डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन और विरासत | 17 Apr 2023

प्रिलिम्स के लिये:

गोलमेज़ सम्मेलन, पूना पैक्ट, प्रारूप समिति, बौद्ध धर्म, भारत रत्न।

मेन्स के लिये:

डॉ. भीमराव अंबेडकर का योगदान, वर्तमान समय में अंबेडकर की प्रासंगिकता।

चर्चा में क्यों?

देश भर में 14 अप्रैल, 2023 को डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती मनाई गई।

डॉ. भीमराव अंबेडकर:

  • परिचय:  
    • डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर एक प्रमुख भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ थे।
    • उनका जन्म 14 अप्रैल, 1891 में मध्य प्रदेश के महू में हुआ था।
      • उनके पिता सूबेदार रामजी मालोजी सकपाल पढ़े-लिखे व्यक्ति और संत कबीर के अनुयायी थे।
  • शिक्षा:  
    • अंबेडकर ने बॉम्बे विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और आगे की पढ़ाई न्यूयॉर्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय एवं लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में की।
  • योगदान:
    • वर्ष 1924 में उन्होंने दलित वर्गों के कल्याण हेतु एक संगठन की शुरुआत की और वर्ष 1927 में दलित वर्गों की स्थिति को उजागर करने के लिये बहिष्कृत भारत समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया।
      • उन्होंने मार्च 1927 में महाड सत्याग्रह का भी नेतृत्त्व किया।
    • उन्होंने तीनों गोलमेज़ सम्मेलनों में भाग लिया।
    • वर्ष 1932 में डॉ. अंबेडकर ने महात्मा गांधी के साथ पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किये जिसमें दलित वर्गों (कम्युनल अवार्ड) हेतु अलग निर्वाचक मंडल के विचार को त्याग दिया गया।
    • वर्ष 1936 में उन्होंने दलित वर्गों के हितों की रक्षा हेतु इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी का गठन किया।
    • वर्ष 1942 में डॉ. अंबेडकर को भारत के गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद में श्रम सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया और वर्ष 1946 में बंगाल से संविधान सभा हेतु चुना गया।
    • डॉ. अंबेडकर वर्ष 1947 में स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बने।
      • हिंदू कोड बिल पर मतभेदों को लेकर उन्होंने वर्ष 1951 में कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। 
  • अतिरिक्त विवरण:  
    • उन्होंने बाद में बौद्ध धर्म को अपना लिया। 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया, जिसे महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
      • चैत्य भूमि, मुंबई में डॉ. भीमराव अंबेडकर का स्मारक है।  
    • उन्हें वर्ष 1990 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था
  • महत्त्वपूर्ण कार्य:
    • पत्रिकाएँ:
      • मूकनायक (1920)
      • बहिष्कृत भारत (1927)
      • समता (1929)
      • जनता (1930)
    • पुस्तकें:
      • एनीहिलेशन ऑफ कास्ट 
      • बुद्ध और कार्ल मार्क्स
      • द अनटचेबल: हू आर दे एंड व्हाय दे हैव बिकम अनटचेबल्स
      • बुद्ध एंड हिज़ धम्म
      • द राइज़ एंड फॉल ऑफ हिंदू वुमेन
    • संगठन:
      • बहिष्कृत हितकारिणी सभा (1923)
      • इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी (1936)
      • अनुसूचित जाति संघ (1942) 
  • वर्तमान समय में अंबेडकर की प्रासंगिकता: 
    • उनके विचार एवं योगदान विशेष रूप से जाति-आधारित भेदभाव के विरुद्ध लड़ाई तथा सामाजिक न्याय के लिये संघर्ष में भारत के वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में भी प्रासंगिक बने हुए हैं। 
    • एक समावेशी और समतावादी समाज का उनका दृष्टिकोण, जैसा कि भारतीय संविधान में निहित है, देश के भविष्य के विकास के लिये एक मार्गदर्शक सिद्धांत बना हुआ है। 
      • इसके अतिरिक्त सशक्तीकरण के साधन के रूप में शिक्षा पर उनका ध्यान वर्तमान समय में विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि भारत एक वैश्विक नेता के रूप में अपनी पूरी क्षमता हासिल करना चाहता है।
    • डॉ. अंबेडकर की विरासत भारत की राष्ट्रीय पहचान का एक अभिन्न अंग है और उनके विचार भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस पार्टी की स्थापना डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने की थी? (2012)

  1. पीज़ेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया
  2. ऑल इंडिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन 
  3. द इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (B) 


मेन्स:

प्रश्न. अलग-अलग दृष्टिकोण और रणनीतियों के बावजूद महात्मा गांधी तथा डॉ. बी.आर. अंबेडकर का दलितों के उत्थान का एक सामान्य लक्ष्य था। स्पष्ट कीजिये। (2015)

स्रोत: पी. आई. बी.