इंडिया टीबी रिपोर्ट 2019 | 26 Sep 2019

चर्चा में क्यों?

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी इंडिया टीबी रिपोर्ट 2019 (India TB Report 2019) के अनुसार, वर्ष 2010 की तुलना में वर्ष 2018 में भारत में टीबी से संबंधित मौतों में 82% की गिरावट आई है।

प्रमुख बिंदु:

  • टीबी से संबंधित मौतों में आई गिरावट मुख्य रूप से नैदानिक ​​सेवाओं, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और सरकार द्वारा मरीज़ों के उपचार की उपलब्धता हेतु बेहतर निवेश जैसे प्रयासों का परिणाम है।
  • निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं द्वारा वर्ष 2017 से 5.4 लाख मामले या कुल अधिसूचित मामलों में से लगभग 25% मामले दर्ज किये गए हैं। भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक टीबी का उन्मूलन करना है।
  • वर्ष 2017 में, लगभग 18 लाख टीबी के मामले सामने आए थे जिसमें से 79% रोगियों ने अपना इलाज सफलतापूर्वक पूरा किया है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य समूहों ने भी इस बीमारी को समाप्त करने की दिशा में सरकार की पहल की सराहना की है। टीबी उन्मूलन के प्रयासों के क्रम में मल्टीड्रग प्रतिरोधक टीबी (Multi Drug Resistance TB- MDR TB) जैसे संभावित खतरों के साथ ही टीबी की दवाओं के उच्च मूल्यों पर चिंता व्यक्त की जा रही है।

मल्टीड्रग प्रतिरोधक टीबी

(Multi Drug Resistance TB- MDR TB)

  • जब टीबी के लिये ज़िम्मेदार बैक्टीरिया इसकी एंटी-बायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं तो उसे मल्टीड्रग प्रतिरोधक टीबी (Multi Drug Resistance TB- MDR TB) कहा जाता है।
  • MDR TB आइसोनियाज़िड (Isoniazid) और रिफैम्पिसिन (Rifampicin) जैसी शक्तिशाली एंटी-बायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक विकसित कर लेते हैं।
  • मल्टीड्रग प्रतिरोध विकसित होने का मुख्य कारण उपचार और व्यक्ति-से-व्यक्ति संचरण के दौरान का कुप्रबंधन है।
  • एंटी-बायोटिक दवाओं का अनुचित या दवाओं के अप्रभावी योगों का उपयोग (जैसे एकल दवाओं का उपयोग, खराब गुणवत्ता वाली दवाएंँ या खराब भंडारण की स्थिति) और समय से पहले उपचार में रुकावट जैसी स्थितियाँ मल्टीड्रग प्रतिरोध का कारण बनती हैं।

टीबी उन्मूलन के अन्य प्रयास:

  • MDR TB) से संबंधित ओरल ड्रग्स (Oral Drugs) को बेडाक्युलिन या डेलमनीड (Bedaquiline or Delamanid) जैसी दवाओं से स्थांतरित किया जा रहा है।
  • टीबी रोगियों को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करने के लिये अप्रैल 2018 में निक्षय पोषण योजना (Nikshay Poshan Yojana), एक प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत टीबी रोगियों को उपचार की पूरी अवधि के लिये प्रतिमाह 500 रुपए मिलते हैं।
  • इस योजना का क्रियान्वयन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
  • अप्रैल 2018 से मार्च 2019 के दौरान 15 लाख से अधिक लाभार्थियों को इस योजना के तहत 240 करोड़ रुपए का लाभ प्रदान किया गया।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया