नृजातीय एकता: तिब्बत का नया कानून | 16 Jan 2020

प्रीलिम्स के लिये:

नृजातीय एकता से तात्त्पर्य

मेन्स के लिये:

नृजातीय एकता कानून के प्रावधान व इसके प्रभाव

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में तिब्बत की पीपुल्स कॉन्ग्रेस ने नृजातीय एकता (Ethnic Unity) को अनिवार्य करने वाला एक विधेयक पारित किया है। पारित विधेयक में प्रस्तावित कानून 1 मई, 2020 से प्रभावी होंगे।

प्रमुख बिंदु:

  • यह कानून स्पष्ट करता है कि तिब्बत प्राचीन काल से ही चीन का अभिन्न अंग रहा है।
  • यह सभी जातीय समूहों के लोगों का उत्तरदायित्व है कि वे राष्ट्र के एकीकरण में सहयोग करें तथा अलगाववाद की भावना के विरुद्ध एकजुटता प्रदर्शित करें।
  • तिब्बत में 40 से ज़्यादा नृजातीय अल्पसंख्यक समुदाय हैं जो कुल जनसंख्या का 95 प्रतिशत अर्थात लगभग 30 लाख हैं।
  • तिब्बत की भांँति ही जिंझियांग चीन का एक प्रांत है जिसमें कई नृजातीय अल्पसंख्यक समुदाय रहते हैं।

विवाद का कारण:

  • तिब्बत के लिये पारित कानून के भांँति ही वर्ष 2016 में जिंझियांग प्रांत में भी ऐसा ही कानून पारित किया गया, जिसके कारण चीन पर यह आरोप लगते हैं कि उसने लाखों उईगर व अन्य मुस्लिमों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन कर उन्हें बंधक बना लिया है। विदित है की चीन वर्ष 1949 से जिंझियांग प्रांत पर अपना दावा करता रहा है।
  • चीन ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह इन लोगों को रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षित कर रहा है।

क्या है नृजातीय एकता?

  • यह एक ऐसी भावना है जिसमें लोग अपने नृजातीय समूह या संस्कृति की श्रेष्ठता में विश्वास करते हैं तथा समान भाषा, वंशक्रम, इतिहास, समाज, संस्कृति, मातृभूमि के आधार पर अपनी एकता को प्रदर्शित करते हैं।

नृजातीय एकता का महत्त्व

  • द जेम्सटाउन फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार, चीन में विभिन्न नृजातीय समूहों को समाजवाद और समरसता के उभयनिष्ठ लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में आवश्यक कारक माना जाता है।
  • इसका सटीक उदाहरण राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भाषण में मिलता है जिसमे वह लोगों से सामुदायिक भावना व नृजातीय एकता को मज़बूत करने का आह्वान करते हैं।
  • नृजातीय एकता की भावना राष्ट्र को सांस्कृतिक रूप से सुदृढ़ता प्रदान करती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस