रेलवे लाइनों का संचालन निजी क्षेत्र को देने पर विचार | 26 Sep 2017

चर्चा में क्यों ? 

रेल मंत्री पियूष गोयल ने कहा कि सरकार रेलवे में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाने एवं ग्राहकों की संतुष्टि के लिये रेलवे लाइनों का संचालन निजी क्षेत्र को दे सकती है। सरकार और अधिक निजी खिलाड़ियों को आकर्षित करने के लिये विभिन्न मॉडलों का अध्ययन कर रही है। 

सुरक्षा 

  • गौरतलब है कि सरकार की प्राथमिकता रेलवे की सुरक्षा के साथ-साथ उसकी गति को भी बढ़ाना है।  
  • सरकार रेलवे की सुरक्षा के लिये धन की कमी आने नहीं देगी। इसके लिये सरकार का फोकस ट्रैकों के नवीकरण पर है, ताकि दुर्घटनाओं की दर को शून्य के स्तर पर लाई जा सके।    

सरलीकृत बोली-प्रक्रिया 

  • सरकार कम-से-कम 100 स्टेशनों को 45 से 99 वर्षों के लिये लीज़ पर देने का विचार कर रही है।     
  • इसके लिये वह बोली प्रक्रिया को और सरलीकृत करने जा रही है।
  • इससे पहले वर्ष 2015 में यूनियन कैबिनेट ने स्विस चुनौती मॉडल (Swiss Challenge model) पर 400 रेलवे स्टेशनों को फिर से विकसित करने के लिये निजी क्षेत्र के डेवलपरों से खुली बोली प्रक्रिया के द्वारा ‘जहाँ है जैसा है’ (as is where is) के आधार पर निविदाएँ आमंत्रित करने की अनुमति प्रदान की थी।     
  • इस मॉडल के अनुसार कोई भी बोली लगाने वाला किसी दूसरे के द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट प्रस्ताव को बेहतर करने का ऑफर दे सकता है।     

प्रतिक्रिया

  • रेल मंत्रालय ने अब तक 23 स्टेशनों के लिये निविदाएँ आमंत्रित की हैं, परंतु इस पर निजी क्षेत्र की प्रतिक्रिया अभी सामान्य ही है।     
  • सरकार पूरे रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण करना चाहती है। उसका मिशन 100% विद्युतीकरण करने का है, क्योंकि बिजली एक घरेलू और आत्मनिर्भर संसाधन है, जबकि डीजल आयात करना पड़ता है। 
  • रेलवे हर साल डीजल उपभोग में 16,000 करोड़ रुपए का निवेश कर रहा है। इससे सरकार को प्रत्येक वर्ष 8,000-10,000 करोड़ रुपए की बचत होगी।