सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) संशोधन विधेयक, 2019 | 12 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राज्यसभा ने सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) संशोधन विधेयक, 2019 (The Public Premises (Eviction of Unauthorised Occupants) Amendment Bill, 2019) पारित किया है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व ही यह विधेयक लोकसभा द्वारा भी पारित हो चुका है।

प्रमुख बिंदु

  • यह नया संशोधन विधेयक सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत व्यवसायों का निष्कासन) अधिनियम, 1971 में संशोधन करता है।
  • यह अधिनियम कुछ मामलों में सार्वजनिक परिसरों में अनधिकृत रूप से रहने वालों को बेदखल करने का प्रावधान करता है।

विधेयक के प्रावधान:

  • आवासीय व्यवस्था: इसके अंतर्गत 'आवासीय सुविधा/आवास पर कब्ज़ा' को परिभाषित किया गया है।
    • लाइसेंस निश्चित कार्यकाल या अवधि के लिये दिया जाना चाहिये विशेषकर तब तक जब तक व्यक्ति के पास कार्यालय है।
    • केंद्र, राज्य या केंद्रशासित प्रदेश सरकार या एक वैधानिक प्राधिकरण द्वारा बनाए गए नियमों के तहत कब्ज़े की अनुमति दी जानी चाहिये (जैसे संसद, सचिवालय, या केंद्र सरकार की कंपनी, या राज्य सरकार से संबंधित परिसर)।
  • बेदखली के लिये नोटिस: इस विधेयक में आवासीय सुविधा से बेदखल करने की प्रक्रिया का प्रावधान है।
    • आवासीय संपत्ति पर अनधिकृत कब्ज़े की स्थिति में किसी व्यक्ति को लिखित नोटिस जारी करने के लिये एक संपत्ति अधिकारी (केंद्र सरकार के एक अधिकारी) की आवश्यकता होती है।
    • नोटिस के जवाब में व्यक्ति को तीन कार्य दिवसों के भीतर उसके खिलाफ बेदखली आदेश क्यों नहीं दिया जाना चाहिये, इसका कारण बताना अनिवार्य होगा।
  • बेदखली का आदेश: नोटिस में दिये गए कारण पर विचार करने और किसी भी अन्य पूछताछ के बाद ही संपत्ति अधिकारी निष्कासन का आदेश देगा।
    • यदि व्यक्ति आदेश का पालन करने में विफल रहता है तो संपत्ति अधिकारी ऐसे व्यक्ति को आवासीय सुविधा से बेदखल कर सकता है और आवास पर अधिकार कर सकता है।
    • इस प्रयोजन के लिये संपत्ति अधिकारी द्वारा आवश्यकता पड़ने पर बल प्रयोग भी किया जा सकता है।
  • नुकसान का भुगतान: यदि आवासीय व्यवस्था के तहत अनधिकृत कब्ज़े को लेकर व्यक्ति अदालत में संपत्ति अधिकारी द्वारा पारित निष्कासन आदेश को चुनौती देता है, तो उसे हर महीने उचित हर्जाना देना होगा।

स्रोत: PRS