टैक्स हैवन देश | 20 Feb 2020

प्रीलिम्स के लिये:

टैक्स हैवन, मनी लॉड्रिंग, DTAA, BEPS

मेन्स के लिये:

टैक्स हैवन का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, कर चोरी से संबंधित मुद्दे, विभिन्न आर्थिक अपराध से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यूरोपीय यूनियन ने विभिन्न देशों को टैक्स हैवन के रूप में ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • यूरोपियन यूनियन ने पनामा, सेशेल्स, केमैन आईलैंड और पलाऊ को टैक्स हैवन देशों के रूप में ब्लैक लिस्ट में डाला है, जबकि तुर्की को ब्लैक लिस्टेड होने से बचने के लिये कुछ समय दिया है।

टैक्स हैवन से आशय

  • टैक्स हेवन (Tax Haven) देश उन्हें कहा जाता है जहाँ अन्य देशों की अपेक्षा बहुत कम कर लगता है या बिलकुल कर नहीं लगता। गौरतलब है कि ये ऐसे देश होते हैं जो विदेशी नागरिकों, निवेशकों एवं उद्यमियों को यह सुविधा प्रदान करते हैं कि वे उस देश में रहकर जो व्यवसाय या निवेश करेंगे या वहाँ किसी उद्यम की स्थापना करेंगे तो उस पर उनको कर नहीं देना होगा या कर की दरें बहुत ही कम होंगी।
  • ऐसे देश टैक्स में किसी प्रकार की पारदर्शिता नहीं रखते न ही किसी प्रकार की वित्तीय जानकारी को साझा करते हैं। ये देश उन लोगों के लिये स्वर्ग (हैवन) के समान हैं, जो टैक्स चोरी करके पैसे इन देशों में जमा कर देते हैं।
  • ऐसे देशों में पैसे जमा करने पर वे पैसे जमा करने वाले व्यक्ति या संस्था के बारे में कुछ भी नहीं पूछते। यही कारण है कि टैक्स चोरों के लिये ऐसे देश स्वर्ग जैसे होते हैं, जो अपने देश से पैसे लाकर इन देशों में काले धन के रूप में जमा कर देते हैं।
  • मॉरीशस, साइप्रस और पनामा जैसे देश अपने यहाँ निवेशित पूंजी से प्राप्त लाभ पर किसी प्रकार का कर नहीं लगाते हैं।

टैक्स हैवन का विश्व पर प्रभाव

  • नकारात्मक प्रभाव
    • टैक्स हैवन से वैश्विक स्तर पर कर चोरी को बढ़ावा मिलता है जिससे वैश्विक स्तर पर काले धन की समस्या में लगातार वृद्धि होती है।
    • टैक्स हैवन के कारण घरेलू टैक्स संग्रहण पर प्रभाव पड़ता है, अर्थात् कर अपवंचन में वृद्धि होती है जिससे संबंधित देश के राजस्व संग्रह में कमी आती है। साथ ही वित्त का देश से बाहर की ओर प्रवाह बढ़ता है जिससे देश में वित्तीय अस्थिरता एवं वित्तीय नियंत्रण में कमी जैसी समस्याएँ पैदा होती हैं और उस देश की अर्थव्यवस्था नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है।
    • टैक्स हैवन में टैक्स की दरों के कम या नगण्य होने के कारण शेल कंपनियों को बढ़ावा मिलता है जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
    • इसके कारण वैश्विक स्तर पर मनी लॉड्रिंग, राउंड ट्रिपिंग जैसे आर्थिक अपराधों को बढ़ावा मिलता है। साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता की कमी देखि जाती है।
  • सकारात्मक प्रभाव
    • टैक्स हैवन के कारण वैश्विक स्तर पर टैक्स प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि हो सकती है जिससे बड़े विकसित एवं विकासशील देशों में निवेशकों को आकर्षित करने हेतु कर की दर कम की जा सकती है और निवेशकों को कर की कम दरों का लाभ प्राप्त हो सकता है।

ध्यातव्य है कि टैक्स हैवन देश विभिन्न देशों की घरेलू अर्थव्यवस्था के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये एक बड़ी समस्या बन चुके हैं, इसलिये यदि इनके कारण कोई देश अपने कर की दरों में कमी कर भी लेता है तो इसके नकारात्मक प्रभावों की तुलना में यह लाभ अत्यंत नगण्य होगा।

टैक्स चोरी को रोकने से संबंधित वैश्विक प्रयास

  • टैक्स चोरी को रोकने के लिये एक कॉमन रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड (Common Reporting Standard- CRS) विकसित किया गया है जो स्वचालित रूप से वित्तीय सूचनाओं के सीमा-पार आदान-प्रदान एवं विनियमन से संबंधित एक नियम है ताकि कर अधिकारियों को अपने करदाताओं की ऑफशोर होल्डिंग (Offshore Holdings) को ट्रैक करने में मदद मिल सके।
  • OECD द्वारा वैश्विक स्तर पर कर अपवंचन को रोकने के लिये आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण (Base Erosion and Profit Shifting- BEPS) रणनीति को विकसित किया गया है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य कंपनियों को अपने लाभ को देश से बाहर ले जाने और देश की सरकार को कर राजस्व से वंचित करने से रोकना है।
  • इसके अतिरिक्त भारत द्वारा देश में कर चोरी को रोकने के लिये विभिन्न देशों के साथ किये गए दोहरे कराधान अपवंचन समझौतों (Double Taxation Avoidance Agreement- DTAA) में संशोधन किये गए हैं।

आगे की राह:

  • वैश्विक स्तर पर सभी देशों को मिलकर टैक्स चोरी, मनी लॉड्रिंग, राउंड ट्रिपिंग और हवाला जैसे आर्थिक अपराधों से निपटने का प्रयास करना चाहिये।
  • इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कर चोरी से संबंधित कड़े कानून बनाए जाने चाहिये।
  • लोगों को उनके कर दायित्वों के प्रति जागरूक किये जाने की आवश्यकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस