सौर ऊर्जा और जल उपचार प्रौद्योगिकी मिशन केंद्रों की शुरुआत | 25 Jan 2019

चर्चा में क्यों?


केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्‍वी विज्ञान, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने चेन्नई स्थित IIT मद्रास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा स्‍थापित तीन प्रमुख केंद्रों की शुरुआत की।

पहला केंद्र

  • इसका नाम DST-IITM Solar Energy Harnessing Centre है।
  • इस केंद्र में सिलिकॉन सोलर सेल जैसी अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास गतिविधियों की विस्‍तृत श्रृंखला पर ध्‍यान केंद्रित किया जाएगा।
  • उच्‍च दक्षता युक्‍त सिलिकॉन सोलर सेल भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल होते हैं।
  • इस केंद्र में नियुक्‍त अनुसंधानकर्त्ताओं के नेटवर्क में IIT मद्रास, IIT गुवाहाटी, अन्‍ना विश्‍वविद्यालय, ICT मुंबई, BHEL और KGDS के वैज्ञानिक शामिल हैं। इस नेटवर्क का भविष्य में और विस्‍तार किया जाएगा।
  • इस केंद्र का उद्देश्‍य ऐसा मंच उपलब्ध कराना है जिससे पारिस्थितिकी प्रणाली के ज्ञान को मजबूत कर आसानी से आगे बढ़ाया जा सके।
  • यह केंद्र भारत के ऊर्जा परिदृश्‍य में बदलाव लाने में सहायक हो सकता है।
  • इस कंसोर्टियम से मेक इन इंडिया की भावना के अनुसार सतत् आवश्‍यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।

दूसरा केंद्र

  • इसका नाम DST-IITM Water-IC for SUTRAM of Easy Water है।
  • इसे अपशिष्‍ट जल प्रबंधन, जल उपचार, सेंसर विकास, चक्रवाती जल प्रबंधन, वितरण और एकत्रीकरण प्रणालियों से संबंधित विभिन्‍न मुद्दों के बारे में समावेशी अनुसंधान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आयोजित करने के उद्देश्‍य से स्‍थापित किया गया है।
  • यह बहुविध संस्‍थागत वर्चुअल केंद्र, अपशिष्‍ट जल उपचार, पुन: उपयोग, तूफान जल प्रबंधन के माध्‍यम से जल संसाधनों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये एक स्‍थायी दृष्टिकोण प्रदान करेगा।
  • यह केंद्र अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास और क्षमता निर्माण के माध्‍यम से बहुत अधिक प्रदूषित और जल का अधिक उपयोग करने वाले उद्योगों के साथ ही ग्रामीण और शहरी भारत के लिये पेयजल के पर्याप्‍त, सुरक्षित, विश्‍वसनीय और सतत् स्रोतों को सुनिश्चित करेगा।
  • यह केंद्र समावेशी तरीके से कार्य करने और सहयोग करने के लिये अपशिष्‍ट जल प्रबंधन, जल शोधन, सेंसर विकास और चक्रवाती जल प्रबंधन के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्‍न प्रमुख संगठनों के विभिन्‍न समूहों के लिये अवसर उपलब्‍ध कराएगा।

तीसरा केंद्र

  • इसका नाम The Test Bed on Solar Thermal Desalination Solutions है।
  • IITM–Imperial KGDS द्वारा रामनाथपुरम जिले के नारिपयूर में स्थापित इस केंद्र का उद्देश्‍य बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित शुष्‍क तटीय गाँवों में मौजूद जल चुनौतियों से निपटने के लिये तकनीकी समाधान उपलब्‍ध कराना है। 
  • इसके विकास में सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए तटीय क्षेत्रों में पीने का पानी उपलब्‍ध कराने के लिये अनुकूल प्रौद्योगिकीय जल समाधान उपलब्‍ध होंगे।

IIT मद्रास


IIT (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) मद्रास उच्च तकनीकी शिक्षा, बुनियादी और प्रायोगिक अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्त्व के अग्रणी संस्थानों में से एक है। 1956 में जर्मनी सरकार ने इसके लिये तकनीकी सहयोग की पेशकश की थी और 1959 से IIT मद्रास ने काम करना शुरू कर दिया था। इसकी स्थापना के लिये पश्चिम जर्मनी के बॉन में इंडो-जर्मन समझौते पर 1959 में हस्ताक्षर किये गए थे। इसका औपचारिक उद्घाटन 1959 में तत्कालीन केंद्रीय वैज्ञानिक अनुसंधान और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री प्रो. हुमायूँ कबीर ने किया था।


स्रोत: PIB