार, डेटा संग्रह एवं प्रसंस्करण, कंप्यूटिंग, निर्णय लेने तथा कार्रवाई की क्षमताओं को डेटा के साथ एकीकृत करती है।
    • CPS एक एकीकृत प्रणाली है जिसमें सेंसर, कम्युनिकेशन, एक्चुएटर्स, कंट्रोल, इंटरकनेक्टेड कंप्यूटिंग नेटवर्क और डेटा एनालिटिक्स शामिल हैं।
    • कुछ संभावित अनुप्रयोग: स्मार्ट सड़कों पर सुरक्षित रूप से एक-दूसरे के साथ संवाद करने वाली चालक रहित कारों में , स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाने हेतु घर के सेंसर आदि में।

मिशन की चार प्रमुख गतिविधियाँ हैं::

  • प्रौद्योगिकी विकास,
  • मानव संसाधन एवं कौशल विकास,
  • नवाचार, उद्यमिता और स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र तथा
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।

स्रोत: PIB