कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2019 | 07 Dec 2019

प्रीलिम्स के लिये

कराधान विधि (संशोधन) विधेयक 2019 के प्रावधान

मेन्स के लिये

आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित करने के लिये कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राज्यसभा ने कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2019 [Taxation Law (Amendment) Bill, 2019] पारित किया। यह विधेयक अर्थव्यवस्था की विकास दर बढ़ाने के लिये कॉर्पोरेट टैक्स रेट को कम करने वाले सरकार के अध्यादेश को विस्थापित करेगा।

  • क्योंकि यह विधेयक कर (Tax) से संबंधित है इसलिये इसे लोकसभा में धन विधेयक (Money Bill) के तौर पर प्रस्तुत किया गया।

कॉर्पोरेट टैक्स (Corporate Tax): वह कर जो किसी कंपनी की निवल आय (Net Income) पर लगाया जाता है।

विधेयक के प्रमुख बिंदु:

  • वर्तमान में 400 करोड़ रुपए तक के वार्षिक टर्नओवर वाली घरेलू कंपनियाँ 25% की दर से इनकम टैक्स चुकाती हैं। अन्य घरेलू कंपनियों के लिये यह टैक्स दर 30% है। विधेयक घरेलू कंपनियों को 22% की दर से टैक्स चुकाने का विकल्प देता है, बशर्ते वे इनकम टैक्स एक्ट के अंतर्गत कुछ कटौतियों का दावा न करें।
  • बिल में प्रावधान है कि अगर नई घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कंपनियाँ कुछ कटौतियों का दावा नहीं करतीं हैं तो वे 15% की दर से इनकम टैक्स चुकाने का विकल्प चुन सकती हैं। बशर्ते ये घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कंपनियाँ 30 सितंबर, 2019 के बाद स्थापित और पंजीकृत हुई हों तथा 1 अप्रैल, 2023 से पहले मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दें।
  • कोई कंपनी वित्तीय वर्ष 2019-20 (यानी आकलन वर्ष 2020-21) या आगे के वित्तीय वर्षों के लिये नई टैक्स दरों का विकल्प चुन सकती है। एक बार विकल्प चुनने के बाद आगामी वर्षों में यही विकल्प लागू होगा।
  • न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स (Minimum Alternate Tax-MAT) के भुगतान से संबंधित प्रावधान उन कंपनियों पर लागू नहीं होंगे जिन्होंने नई टैक्स दरों का विकल्प चुना है। बिल कहता है कि नई दरों को चुनने वाली कंपनियों पर MAT क्रेडिट के प्रावधान भी नहीं लागू होंगे।

न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स

(Minimum Alternate Tax-MAT):

अगर कटौतियों का दावा करने के बाद किसी कंपनी की सामान्य टैक्स लायबिलिटी एक निश्चित सीमा से कम होती है तो उसे टैक्स के रूप में एक न्यूनतम राशि चुकानी होती है। यह राशि MAT कहलाती है।

  • अध्यादेश वित्तीय वर्ष 2019-20 से MAT की दर (जो कि नई टैक्स दरों को न चुनने वाली कंपनियों पर लागू होगी) को 18.5% से 15% करता है। बिल इस प्रावधान में संशोधन करता है और इसे वित्तीय वर्ष 2020-21 से लागू करता है।

स्रोत: द हिंदू