कराधान और अन्य कानून (विभिन्न प्रावधानों में राहत) अध्यादेश, 2020 | 02 Apr 2020

प्रीलिम्स के लिये:

COVID-19, अध्यादेश, पीएम केयर्स फंड

मेंस के लिये: 

राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति, कोरोना से निपटने हेतु लोकहित में सरकार द्वारा उठाए गए कदम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रपति द्वारा ‘कराधान और अन्य कानून (विभिन्न प्रावधानों में राहत) अध्यादेश, 2020’ [Taxation and Other Laws (Relaxation of Certain Provisions) Ordinance, 2020] प्रख्यापित किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह अध्यादेश COVID-19 महामारी के मद्देनज़र 24 मार्च, 2020 को घोषित विभिन्न कर अनुपालन संबंधी उपायों को प्रभावी बनाता है।
  • इस अध्यादेश में कराधान और बेनामी अधिनियमों के तहत विभिन्न समय सीमाएँ बढ़ाने के प्रावधान किये गए हैं।
  • अध्यादेश में उन नियमों या अधिसूचना में निहित समय सीमाएं बढ़ाने के भी प्रावधान किये गए हैं जो इन अधिनियमों के तहत निर्दिष्‍ट/जारी किये जाते हैं।
  • इस अध्यादेश के जरिये बढ़ाई गई समय सीमाएँ और कुछ महत्त्वपूर्ण राहत उपाय निम्‍नलिखित हैं:
    • सरकार ने आयकर फाइल करने, राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र, सार्वजनिक भविष्य निधि जैसे आयकर लाभ का दावा करने वाले उपकरणों में निवेश आदि करने की अंतिम तिथि बढ़ा दी है।
    • आधार कार्ड और पैन कार्ड (PAN Card) को आपस में जोड़ने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 30 जून, 2020 कर दी गई है।  
    • अध्यादेश के तहत आयकर अधिनियम के प्रावधानों में भी संशोधन किया गया है, ताकि ‘पीएम केयर्स फंड’ (PM-CARES Fund) के लिए भी ठीक वही कर राहत मिल सके जो ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष’ के लिए उपलब्ध है। 
      • अत: पीएम केयर्स फंड (PM-CARES Fund) में किया गया दान आयकर अधिनियम की धारा 80जी (Section 80G of the IT Act) के तहत 100% कटौती का पात्र होगा।
      • इसके अलावा, सकल आय के 10% की कटौती की सीमा भी पीएम केयर्स फंड में किये गए दान पर लागू नहीं होगी। 

अध्यादेश:

  • संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत राष्ट्रपति के पास संसद के सत्र में न होने की स्थिति में अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त है।
  • अध्यादेश की शक्ति संसद द्वारा बनाए गए कानून के बराबर ही होती है और यह तत्काल लागू हो जाता है।
  • अध्यादेश के अधिसूचित होने के बाद इसे संसद पुनः बैठक के 6 सप्ताह के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
  • एक विधेयक की भांति एक अध्यादेश भी पूर्ववर्ती हो सकता है अर्थात इसे पिछली तिथि से प्रभावी किया जा सकता है।
  • संसद या तो इस अध्यादेश को पारित कर सकती है या इसे अस्वीकार कर सकती है अन्यथा 6 सप्ताह की अवधि बीत जाने पर अध्यादेश प्रभावहीन हो जाएगा।
  • चूँकि सदन के दो सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल 6 महीने का हो सकता है, इसलिये अध्यादेश का अधिकतम 6 महीने और 6 सप्ताह तक लागू रह सकता है।
  • इसके अलावा राष्ट्रपति कभी भी अध्यादेश को वापस ले सकता है। ( मंत्रिमंडल की सलाह पर)

स्रोत: PIB