जल प्रदूषण है आर्थिक वृद्धि में बाधक | 22 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘क्वालिटी अननोन : द इनविज़िबल वाटर क्राइसिस’ (Quality Unknown : The Invisible Water Crisis) नाम से जारी विश्व बैंक (World Bank) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रदूषित पानी कुछ देशों में आर्थिक वृद्धि की दर को एक-तिहाई तक कम कर रहा है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:

  • जल प्रदूषण से प्रभावित होती है देश की आर्थिक विकास दर:
    • जब बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (Biological Oxygen Demand-BOD) एक निश्चित सीमा को पार कर जाती है, तो उस क्षेत्र में जीडीपी की वृद्धि एक-तिहाई कम हो जाती है।
    • बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड - पानी के जैविक प्रदूषण और समग्र जल की गुणवत्ता मापने का एक उपाय।
    • मध्यम आय वाले देशों में जहाँ औद्योगिक विकास के कारण BOD एक बढ़ती हुई समस्या है, जीडीपी की वृद्धि दर आधे से कम रह गई है।
  • निम्न आर्थिक विकास दर के कारण:
    • पानी में नाइट्रोजन की उपस्थिति लोगों की जीवन प्रत्याशा दर को कम कर रही है, जिसके कारण देश की मानव संसाधन उत्पादकता में कमी आ रही है।
    • इसके अतिरिक्त पानी में लवणता की उपस्थिति से कृषि पैदावार में कमी आती है।
  • पानी की गुणवत्ता के समक्ष चुनौतियाँ:
    • कृषि की गहनता (Intensification of Agriculture) का प्रभाव
    • भूमि उपयोग में परिवर्तन
    • जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक परिवर्तनशील वर्षा पैटर्न
    • देशों के विकास के कारण बढ़ता औद्योगीकरण
  • आगे की राह:
    • जल गुणवत्ता की चुनौती से निपटने के लिये सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि उसके स्तर का निर्धारण किया जाए। दुनिया को विश्वसनीय, सटीक और व्यापक जानकारी की आवश्यकता है ताकि नई खोज की जा सके, साक्ष्य आधारित निर्णय लिये जा सकें और नागरिकों को कार्यवाही के लिये प्रेरित किया जा सके।
    • दुनिया के प्रदूषण को कम करने के लिये कानून (Legislation), कार्यान्वयन (Implementation) और प्रवर्तन (Enforcement) जैसी कुछ महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ भी हैं।
    • अपशिष्ट जल के उपचार पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है, क्योंकि यह प्रदूषण और मलबे को हटाने में मदद करके देश के स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है।

स्रोत: वर्ल्ड बैंक