वर्ष 2020-21में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य | 17 Apr 2020

प्रीलिम्स के लिये:

प्रमुख फसलों की उत्पादकता 

मेन्स के लिये:

खाद्य सुरक्षा

चर्चा में क्यों?

इस वर्ष ‘सामान्य मानसून’ के पूर्वानुमान के बाद, ‘कृषि मंत्रालय’  (Agriculture Ministry) ने वर्ष 2020-21 के लिये 298 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।

मुख्य बिंदु:

  • वर्ष 2020-21 के लिये खाद्यान उत्पादन का लक्ष्य वर्ष 2019-20 में अनुमानित उत्पादन लक्ष्य से लगभग 2% अधिक है।
  • केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि सरकार मानसून-पूर्व और मानसून (जून-सितंबर) की अवधि के दौरान फसलों की बुवाई के संचालन को सुनिश्चित करने के लिये सभी आवश्यक उपाय कर रही है। 

प्रमुख उत्पादन लक्ष्य:

  • धान (चावल) और गेहूँ के उत्पादन का लक्ष्य वर्ष 2019-20 में उनके अनुमानित उत्पादन के स्तर पर ही रखा है। लेकिन दालों एवं मोटे अनाजों का उत्पादन लक्ष्य, अधिक रखा गया है। 
  • उम्मीद की गई है कि वर्ष 2020-21 में दालों एवं मोटे अनाजों के उत्पादन में वृद्धि होने से खाद्यान्न उत्पादन में भारत नवीन रिकॉर्ड को प्राप्त कर सकता है।
  • खाद्यान्न की टोकरी (धान, गेहूँ, मोटे अनाज और दालों) के उत्पादन के लिये लक्ष्य निर्धारित करने के अलावा तिलहन के लिये वर्ष 2020-21 में लगभग 37 मिलियन टन से अधिक का लक्ष्य रखा है जो वर्ष 2019-20 के अनुमानित उत्पादन लक्ष्य से 3 मीट्रिक टन अधिक है।

प्रमुख फसलों का उत्पादन:

मिलियन टन में उत्पादन  वर्ष 2018-19 
कुल अनाज उत्पादन 

285.21

चावल 

116.48

गेहूँ 

103.60

दाल 

22.08

लॉकडाउन में किसानों को सहायता:

  • लॉकडाउन अवधि के दौरान किसानों को उनकी बुवाई और कटाई के कार्यों को पूरा करने के लिये सभी प्रकार की छूट दी जा सकती है।
  • सभी उर्वरक कंपनियों को अपने उत्पादों के सुचारू लाने ले जाने की सुविधा प्रदान की जाएगी।
  • सभी राज्य, गाँव/ब्लॉक स्तरों पर फसल उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करेंगे क्योंकि लॉकडाउन के कारण किसानों को अपने ब्लॉक से बाहर जाने की अनुमति नहीं है।
  • कृषि मंत्रालय द्वारा लॉकडाउन अवधि के दौरान 'राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन' (National Food Security Mission-NFSM), ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ (PM-KISAN) योजना,  ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ (PM-GKY) आदि के तहत किसानों और कृषि गतिविधियों की सुविधा के लिये कई उपायों की घोषणा की है। 

आगे की राह:

  • खाद्य और कृषि के क्षेत्र में डिजिटल मार्केटिंग के रूप में ‘वैकल्पिक बाज़ार’ संबंधी विचारों को अपनाना चाहिये। वर्तमान में यह व्यवस्था COVID-19 के संक्रमण को कम करने के साथ ही कृषि क्षेत्र में उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी बन सकती है। साथ ही भविष्य में इस माध्यम को बढ़ावा देकर देश में कृषि से जुड़ी अर्थव्यवस्था को एक नई गति प्रदान की जा सकती है। 

स्रोत: द हिंदू