सौर आँधियों से व्हेल मछलियों को खतरा | 06 Sep 2017

चर्चा में क्यों ?

पिछले वर्ष जनवरी और फरवरी महीने में उत्तरी सागर के आस-पास के देशों (जर्मनी, नीदरलैंड, फ्रांस और इंग्लैंड) के तट पर 29 स्पर्म व्हेल (sperm whales) बहकर आ गई थीं। वैज्ञानिक इस घटना को अब उन दो सौर आँधियों के साथ जोड़कर देख रहे हैं जो दिसंबर 2015 के अंत में उत्पन्न हुई थीं।    

प्रमुख बिंदु

  • वैज्ञानिकों का मानना है कि सौर आँधियों से पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र 460 किलोमीटर तक खिसक गया होगा जिसके कारण व्हेल मछलियों की दिशा-निर्देश की क्षमता प्रभावित हुई होगी। संभवतः इसी कारण से वे अपने पारंपरिक अटलांटिक मार्ग से विचलित होकर उत्तरी सागर की ओर भटक गई होंगी। गौरतलब है कि उत्तरी सागर अटलांटिक महासागर की तुलना में कम उथला है जिसके कारण उनकी मौत हुई होगी। 
  • इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एस्ट्रोबायोलॉजी में प्रकाशित एक शोध लेख में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के खिसकने से मछलियों को मिले भ्रामक संकेतों से उन्हें परेशानी हुई होगी क्योंकि वे ऐसे क्षेत्र में रहती हैं जहाँ सौर आँधियों का प्रभाव अपेक्षाकृत कम है। पूर्वी अटलांटिक महासागर में स्थित अज़ोरेस द्वीप-समूह एक ऐसा ही स्थल है।  
  • स्पर्म व्हेल (sperm whales) दांतेदार व्हेल मछली की प्रजातियाँ है जो भोजन और प्रजनन के लिये मौसम के अनुसार पलायन करती है।

सौर आँधी क्या है?

  • सूर्य के अंदर होने वाली गतिविधियों के कारण वहाँ से आवेशित कण सौर मंडल की ओर संचालित होते हैं जो कभी-कभी पृथ्वी के वायुमंडल में भी प्रवेश करते हैं। 
  • इनकी तीव्रता कभी कम और कभी अधिक होती है।  
  • पृथ्वी पर इनके पहुँचने से उत्तरी ध्रुव में प्रकाश फ़ैलते हुए देखा जा सकता है तथा बिजली गिरने जैसी घटनाएँ भी देखी जाती हैं।