नीलगिरी जैवविविधता में बाघों की मृत्यु चिंतनीय | 04 Oct 2023

प्रिलिम्स के लिये:

बायोस्फीयर रिज़र्व, नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व, बाघ

मेन्स के लिये:

बाघ संरक्षण का महत्त्व, संबंधित पहलें

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

तमिलनाडु का नीलगिरी ज़िला जैवविविधता से समृद्ध है और यहाँ बड़ी संख्या में बाघ पाए जाते हैं। हालाँकि पिछले दो महीनों में इस ज़िले में विभिन्न कारणों से 10 बाघों की मौत हो चुकी है।

  • बाघों की मृत्यु के परिणामस्वरुप उनके संरक्षण एवं अस्तित्त्व को लेकर संरक्षणवादी और प्राधिकार चिंतित हैं।

नीलगिरी में बाघों की मृत्यु का कारण:

  • बाघों का उच्च घनत्त्व:
    • नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व के मुदुमलाई-बांदीपुर-नागरहोल परिसर में बाघों की संख्या व घनत्त्व अधिक होने के कारण काफी सारे बाघ मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान, नीलगिरि तथा गुडलूर वन प्रभागों के आसपास के आवासों की ओर प्रस्थान कर रहे हैं, जिसके परिणामतः मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले में भी वृद्धि देखी गई है।
    • बाघों की संख्या में वृद्धि से स्पॉटेड डियर और इंडियन गौर जैसी शिकारी प्रजातियों पर प्रभाव पड़ता है।
      • प्राकृतिक शिकार की कमी के कारण बाघ, पशुओं को निशाना बना सकते हैं, जिससे संघर्ष बढ़ सकता है और परिणामस्वरूप अधिक मौतें हो सकती हैं।
  • भुखमरी और संक्रमण:
    • मुदुमलाई टाइगर रिज़र्व के बफर ज़ोन में बाघ के शावक मृत पाए गए, जिनकी उम्र दो सप्ताह बताई जा रही है।
      • पोस्टमॉर्टम में भुखमरी या नाभि संक्रमण जैसे संभावित कारणों की आशंका जताई गई है।

बाघों की संख्या के खतरों को लेकर संरक्षणवादियों की चिंताएँ: 

  • अवैध शिकार का खतरा: नीलगिरी ज़िले में हाल ही में हुई शिकार की घटनाएँ बाघों के लिये लगातार खतरे को रेखांकित करती हैं।
    • आखेटक, बाघों को उनके मूल्यवान शारीरिक अंगों, जैसे खाल, हड्डियों और अन्य अंगों के लिये निशाना बनाते हैं, जिससे आबादी के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न होता है।
  • ट्रैकिंग और सुरक्षा का अभाव: बाघों की आबादी को प्रभावी ढंग से ट्रैक करने और उनकी सुरक्षा करने में प्रत्यक्ष चुनौतियाँ इसकी चिंताओं का कारण हैं।  
    • इन प्रभावशाली जानवरों की निगरानी और सुरक्षा करने में असमर्थता संरक्षणवादियों की चिंताओं में से एक है।
  • शिकार प्रबंधन का अभाव: संरक्षित क्षेत्रों में अपर्याप्त शिकार जनसंख्या प्रबंधन से असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।
    • बाघों के लिये पर्याप्त शिकार सुनिश्चित करना उनके अस्तित्व के लिये आवश्यक है।
  • पर्यावास का क्षरण: क्षरित आवास सीमित संसाधन प्रदान करते हैं, जिससे बाघों को भोजन की तलाश में भटकने के लिये मजबूर होना पड़ता है।
    • मानवीय गतिविधियों, वनों की कटाई और अतिक्रमण से बाघों के निवास स्थान को क्षति पहुँचती हैं।

नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व:

  • परिचय:
    • नीलगिरि शब्द, जिसका अर्थ "नीले पहाड़" है, तमिलनाडु में नीलगिरि पठार में नीले फूलों से अच्छादित पहाड़ों (नीलकुरिंजी फूल) से लिया गया है।
      • यह रिज़र्व तीन भारतीय राज्यों में फैला हुआ है: तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल।
    • यह यूनेस्को के मानव और जीवमंडल कार्यक्रम के तहत भारत का पहला बायोस्फीयर रिज़र्व है, जो वर्ष 1986 में स्थापित किया गया था।
    • यह आदियान, अरनादान, कादर, कुरिचियन, कुरुमन और कुरुम्बा जैसे कई आदिवासी समूहों का निवास स्थल है।
    • यह विश्व के अफ्रीकी-उष्णकटिबंधीय और इंडो-मलायन जैविक क्षेत्रों के संगम को चित्रित करता है।
  • जीव-जंतु:
    • यहाँ नीलगिरि तहर, नीलगिरि लंगूर, स्लेंडर लोरिस, काला हिरण, बाघ, गौर, भारतीय हाथी और नेवला जैसे जीव पाए जाते हैं।
    • मीठे जल की मछलियाँ जैसे नीलगिरि डेनियो (Devario neilgherriensis), नीलगिरि बार्ब (Hypselobarbus dubuis) और बोवेनी बार्ब (Puntius bovanicus) इस बायोस्फीयर रिज़र्व के लिये स्थानिक हैं।
  • NBR में संरक्षित क्षेत्र:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित बाघ आरक्षित क्षेत्रों में "क्रांतिक बाघ आवास (Critical Tiger Habitat)" के अंतर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र किसके पास है? (2020)

(a) कॉर्बेट
(b) रणथंभौर
(c) नागार्जुनसागर-श्रीसैलम
(d) सुंदरवन

उत्तर: (c)