प्रमुख बंदरगाहों में पीपीपी परियोजनाओं के लिये टैरिफ दिशा-निर्देश | 27 Dec 2021

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में प्रमुख बंदरगाह, प्रमुख बंदरगाह बनाम छोटे बंदरगाह।

मेन्स के लिये:

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2021, टैरिफ का विनियमन, प्रमुख बंदरगाहों पर पीपीपी परियोजनाएंँ।

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने प्रमुख बंदरगाहों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership- PPP) परियोजनाओं के लिये नए टैरिफ दिशा-निर्देश, 2021 की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु 

  • नए दिशा-निर्देश:
    • मौजूदा परिदृश्य: प्रमुख बंदरगाहों पर पीपीपी में रियायत प्राप्त करने वालो को दिशा-निर्देशों की शर्तों के तहत काम करने हेतु बाध्य किया गया था (प्रमुख बंदरगाहों के लिये टैरिफ प्राधिकरण-TAMP द्वारा)।
      • दूसरी ओर गैर-प्रमुख बंदरगाहों पर निजी परिचालक/पीपीपी रियायत प्राप्तकर्त्ता बाज़ार की स्थितियों के अनुसार शुल्क लगाने हेतु स्वतंत्र थे।
      • रियायत प्राप्तकर्त्ता/ग्राही वह व्यक्ति या कंपनी हो सकती है जिसे पीपीपी परियोजनाओं में उत्पाद बेचने या व्यवसाय चलाने का अधिकार प्राप्त होता है।
      • TAMP को प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 के तहत समाप्त कर दिया गया है।
    • बाज़ार से जुड़े टैरिफ में ट्रांज़िशन: बड़े बंदरगाहों पर पीपीपी रियायतग्राही भारत के सभी प्रमुख बंदरगाहों के ज़रिये संचालित होने वाले कुल यातायात का लगभग 50 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं।
      • नए दिशा-निर्देश प्रमुख बंदरगाहों पर रियायत प्राप्तकर्त्ताओं को बाज़ार की गतिशीलता के अनुसार टैरिफ निर्धारित करने की अनुमति देते हैं।
  • इन दिशा-निर्देशों का महत्त्व:
    • बाज़ार से जुड़े टैरिफ में ट्रांज़िशन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि निजी बंदरगाहों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये प्रमुख बंदरगाहों पर पीपीपी रियायत प्राप्तकर्त्ताओं को एक समान अवसर प्रदान किया जाएगा।
    • यह एक प्रमुख सुधार पहल है क्योंकि सरकार प्रमुख बंदरगाहों पर पीपीपी परियोजनाओं के लिये शुल्कों को नियंत्रण मुक्त करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
    • दिशा-निर्देश बाज़ार आधारित अर्थव्यवस्था के एक नए युग की शुरुआत करेंगे और प्रमुख बंदरगाहों को अधिक प्रतिस्पर्द्धाी  बनाएंगे।
  • प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021:
    • फरवरी 2021 में संसद ने प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 पारित किया जो देश के प्रमुख बंदरगाहों को अधिक स्वायत्तता और लचीलापन प्रदान करने के साथ उनके शासन का व्यवसायीकरण करने का प्रयास करता है।
    • उद्देश्य:
      • विकेंद्रीकरण: इसने बंदरगाह प्राधिकरण को टैरिफ तय करने की शक्ति प्रदान की है जो पीपीपी परियोजनाओं के लिये बोली लगाने के प्रयोजनों हेतु एक संदर्भ टैरिफ के रूप में काम करेगा।
      • व्यापार और वाणिज्य: बंदरगाह के बुनियादी ढाँचे के विस्तार को बढ़ावा देना और व्यापार तथा वाणिज्य को सुविधाजनक बनाना।
      • निर्णय लेना: यह सभी हितधारकों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से परियोजना निष्पादन क्षमता को बेहतर करते हुए तेज़ तथा पारदर्शी निर्णय प्रदान करता है।
      • रीओरिएंटिंग मॉडल: वैश्विक अभ्यास के अनुरूप केंद्रीय बंदरगाहों में शासन मॉडल को भू-स्वामी बंदरगाह मॉडल हेतु पुन: पेश करना।
        • लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल के अंतर्गत बंदरगाह के बुनियादी ढाँचे का विकास किया जाएगा, इसके लिये संचालन तथा प्रबंधन का कार्य निजी कंपनियों को पट्टे पर दिया जा रहा है।

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाएँ:

  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी के अंतर्गत एक सरकारी एजेंसी और एक निजी क्षेत्र की कंपनी के बीच सहयोग शामिल होता है जिसका उपयोग सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क, पार्क और सम्मेलन केंद्रों जैसी परियोजनाओं के वित्तपोषण, निर्माण और संचालन के लिये किया जा सकता है।
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से किसी परियोजना को वित्तपोषित करने से परियोजना को जल्दी पूरा किया जा सकता है या पहले प्रयास में इसे संभव बनाया जा सकता है।
  • पीपीपी के विभिन्न मॉडल: पीपीपी के अंतर्गत आमतौर पर अपनाए गए मॉडल में शामिल हैं: बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी), बिल्ड-ओन-ऑपरेट (बीओओ), बिल्ड-ऑपरेट-लीज-ट्रांसफर (बीओएलटी), डिज़ाइन-बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (डीबीएफओटी), लीज-डेवलप-ऑपरेट (एलडीओ), ऑपरेट-मेंटेन-ट्रांसफर (ओएमटी) आदि।
    • ये मॉडल निवेश स्वामित्व, नियंत्रण, ज़ोखिम साझाकरण, तकनीकी सहयोग, अवधि और वित्तपोषण आदि के स्तर पर भिन्न हैं।

भारत में प्रमुख बंदरगाह:

  • कानूनी प्रावधान: भारत के प्रमुख बंदरगाह भारतीय संविधान की संघ सूची के अंतर्गत आते हैं और भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 व प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट अधिनियम, 1963 के तहत प्रशासित हैं।
  • प्रमुख बंदरगाहों की संख्या: देश में 12 प्रमुख बंदरगाह और 200 गैर-प्रमुख बंदरगाह (छोटे बंदरगाह) हैं।
    • प्रमुख बंदरगाहों में दीनदयाल (पूर्ववर्ती कांडला), मुंबई, जेएनपीटी, मरमुगाओ, न्यू मैंगलोर, कोचीन, चेन्नई, कामराजार (पहले एन्नोर), वीओ चिदंबरनार, विशाखापत्तनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित) शामिल हैं।
  • प्रमुख बंदरगाह बनाम छोटे बंदरगाह: भारत में बंदरगाहों को भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 के तहत परिभाषित केंद्र और राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के अनुसार प्रमुख और छोटे बंदरगाहों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • प्रमुख बंदरगाहों का स्वामित्व और प्रबंधन केंद्र सरकार के पास है।
    • छोटे बंदरगाहों का स्वामित्व और प्रबंधन राज्य सरकारों के पास होता है।
  • प्रमुख बंदरगाहों का प्रशासन: प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह भारत सरकार द्वारा नियुक्त न्यासी बोर्ड द्वारा शासित है।
    • ट्रस्ट भारत सरकार के नीति-निर्देशों और आदेशों के आधार पर काम करते हैं।
  • बंदरगाहों में पीपीपी परियोजनाएँ: भारत में बंदरगाह क्षेत्र में पीपीपी मॉडल को बंदरगाहों के संचालन और प्रबंधन, तथा गहरे पानी के बंदरगाहों, कंटेनर टर्मिनल्स, शिपिंग यार्ड व थोक बंदरगाहों के निर्माण में देखा गया है।

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स्रोत: पीआईबी