इंडियन म्यूज़ियम ऑफ अर्थ | 26 Mar 2019

चर्चा में क्यों?

अपनी प्रागैतिहासिक विरासत को बेहतर ढंग से संरक्षित करने के लिये भारत सरकार इंडियन म्यूजियम ऑफ अर्थ (The Indian Museum of Earth- TIME), ‘पृथ्वी संग्रहालय’ (Earth Museum) के निर्माण की योजना बना रही है।

प्रमुख बिंदु

  • भारत में भूगर्भीय और पुरापाषाणकालीन नमूनों का विशाल संग्रह मौजूद है। इस संग्रह की सहायता से पृथ्वी और इसके इतिहास के संबंध में बेशकीमती वैज्ञानिक जानकारियाँ प्राप्त की जा सकती हैं।
  • ध्यातव्य है कि ये दुर्लभ नमूने पूरे देश में अलग-अलग प्रयोगशालाओं में बिखरे हुए हैं जिन्हें एक स्थान पर एकत्रित करने के लिये केंद्र सरकार उक्त संग्रहालय के निर्माण की योजना बना रही है।
  • इस संग्रहालय को अमेरिकी प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय (American Museum of Natural History) या स्मिथसोनियन संग्रहालय (Smithsonian Museum) के आधार पर बनाया जाएगा।
  • इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी के रूप में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा।
  • किसी एक स्थान पर स्थिर सामान्य संग्रहालयों से भिन्न यह प्रस्तावित संग्रहालय डायनामिक होगा, ताकि जीवाश्म से संबंधित अनुसंधानों तथा छात्रों हेतु विभिन्न गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके।
  • इस संग्रहालय में एक ऐसे रिपॉजिटरी की भी व्यवस्था होगी जहाँ संग्रहकर्त्ता तथा शोधकर्त्ता अपने संग्रह (नमूने) सुरक्षित रख सकेंगे ताकि भावी पीढ़ी के शोधकर्त्ता उन नमूनों का अध्ययन कर सकें।

आवश्यकता क्यों?

  • भारत में एक भी ऐसा संग्रहालय नहीं है, जहाँ नए नमूनों की तुलना पहले से खोजे गए नमूनों से की जा सके।
  • पुरातत्त्वीय, नृजातीय, भूगर्भीय तथा प्राणि-विज्ञान एवं पृथ्वी के विकास क्रम के संबंध में समझ विकसित करने की दृष्‍टि से ऐसे संग्रहालयों की आवश्‍यकता है।

स्रोत- द हिंदू